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Parents, forgive me, I will not be able to support you in your old age | ‘मां-बाबा माफ करना,…

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34 मिनट पहले

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अगर आप यह पढ़ रहे है तो मैं मर चुका हूं। मेरी मौत मेरा खुद का फैसला है। इसमें कोई शामिल नहीं है। मैं यह करीब एक साल से प्लान कर रहा था। ये दुनिया मेरे लिए नहीं है या शायद मैं इसके लिए नहीं हूं। मैं किसी काम का नहीं हूं। यूजलेस हूं। पुलिस से भी मेरी यही रिक्वेस्ट है कि मेरी मौत के लिए किसी को डिटेन ना किया जाए। मैं अपने कॉलेज से भी एक रिक्वेस्ट करना चाहता हूं। क्योंकि सेकेंड ईयर के बाद मैंने कॉलेज जॉइन नहीं किया तो प्लीज मेरी बची हुई फीस मेरे माता-पिता को लौटा दी जाए।

मैं एक अच्छा स्टूडेंट नहीं हूं या शायद इस एजुकेशन सिस्टम के लिए नहीं हूं। अगर यह देश महान बनना चाहता है तो एजुकेशन सिस्टम को सुधारना होगा।

मैं अपने सभी अंगदान करना चाहूंगा अगर तब तक ये फंक्शनल बचते हैं।

मैं उन सभी से माफी मांगना चाहता हूं जो मुझसे प्यार करते हैं। मां, बाबा मुझे माफ करना, मैं आपके बुढ़ापे का सहारा नहीं बन सकूंगा।

मैं यह स्ट्रेस और प्रेशर नहीं झेल सकता। मैं लोगों से कहना चाहूंगा कि डरना मत, मैं मरने के बाद किसी को परेशान नहीं करुंगा।

मुझे माफ कर देना।

यह मार्मिक चिट्ठी 24 साल के शिवम डे की है। ग्रेटर नोएडा की शारदा यूनिवर्सिटी में Btech में पढ़ने वाले शिवम ने अपने हॉस्टल के कमरे में सुसाइड कर लिया। पुलिस के अनुसार घटना 15 अगस्त की है और उसके कमरे से यह सुसाइड नोट मिला है। शिवम बिहार के मधुबनी का रहने वाला था।

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100 में से 8 सुसाइड स्टूडेंट्स ने की

जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने स्टूडेंट सुसाइड की बढ़ती घटनाओं को लेकर चिंता जताई थी और इसे सिस्टम की नाकामी कहा था। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट में बढ़ते आंकड़े परेशान करने वाले हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 में देशभर में कुल 1 लाख 70 हजार 924 लोगों ने आत्महत्या की, जिनमें से 13,044 छात्र थे। वहीं, साल 2001 में 5,425 स्टूडेंट्स ने सुसाइड किया था।

NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक, 100 आत्महत्याओं में करीब 8 छात्र शामिल थे। इनमें से 2,248 छात्रों ने सिर्फ इसलिए जान दे दी, क्योंकि वे परीक्षा में फेल हो गए थे।

कोर्ट ने कहा था-

जब युवा बच्चे पढ़ाई के बोझ, समाज के तानों, मानसिक तनाव और स्कूल-कॉलेज की बेरुखी जैसी वजहों से अपनी जान दे रहे हैं तो यह साफ दिखाता है कि हमारी पूरी व्यवस्था कहीं न कहीं फेल हो रही है।

इस सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूरे देश के लिए 15 अहम दिशा-निर्देश जारी किए। इसका मकसद छात्रों की मानसिक स्थिति को सुधारना और आत्महत्या की घटनाओं को रोकना है।

मार्च में कोर्ट ने टास्क फोर्स बनाने का आदेश दिया था

सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल मार्च में छात्रों की मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं और आत्महत्या की घटनाओं को रोकने के लिए ‘नेशनल टास्क फोर्स’ (NTF) बनाने का आदेश दिया था।

कोर्ट ने कहा था कि यूनिवर्सिटीज न केवल लर्निंग सेंटर बनें, बल्कि छात्रों के कल्याण और विकास के लिए जिम्मेदार संस्थान की भूमिका भी निभाएं।

भारत में स्टूडेंट सुसाइड की रोकथाम के लिए सरकार ने ये नियम बनाए

1. मेंटल हेल्थकेयर एक्ट, 2017

इस एक्ट के अनुसार मानसिक विकारों से पीड़ित व्यक्ति को इसके लिए ट्रीटमेंट लेने और गरिमा के साथ जीवन जीने का पूरा हक है।

2. एंटी रैगिंग मेजर्स

सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, रैगिंग की शिकायत आने पर सभी एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स को पुलिस के पास FIR दर्ज करानी होगी। साल 2009 में हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स में रैगिंग की घटनाओं की रोकथाम के लिए यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन यानी UGC ने रेगुलेशन जारी की थी।

3. स्टूडेंट काउंसलिंग सिस्टम

स्टूडेंट्स की एंग्जायटी, स्ट्रेस, होमसिकनेस, फेल होने के डर जैसी समस्याओं को सुलझाने के लिए UGC ने 2016 में यूनिवर्सिटीज को स्टूडेंट्स काउंसलिंग सिस्टम सेट-अप करने को कहा था।

4. गेटकीपर्स ट्रेनिंग फॉर सुसाइड प्रिवेंशन बॉय NIMHANS, SPIF

NIMHANS यानी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस और SPIF यानी सुसाइड प्रिवेंशन इंडिया फाउंडेशन इस ट्रेनिंग को कराते हैं। इसके जरिए गेटकीपर्स का एक नेटवर्क तैयार किया जाता है जो सुसाइडल लोगों की पहचान कर सके।

5. NEP 2020

टीचर्स स्टूडेंट्स की सोशियो-इमोशनल लर्निंग और स्कूल सिस्टम में कम्यूनिटी इनवॉल्वमेंट पर ध्यान दें। साथ ही स्कूलों में सोशल वर्कर्स और काउंसलर्स भी होने चाहिए।

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