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Aghora Dakini Chaturdashi: अघोरा-डाकिनी चतुर्दशी है डाकिनी और शाकिनी शक्तियों के पूजन का दिन!…

Aghora Dakini Chaturdashi: 21 अगस्त 2025 का दिन बेहद विशेष है. इस दिन अघोरा-डाकिनी चतुर्दशी है जो तंत्र की खतरनाक रात कहलाती है. कहते हैं कि इस रात भूत-प्रेत के बंधन खुलते हैं और मिलती है दिव्य शक्ति!

अघोरा-डाकिनी चतुर्दशी क्या है और क्यों मानी जाती है खतरनाक?

21 अगस्त 2025 को भाद्रपद मास की कृष्ण चतुर्दशी पर अघोरा-डाकिनी चतुर्दशी पड़ रही है. यह तिथि केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि रहस्यमय और तांत्रिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है.

इस दिन को शास्त्रों में अघोर साधना, डाकिनी उपासना और कालभैरव आराधना का दिन माना गया है. मान्यता है कि इस रात साधक को अदृश्य शक्तियों का अनुभव होता है और सही विधि से पूजा करने पर भूत-प्रेत बाधा, अकाल मृत्यु और ऋण जैसे संकट दूर होते हैं.

यह चतुर्दशी साधारण चतुर्दशी नहीं है. इसे रक्त-चतुर्दशी भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन साधक रात्रि के अंधकार में विशेष प्रयोग कर दिव्य ऊर्जा से जुड़ने का प्रयास करते हैं.

2025 में इस दिन सूर्य सिंह राशि में और चंद्रमा कर्क राशि में रहेंगे. पुष्य नक्षत्र का शुभ योग रहेगा. मासिक शिवरात्र है, यह संयोग शक्ति उपासना और मानसिक दृढ़ता के लिए विशेष रूप से उपयुक्त माना गया है.

शास्त्रीय और पौराणिक महत्व

कालिका पुराण और रुद्रयामल तंत्र में इस दिन को अघोर साधना की रात्रि बताया गया है. यह तिथि डाकिनी और शाकिनी शक्तियों के पूजन का दिन है. इनके आह्वान से अदृश्य बाधाएं दूर होती हैं और साधक को तांत्रिक सिद्धि प्राप्त होती है.

कालभैरव तंत्र में कहा गया है कि इस दिन साधना करने वाला व्यक्ति जीवन के बड़े संकटों से मुक्त हो जाता है. यह दिन मृत्यु भय, शत्रु बाधा और दुष्ट आत्माओं से मुक्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.

पूजा विधि (Step by Step)

जो साधारण लोग हैं और तांत्रिक साधना नहीं करना चाहते, वे भी इस दिन सरल पूजा करके लाभ पा सकते हैं.

  • भोर या मध्यरात्रि स्नान: स्नान के बाद काले या सफेद वस्त्र पहनें.
  • दीपदान: सरसों के तेल का दीपक उत्तर दिशा की ओर जलाएं.
  • नींबू और तिल अर्पण: एक नींबू पर सिंदूर का बिंदु लगाकर उसे देवी या भैरव को अर्पित करें. साथ ही काले तिल चढ़ाएं.

मंत्र जप:

ओम अघोरेभ्यो नमः का 108 बार जप करें. कालभैरवाष्टक या देवी कवच का पाठ करें.

भोग: नारियल, नींबू या हलवा-पूड़ी का भोग लगाएं.

दान: गरीबों को भोजन, तिल और वस्त्र दान करें. यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है.

क्या करें

  • कालभैरव और देवी की आराधना करें.
  • गरीबों को भोजन और दान दें.
  • नींबू, तिल और दीपदान का महत्व अधिक है.
  • हनुमान चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें.
  • घर में दीप जलाकर अंधकार दूर करें.

क्या न करें

  • दूसरों का अपमान या छल न करें.
  • इस दिन झगड़ा, क्रोध और वाद-विवाद से बचें.
  • घर में मांस, मदिरा या तामसिक भोजन न करें.
  • देर रात अकेले सुनसान स्थानों पर न जाएं.
  • किसी भी तांत्रिक प्रयोग को बिना गुरु मार्गदर्शन के न करें.

तांत्रिक और ज्योतिषीय दृष्टि से प्रभाव

  1. भूत-प्रेत बाधा निवारण – जिन लोगों को बार-बार डर, बुरे सपने या मानसिक बेचैनी सताती है, उनके लिए यह दिन विशेष रूप से लाभकारी है.
  2. ऋण मुक्ति – व्यापारी वर्ग या कर्ज में डूबे लोग इस दिन विशेष मंत्र जप कर सकते हैं.
  3. शत्रु बाधा से मुक्ति – तांत्रिक दृष्टि से यह दिन शत्रु पर विजय प्राप्त करने के लिए श्रेष्ठ है.

ज्योतिषीय संकेत –

  • सूर्य सिंह में और चंद्रमा कर्क में होने से आत्मबल और मानसिक शक्ति में वृद्धि होगी.
  • मंगल तुला राशि में है, जिससे न्याय और युद्ध संबंधी निर्णयों में तीव्रता आएगी.
  • शनि मीन राशि में होने से आध्यात्मिक और गुप्त साधनाओं का महत्व बढ़ेगा.

साधारण लोगों के लिए आसान उपाय

अगर आप तांत्रिक साधना नहीं करना चाहते तो भी इन सरल उपायों से लाभ पा सकते हैं –

  • रात्रि में 11 नींबू जल में प्रवाहित करें.
  • घर के मुख्य द्वार पर सरसों के तेल का दीपक जलाएं.
  • पितरों के लिए तिल और जल अर्पित करें.
  • घर के मंदिर में ओम नमः शिवाय का 108 बार जप करें.

अघोरा-डाकिनी चतुर्दशी का आधुनिक जीवन में महत्व

आज की व्यस्त और तनावपूर्ण जिंदगी में यह तिथि हमें सिखाती है कि नकारात्मक ऊर्जा को कैसे दूर किया जाए और आंतरिक शक्ति कैसे जगाई जाए. यह केवल तांत्रिक पर्व नहीं बल्कि आत्मिक शुद्धि और मनोबल बढ़ाने का अवसर भी है.

  • मानसिक स्वास्थ्य से पीड़ित लोग इस दिन ध्यान और मंत्र जप कर सकते हैं.
  • विद्यार्थी परीक्षा भय दूर करने के लिए कालभैरव की आराधना कर सकते हैं.
  • व्यापारी ऋण मुक्ति और सफलता के लिए दीपदान कर सकते हैं.

कुल मिलाकर कह सकते हैं कि अघोरा-डाकिनी चतुर्दशी साधारण पर्व नहीं है. यह वह दिन है जब साधक और श्रद्धालु, दोनों ही विशेष साधना और पूजा से अपनी नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकते हैं. इस दिन किया गया दान और जप व्यक्ति के जीवन में अदृश्य सुरक्षा कवच की तरह काम करता है. शास्त्र भी यही कहते हैं.

FAQ

Q1. क्या आम लोग भी अघोरा-डाकिनी चतुर्दशी पर पूजा कर सकते हैं?
हां, दीपदान, दान और मंत्रजप से आम लोग भी लाभ प्राप्त कर सकते हैं.

Q2. क्या यह दिन भूत-प्रेत बाधा दूर करने के लिए प्रभावी है?
शास्त्रों में इसे विशेष रूप से बाधा निवारण और अदृश्य सुरक्षा के लिए श्रेष्ठ बताया गया है.

Q3. क्या इस दिन मांस-मदिरा का सेवन करना चाहिए?
नहीं, इस दिन यह पूर्णतः वर्जित है.

Q4. इस दिन का ग्रहों से क्या संबंध है?
सूर्य सिंह में और चंद्र कर्क में होने से शक्ति और मानसिक दृढ़ता का संयोग बन रहा है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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