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क्या तिरुचि शिवा होंगे विपक्ष के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार? इस सांसद ने दिया जवाब

भारतीय जनता पार्टी (BJP) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने रविवार (17 अगस्त, 2025) को महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया है. वहीं, विपक्षी इंडिया गठबंधन उपराष्ट्रपति पद के लिए अपने उम्मीदवार की तलाश कर रही है. इसको लेकर मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर इंडिया ब्लॉक के नेताओं की बैठक हुई. हालांकि, विपक्ष की बैठक के पहले डीएमके सांसद तिरुचि शिवा के नाम की अटकलें लगाई जा रही हैं.

उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार पर बोले सीपीआई (एम) नेता

उपराष्ट्रपति पद के लिए डीएमके सांसद तिरुचि शिवा के संभावित उम्मीदवार होने की अटकलों पर सीपीआई (एम) के सांसद जॉन ब्रिटास ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, “भाजपा RSS से जुड़े व्यक्ति को उपराष्ट्रपति बनाना चाहती थी और उन्हें अब ऐसा एक योग्य उम्मीदवार भी मिल गया है, जो उनकी तय की हुई कसौटियों पर खरा उतरता है. इंडिया ब्लॉक की पार्टियां इस मुद्दे पर चर्चा करेंगी और हम शाम को मिल रहे हैं, ताकि उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपनी रणनीति तय कर सकें.”

डीएमके सांसद तिरुचि शिवा के नाम की अटकलों पर ब्रिटास ने कहा, “उम्मीदवार कोई भी हो सकता है. वे (डीएमके सांसद तिरुचि शिवा) निश्चित रूप से सक्षम व्यक्ति हैं. लेकिन और भी बहुत सारे लोग हैं तो हम किसी को चुन लेंगे.”

CEC के बयान पर क्या बोले सीपीआई (एम) नेता?

भारतीय चुनाव आयोग (ECI) के मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के बयान को लेकर सीपीआई (एम) सांसद जॉन ब्रिटास ने कहा, “CEC ने कल रविवार (17 अगस्त, 2025) को जो एकमात्र सही बात कही, वह यह थी कि करोड़ों लोग बेघर हैं और वे सड़कों पर ही सो रहे हैं; करोड़ों लोग अनाथ है. जिनके माता-पिता नहीं हैं और इसलिए जिनके पास घर नहीं है तो वे अपने पते में ‘0’ (जीरो) लिखेंगे और जिन लोगों के माता-पिता नहीं हैं, तो वे ‘ABCDEFG…’ लिखेंगे. इसके अलावा, बाकी सभी बातें झूठ थीं.”

किसी नेता को CEC निर्देश कैसे दे सकते हैं?- जॉन

उन्होंने कहा, “मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) कौन होते हैं किसी राजनेता को निर्देश देने वाले? क्या वे मतदाता सूची को प्रमाणित कर सकते हैं? चुनाव आयोग को जो सबसे पहले करना चाहिए, वो है मतदाता सूची को प्रमाणिकरण. उसके बाद हम किसी भी दस्तावेज को प्रमाणित कर देंगे, जो वे चाहें.”

उन्होंने आगे कहा, “हम एसआईआर (SIR) के खिलाफ नहीं हैं. जब हमारी चुनाव आयोग के साथ बैठक हुई थी, तब हमने कहा था कि हम मतदाता सूची के पुनरीक्षण के पक्ष में हैं. लेकिन मात्र तीन या चार हफ्ते की समयसीमा तय कर देना और इस तरह के दस्तावेजों के लिए जोर देना किसी भी तरह से व्यावहारिक नहीं है.”

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