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BJP in-charge called the vice-presidential candidate a Jat | भाजपा प्रभारी ने उपराष्ट्रपति पद…

प्रदेश भाजपा प्रभारी राधामोहन दास अग्रवाल एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के प्रत्याशी सीपी राधाकृष्णन को जाट बताकर ट्रोलर्स के निशाने पर आ गए हैं। उन्होंने सोमवार-मंगलवार को पोस्ट कर लिखा था- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश के करोड़ों जाट समाज के लोगों की

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उन्होंने तमिलनाडु जाट समाज के नेता और पूर्व सांसद सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाकर जाट समाज के लिए अपनापन दिखाया।

इस पोस्ट के बाद वे ट्रोलर्स के निशाने पर आ गए। ट्रोलर्स ने लिखा- ‘तमिलनाडु में जाट कहा से आ गए। जाटों की तो भाजपा और आपको सुगंध आती है, इसलिए तो आप बार-बार जाटों को अपमानित कर रहे हैं, कितनी बार करोगे अपमानित।’ बीजेपी प्रभारी ने भी ट्रोलर्स को जवाब दिया।

जगदीप धनखड़ को कहां गायब किया है ट्रोलर्स यहीं नहीं रुके। एक यूजर चौधरी जय ने लिखा- गर्व महसूस करवा दिया आपने श्रीमान। जब 70 से ज्यादा किसानों की शहादत के समय पहलवान बेटियों को सड़क पर घसीटना, एक पार्टी को वृक्ष की तरह सींचने वाले मलिक साहब के देहांत के समय, जगदीप धनखड़ को कहां गायब किया है? जाट समाज को अच्छे से आपने फुटबॉल बनाया है, याद रखेंगे।

एक यूजर ढ़ाका सुरेंद्र ने लिखा- बीजेपी राजस्थान प्रभारी राधामोहन अग्रवाल एक तमिल शूद्र को जाट बताकर, जाटों की खिल्ली उड़ा रहा है! लेकिन इससे भक्त जाटों को क्या फर्क पड़ेगा?

प्रभारी ने दिया ट्रोलर्स को जवाब ट्रोल होने पर भाजपा प्रभारी डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल ने अपने सोमवार के पोस्ट को रिपोस्ट करते हुए लिखा- आज जाट समाज पर गर्व की अनुभूति होती है कि यह समाज सिर्फ उत्तर भारत ही नहीं सुदूर दक्षिण की सीमा तमिलनाडु तक प्रभावी है। उत्तर-दक्षिण सांस्कृतिक सम्मेलन में इस समाज ने इतनी प्रभावी भूमिका का निर्वहन किया है। प्रभारी ने हर ट्रोलर्स के कमेंट पर लगभग यहीं जवाब दिया।

अब जानिए- सीपी राधाकृष्णन के बारे में…

झारखंड के गवर्नर रहे, तेलंगाना-पुडुचेरी का प्रभार संभाला राधाकृष्णन जुलाई 2024 से महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। इससे पहले वे झारखंड के राज्यपाल थे और तेलंगाना व पुडुचेरी का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला था।

अब उपराष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्रक्रिया समझिए….

9 सिंतबर को उपराष्ट्रपति चुनाव

6 स्टेप में चुना जाता है उपराष्ट्रपति, ऐसे समझें

  • सबसे पहले निर्वाचक मंडल की लिस्ट बनती है: उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए सबसे पहले निर्वाचक मंडल लिस्ट बनती है। इसमें लोकसभा और राज्यसभा के सभी निर्वाचित और नामित सदस्य (सांसद) शामिल होते हैं। राज्यसभा में 233 निर्वाचित सांसद और 12 नामांकित सांसद हैं। लोकसभा में 543 सांसद हैं। यानी कुल सांसदों की संख्या 788 है। मौजूदा समय में राज्यसभा में 5 और लोकसभा में एक सीट खाली है। इसलिए निर्वाचक मंडल में यह संख्या 782 होगी। इस तरह उपराष्ट्रपति चुनाव जीत में 391 सांसदों (50%) के समर्थन की जरूरत होगी।
  • 7 अगस्त को जारी हुई अधिसूचना: चुनाव आयोग ने 1 अगस्त को उपराष्ट्रपति के चुनाव की तारीखों का ऐलान किया। अधिसूचना 7 अगस्त को जारी की गई। नामांकन की आखिरी तारीख 21 अगस्त है। 25 अगस्त को कैंडिडेट नामांकन वापस ले सकता है।
  • नामांकन के लिए 20 सांसदों का समर्थन जरूरी: उम्मीदवार को कम से कम 20 सांसदों की तरफ से प्रस्तावित होना जरूरी है। इसके अलावा 20 सांसदों का समर्थन भी चाहिए।
  • सांसद ही मतदाता, इसलिए प्रचार सीमित: चुनाव में केवल सांसद मतदाता होते हैं। इसलिए यह प्रचार सीमित दायरे में होता है। उम्मीदवार और उनके समर्थक दल प्रचार में शामिल होते हैं।
  • मतदान कैसे होता है: हर सांसद मतपत्र पर प्रत्याशियों को प्राथमिकता के क्रम में (1, 2, 3…) टिक करता है। वोटिंग तभी होती है, जब एक से अधिक उम्मीदवार मैदान में होते हैं। अन्यथा एक उम्मीदवार होने पर प्रत्याशी निर्विरोध चुनाव जीत जाता है।
  • एक ही दिन वोटिंग और रिजल्ट: मतदान के बाद ही रिजल्ट आ जाता है। उसकी वजह यह है कि दोनों सदनों के 782 सदस्य मतदान करते हैं। इनकी गणना कुछ घंटों में हो जाती है। जीत के लिए कुल वैध मतों का बहुमत यानी 50% से अधिक प्राप्त करना होता है। इसके बाद नतीजे घोषित किए जाते हैं। इस बार 9 सितंबर को सुबह 10 से 5 बजे के बीच वोटिंग होगी।

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