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सांसद बनने के बाद कंगना रनौत के लिए पीरियड्स बने आफत, बोलीं- ‘इसे मैनेज करना पॉसिबल नहीं’

 कंगना रनौत बॉलीवुड की बेबाक एक्ट्रेस हैं और वे किसी भी मुद्दे पर अपनी राय रखने से पीछे नहीं हटती हैं. वहीं कंगना अब राजानीति में भी उतर चुकी हैं वे मंडी से बीजेपी सांसद हैं. एक्ट्रेस टेर्न पॉलिटिशियन कंगना रनौत अक्सर अपने राजनीतिक सफ़र के बारे में भी काफ़ी खुलकर बात करती रही हैं, और अपने हालिया इंटरव्यू में, उन्होंने फ़िल्म शूटिंग के दौरान और सांसद के तौर पर लंबी यात्राओं के दौरान पीरियड्स हाईजीन मैनेज करने को लेकर खुलकर बात की है.  एक पॉलिटिशियन के तौर पर अपनी लाइफ की तुलना एक अभिनेत्री की लाइफ से करते हुए, उन्होंने कहा कि एक राजनेता को और भी ज़्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

सफर के दौरान मेंस्ट्रुअल हाइजीन कैसे मैंटेन करती हैं कंगना रनौत
दरअसल हॉटरफ्लाई के द मेल फ़ेमिनिस्ट से बात करते हुए, जब कंगना रनौत से पूछा गया कि वह बाहर मेंस्ट्रुअल हाइजीन कैसे बनाए रखती हैं, तो अभिनेत्री ने कहा, “भारत में बहुत सारी समस्याएं हैं. शूटिंग एक बहुत ही आलीशान जगह है. अभिनेत्रियों के लिए वैन हैं. आप जितनी चाहें उतनी बार पैड (सैनिटरी नैपकिन) बदल सकती हैं. आप नहा सकती हैं. वे आपके लिए मिनरल वाटर गर्म कर देते हैं.”

 कंगना ने आगे कहा, “मैं जिस तरह की राजनीतिक लाइन में हूं, हम दिन में 12 घंटे सफ़र करते हैं. ऐसी कोई जगह नहीं है जहां महिलाएं टॉयलेट जा सकें. यह दूसरे सांसदों के लिए भी एक प्रॉब्लम है. यह बहुत बड़ी समस्या है. आप इसके बारे में क्या कह सकते हैं? यह एक आपदा है, इसे मैनेज करना पॉसिबल नहीं है.”

 


कंगना रनौत का फिल्मी सफर
कंगना ने 2006 में महेश भट्ट द्वारा प्रोड्यूस अनुराग बसु की फ़िल्म गैंगस्टर से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्होंने वो लम्हे (2006) और लाइफ इन ए मेट्रो (2007) जैसी फ़िल्मों में काम किया और फिर मधुर भंडारकर द्वारा निर्देशित फ़िल्म फ़ैशन (2008) में काम किया, जिसके लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का पहला नेशनल फ़िल्म पुरस्कार मिला. इसके बाद क्वीन (2014) और तनु वेड्स मनु रिटर्न्स (2015) के साथ उनके करियर ने नई ऊंचाइयों को छुआ और  कई अवॉर्ड भी जीते. कंगना को आखिरी बार इमरजेंसी में देखा गया था.

कंगना का राजनीतिक सफ़र
कंगना रनौत ने 2024 में राजनीति में एंट्री की थी और वे  भाजपा में शामिल हुईं  थी. फिर उन्होंने हिमाचल प्रदेश के मंडी से सांसद के रूप में जीत हासिल की. अपने बेबाक राय के लिए जानी जाने वाली, उन्हें बाढ़ राहत विवादों से लेकर बेबाक राजनीतिक बयानों तक, प्रशंसा और आलोचना, दोनों का सामना करना पड़ा है.

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