‘चुनाव आयोग ने बेशर्मी की सारी हदें पार की’, केसी वेणुगोपाल ने लगाए गंभीर आरोप, EC ने क्या दिया…

राहुल गांधी के वोट चोरी और बिहार में एसआईआर के मुद्दे को लेकर कांग्रेस इलेक्शन कमीशन पर लगातार हमलावर है. शनिवार (16 अगस्त, 2025) को एक बार फिर पार्टी ने चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए बेशर्मी की सारी हदें पार करने और अपने संवैधानिक कर्तव्य निभाने में विफल रहने का आरोप लगाया है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद केसी वेणुगोपाल ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि वोट चोरी और बड़े पैमाने पर धांधली के गंभीर आरोपों के बावजूद चुनाव आयोग अपनी सभी ज़िम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहा है. उन्होंने कहा कि संवैधानिक अधिकारियों से अपेक्षा की जाती है कि वे ईमानदारी की प्रतिमूर्ति बनें न कि लोकतंत्र को नष्ट करने के लिए अस्पष्ट रूप से तैयार किए गए प्रेस नोटों के पीछे छिपें.
The ECI has crossed all limits of shamelessness by shrugging all its responsibilities in the face of grave allegations of vote theft and mass rigging.
Constitutional authorities are expected to be the epitome of probity – not hide behind vaguely drafted press notes to hide… pic.twitter.com/XKL9wsxFo6
— K C Venugopal (@kcvenugopalmp) August 16, 2025
केसी वेणुगोपाल के गंभीर आरोप
कांग्रेस सांसद ने आरोप लगाते हुए कहा कि मतदाता सूची देने से इनकार करना और पहले से अपलोड किए गए मसौदा एसआईआर सूची के मशीन-पठनीय संस्करणों को हटाना क्या बताता है. उन्होंने आगे कहा कि 45 दिनों के भीतर सीसीटीवी फुटेज हटाना, सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष यह प्रस्तुत करना कि बिहार एसआईआर प्रक्रिया में 65 लाख नामों को हटाने के पीछे का कारण बताने के लिए वह बाध्य नहीं हैं, चुनाव आयोग से मिलने के लिए मार्च कर रहे विपक्षी सांसदों से मिलने से इनकार करना. ये बताता है कि बीजेपी-नियंत्रित चुनाव आयोग बड़े पैमाने पर चुनावी धांधली के बारे में जनता की गंभीर चिंताओं को दूर करने के लिए कोई कदम नहीं उठाएगा.
आरोपों पर चुनाव आयोग का बयान
विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि राजनीतिक दलों के लिए त्रुटियों को चिन्हित करने का उपयुक्त समय मसौदा मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद दावों और आपत्तियों की अवधि के दौरान होता है. चुनाव आयोग ने अपने बयान में कहा कि ऐसा लगता है कि कुछ राजनीतिक दलों और उनके बूथ स्तरीय एजेंटों (बीएलए) ने उचित समय पर मतदाता सूचियों की जांच नहीं की और यदि कोई त्रुटि थी तो उसके बारे में उस वक्त कुछ नहीं कहा.
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