GST 2.0 से सरकार को सालाना होगा 85000 करोड़ का नुकसान, फिर भी इकोनॉमी को मिलेगी रफ्तार; कैसे?

GST 2.0: भारत सरकार इस साल अक्टूबर तक टू-टियर जीएसटी स्ट्रक्चर लागू करने की तैयारी में जुटी हुई है. इसमें 2 परसेंट और 28 परसेंट के टैक्स स्लैब को खत्म कर 5 परसेंट और 18 परसेंट के स्लैब को रखने की बात की जा रही है. इससे बेशक हर रोज की जिंदगी में काम आने वाली चीजें सस्ती हो जाएंगी जैसे कि FMCG,सीमेंट, छोटी कारें और एयरकंडीश्नर वगैरह सस्ती हो जाएंगी.
हालांकि, इससे सरकार को सालाना 85,000 करोड़ तक का नुकसान उठाना पड़ सकता है. रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि कारोबारी साल 2025-26 में अक्टूबर से मार्च तक के बीच सरकार को लगभग 45,000 करोड़ रुपये के घाटे का सामना करना पड़ सकता है. अच्छी बात यह है कि इससे कंजप्शन के लगभग 1.98 लाख करोड़ तक पहुंचने की भी उम्मीद है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले के प्राचीर से जीएसटी में अगली पीढ़ी के सुधार के संकेत दिए थे. इससे सरकार को राजस्व का नुकसान होगा, लेकिन खपत बढ़ेगी, तो अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. इसका असर देश की जीडीपी पर देखने को मिलेगा. SBI रिसर्च की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है.
दो कैटेगरी में बांटी जाएंगी चीजें
चूंकि नई व्यवस्था के तहत दो ही टैक्स स्लैब होंगे. इस हिसाब से चीजों को ‘मानक’ और ‘आवश्यक’ दोनों कैटेगरी में बांट दिया जाएगा. पान मसाला, तंबाकू और ऑनलाइन गेमिंग जैसी चुनिंदा चीजों पर 40 परसेंट तक का टैक्स वसूला जाएगा. SBI की रिसर्च में बताया गया है कि प्रभावी भारित औसत जीएसटी दर (Weighted average GST rate) साल 2017 से लगातार घट रही है. इस तरह से इसमें 14.4 परसेंट से सितंबर 2019 तक 11.6 परसेंट तक की गिरावट आ चुकी है और अब दरों में संशोधन के साथ यह आंकड़ा और घटकर 9.5 परसेंट तक जा सकता है.
महंगाई में आ सकती है गिरावट
जीएसटी रिफॉर्म्स से भले ही रेवेन्यू को नुकसान पहुंचे, लेकिन बावजूद इसके GDP में 0.6 परसेंट का उछाल आने का अनुमान है. देश की इकोनॉमी को उपभोग वाली वस्तुओं की मजबूत खपत का सहारा मिलेगा. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि सरकार के इस कदम से महंगाई के बढ़ने की भी कोई संभावना नहीं है क्योंकि आम उपभोग की वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी. नई व्यवस्था के तहत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति में 20-25 बेसिस पॉइंट की कमी आ सकती है. सरकार के इस प्रस्ताव पर राज्यों के वित्त मंत्री बुधवार और गुरुवार को चर्चा करेंगे. अगर सहमति बन गई, तो अगले महीने इसे जीएसटी काउंसिल की होने वाली बैठक में रखा जाएगा.
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