67 schools and 2694 classrooms declared unsafe | 67 स्कूल और 2694 कक्षा-कक्ष असुरक्षित घोषित:…

जिले में 781 स्कूलों के 2694 क्लासरूम सील होने के बाद सरकारी स्कूल बरामदों में आ गए हैं। जिले के जिन स्कूलों में क्लासरूम सील किए गए, वे सभी कक्षाएं स्कूलों के बरामदों में या पेड़ों के नीचे चल रहीं हैं। हालांकि इन सभी बच्चों के लिए शिक्षा विभाग वैकल्
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क्लासरूम से बाहर आने वाले कक्षाओं में छोटी क्लास के बच्चों की संख्या ज्यादा है। विभाग की ओर से कुछ स्कूलों की नजदीक की बड़ी स्कूलों में, तो कुछ की व्यवस्था मैरिज होम में गई है। जिले में बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए स्कूलों का सर्वे कराया गया। 781 स्कूलों के 2694 क्लासरूम बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं थे।
67 स्कूल भवन पूरी तरह जर्जर है, जिनमें से 16 को असुरक्षित घोषित कर दिया है। कुल 6649 कक्षों में से 1014 कक्ष जर्जर हैं। इस वजह से उन्हें सील कर दिया गया। सर्वे में 1670 क्लास रूम ऐसे हैं, जिनकी मरम्मत करवाकर उपयोग में लिए जा सकेंगे, लेकिन इनकी मरम्मत होने में कितना वक्त लगेगा और बच्चे कब फिर से अपनी क्लास में बैठ पाएंगे, ये विभाग को भी नहीं पता।
घघवाड़ी : 6 कमरे बंद, अब पेड़ के नीच पढ़ाई
पहाड़ी ब्लॉक के घघवाड़ी राजकीय स्कूल को सील कर दिया है। विद्यालय में कुल नौ कमरे हैं, जिनमें से एक की छत दो साल पहले टूट चुकी है और बंद कर दिया गया है। एक कमरे में ऑफिस और एक में मध्याह्न भोजन बनाया जाता है। शेष छह कमरों को सील कर दिया है। अब बच्चों को खुले आसमान के नीचे बैठाकर पढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
बरई : स्कूल में 10 कमरे, सभी से टपकता है पानी
डीग के बरई सरकारी विद्यालय में 226 बच्चों का नामांकन है और 21 का स्टाफ है। 12वीं तक संचालित इस विद्यालय में 10 कमरे हैं। एक में आंगनबाड़ी केंद्र चलता है, एक प्रिंसिपल कक्ष, एक को स्टोर रूम बनाया है। सात कमरे में ही विद्यालय भवन चलता है चार कक्षा पेड़ों के नीचे बैठ रही हैं, बरसात के समय में पानी टपकता है।
बरई में 17 लाख रुपए से बने कमरों में आईं दरारें
डीग के बरई सरकारी स्कूल में 17 लाख रुपये की राशि से दो कक्षा-कक्ष का निर्माण योजना पीएबी 2019-20 में स्वीकृत हुआ था, लेकिन कार्य पूरा नहीं हुआ। मौजूदा भवन में जगह-जगह दरारें आ चुकी हैं। ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। वहीं सर्वे में करीब 16 स्कूल ऐसे चिन्हित किए गए हैं, जिनकी बिल्डिंग अब उपयोग योग्य नहीं बची हैं और उन्हें जमींदोज करने की तैयारी शुरू हो गई है। इनमें से कई स्कूल तो प्रक्रियाधीन हैं।
डीग जिले के कई सरकारी स्कूलों की हालत इतनी खस्ता हो चुकी है कि अब पढ़ाई नहीं, बच्चों की जान पर खेल हो रहा है। कुम्हेर के एक स्कूल का असुरक्षित भवन घोषित होने के बाद एक निजी मैरिज होम में शिफ्ट किया जा रहा है। ब्लॉक अफसरों को आदेश मिले थे कि जर्जर इमारतों से बच्चों को सुरक्षित भवनों में भेजें, लेकिन नतीजा? वही पुराने, दरारों से भरे कमरों में मासूम बैठने को मजबूर हैं।
जर्जर शौचालय और टूटी चारदीवारी: स्कूलों में स्वच्छता पर बड़े-बड़े नारे लगाए जाते हैं, लेकिन असल तस्वीर चौंकाने वाली है। 209 शौचालय पूरी तरह जर्जर, जबकि 407 शौचालय को सिर्फ मरम्मत योग्य मानकर फाइलें निपटा दी गईं। हालत यह कि कई जगह दरवाजे टूटे, पानी की व्यवस्था नहीं और बदबू से कक्षाएं तक प्रभावित। सिर्फ शौचालय ही नहीं, 197 विद्यालयों की चारदीवारी जर्जर होने से सुरक्षा भी सवालों के घेरे में है।
“जिले के जिन विद्यालयों में भवन, शौचालय या चारदीवारी जर्जर हालत में हैं, उनकी सूची तैयार कर ली गई है। प्राथमिकता के आधार पर मरम्मत और स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। ब्लॉक स्तर पर टीमों को निर्देश दिए हैं कि किसी भी हालत में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो और स्वच्छता मानकों से समझौता न किया जाए। जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।” -मनोज खुराना, डीईओ डीग।