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The magic of folk culture spreads on JKK | बिखरा लोक संस्कृति का जादू: प्रतिभागियों ने दी…

जवाहर कला केन्द्र में पारंपरिक लोकनृत्य कार्यशाला का समापन समारोह आयोजित हुआ।

मधुर लोकगीतों की गूंज और पारंपरिक वेशभूषा में तैयार होकर राजस्थानी संस्कृति के सौंदर्य को अपनी नृत्य प्रस्तुति में साकार करते कलाकार। जवाहर कला केन्द्र में मंगलवार को यही नजारा देखने को मिला। मौका रहा केन्द्र की ओर से आयोजित मधुरम महोत्सव के दूसरे दि

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40 से अधिक प्रतिभागियों ने मंच पर मनमोहक प्रस्तुति दी।

‘बाजै छै नोबत बाजा म्हारा डिग्गीपुरी का राजा’ गीत पर पदयात्रा का दृश्य साकार हुआ। श्रद्धाभाव से नृत्य करते कलाकारों ने कल्याणधणी की अराधना की। इसके बाद सामूहिक डांडिया प्रस्तुति हुई। ‘चिरमी’ नृत्य की प्रस्तुति ने सभी का ध्यान आकर्षित किया। राधा कृष्ण भजन पर नृत्य करते कलाकारों ने माखन चोरी समेत भगवान श्रीकृष्ण की विभिन्न लीलाओं को मंच पर प्रस्तुत किया, जिससे माहौल कृष्णमय हो गया।

‘बाजै छै नोबत बाजा म्हारा डिग्गीपुरी का राजा’ गीत पर पदयात्रा का दृश्य साकार हुआ।

इस दौरान प्रतिभागियों ने विभिन्न लोकगीत गाकर सुनाए। भवाई नृत्य की प्रस्तुति ने सभी को रोमांचित किया। अंत में राजस्थान के गौरव घूमर नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यशाला में प्रीति मारवाल सह प्रशिक्षक रही। गायन एवं हारमोनियम पर रमेश मेवाल, तबले पर ऋषि शर्मा, ढोलक पर कमल राणा ने संगत की।

‘चिरमी’ नृत्य की प्रस्तुति ने सभी का ध्यान आकर्षित किया।

गौरतलब है कि मधुरम महोत्सव के तीसरे दिन 20 अगस्त को रंगायन सभागार में शाम 6:30 बजे गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी, वृन्दावन के कलाकार नृत्य नाटिका ‘भ्रमर’ पेश करेंगे। इसका लेखन छैल बिहारी उपाध्याय ‘छैल’ ने जबकि परिकल्पना व निर्देशन प्रो. दिनेश खन्ना ने किया है। राधा, कृष्ण व गोपियों के वेश में तैयार कलाकार संगीत और रंगमंच के रंग में रंगी प्रस्तुति में भगवान श्रीकृष्ण की लीला को मंच पर साकार करेंगे।

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