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Darshan time changed in Jaipur Shri Govinddevji temple | जयपुर श्री गोविंददेवजी मंदिर में बदला…

जयपुर आराध्य ठाकुर श्री गोविंददेवजी मंदिर में 18 अगस्त सोमवार से दर्शन समय में बड़ा बदलाव किया गया है। अब प्रतिदिन ठाकुर जी की मंगला झांकी सिर्फ 15 मिनट यानी सुबह 5 बजे से 5 बजकर 15 मिनट तक होगी। वहीं रविवार और एकादशी पर श्रद्धालुओं को विशेष अवसर मिल

.

दर्शन व्यवस्था के साथ मंदिर में धार्मिक आयोजनों का भी पूरा कैलेंडर जारी किया गया है। अगस्त से अक्टूबर तक अजा एकादशी, राधा अष्टमी, जलझूलनी एकादशी, इन्दिरा एकादशी, शारदीय नवरात्र प्रारंभ और पापांकुशा एकादशी जैसे पर्व धूमधाम से मनाए जाएंगे। इस अवधि में हर पर्व पर विशेष झांकियां सजेंगी और मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ेगी। मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं से भारतीय परिधान में आने की अपील की है, जिसमें पुरुषों के लिए धोती-कुर्ता और महिलाओं के लिए साड़ी या पारंपरिक पोशाक अनिवार्य होगी।

अलग-अलग झांकी और दर्शन का समय (18 अगस्त से 4 अक्टूबर)

मंगला झांकी : सुबह 05:00 से 05:15 बजे तक

धूप झांकी : सुबह 07:45 से 09:00 बजे तक

श्रृंगार झांकी : सुबह 09:30 से 10:15 बजे तक

राजभोग झांकी : सुबह 10:45 से 11:15 बजे तक

ग्वाल झांकी : शाम 05:00 से 05:15 बजे तक

संध्या झांकी : शाम 05:45 से 06:45 बजे तक

शयन झांकी : रात 08:00 से 08:15 बजे तक

रविवार और एकादशी दर्शन समय

मंगला झांकी : सुबह 04:30 से 05:15 बजे तक

धूप झांकी : सुबह 07:30 से 09:00 बजे तक

ग्वाल झांकी : शाम 04:45 से 05:15 बजे तक

शयन झांकी : रात 07:45 से 08:15 बजे तक

मंदिर में होने वाले प्रमुख आयोजन

अजा एकादशी : 19 अगस्त

अमावस्या : 23 अगस्त

श्री राधा अष्टमी : 31 अगस्त

जलझूलनी एकादशी : 3 सितंबर

पूर्णिमा : 7 सितंबर

इन्दिरा एकादशी : 17 सितंबर

अमावस्या : 21 सितंबर

शारदीय नवरात्र प्रारंभ : 22 सितंबर (मंदिर देवी श्री जमवाय माता, कनक घाटी, जयपुर)

पापांकुशा एकादशी : 3 अक्टूबर

दर्शन के लिए ड्रेस कोड

पुरुषों के लिए : धोती, कुर्ता, पायजामा, जाकेट, अंगवस्त्रम

महिलाओं के लिए : साड़ी, सलवार सूट, लहंगा-चोली, ओढ़नी

मंदिर प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि मोबाइल, पर्स, बेल्ट, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, खाने-पीने की वस्तुएं, चमड़े के सामान और अन्य प्रतिबंधित सामग्री मंदिर परिसर में नहीं ले जाई जा सकेगी। साथ ही, श्रद्धालुओं से आग्रह किया गया है कि वे मंदिर परिसर में अनुशासन और शालीनता बनाए रखें।

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