Janmashtami 2025: निर्जला या फलाहार कैसे रखें जन्माष्टमी उपवास, गलती से व्रत टूट जाए तो क्या…

हिंदू धर्म में जन्माष्टमी का पर्व भक्तों के लिए खास महत्व रखता है. इस साल जन्माष्टमी 16 अगस्त 2025 को है. इस दिन लोग व्रत रखकर कान्हा के बाल स्वरूप की पूजा-अराधना करते हैं. जन्माष्टमी के दिन व्रत रखना श्रीकृष्ण की भक्ति और आस्था का प्रतीक है.
जन्माष्टमी के दिन सुबह से लेकर रात्रि तक व्रत रखा जाता है. लेकिन सवाल यह है कि, यह व्रत निर्जला रखें या फलाहार और अगर व्रत गलती से टूट जाए तो फिर क्या करना चाहिए. आइये जानते हैं.
निर्जला या फलाहार कैसे रखें जन्माष्टमी व्रत
जन्माष्टमी का व्रत आप निर्जला या फलाहार दोनों तरह से रख सकते हैं. व्रत का असली उद्देश्य भगवान के प्रति प्रेम, श्रद्धा और आत्मसंयम करना है. इसलिए कोई भी व्रत अपनी क्षमता और स्वास्थ्य के अनुसार ही रखें.
निर्जला व्रत कठिन माना जाता है. इसमें अन्न, जल, फल कुछ भी सेवन नहीं करना होता है. भक्त पूरे दिन भूखे रहकर भजन-कीर्तन, श्रीकृष्ण जन्म कथा का श्रवण और ध्यान में समय बिताते हैं. इसके लिए मध्यरात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण के जन्म के बाद पूजा कर भोग लगाने के बाद ही जल और प्रसाद से व्रत खोला जाता है. अगर आप निर्जला व्रत रख रहे हैं तो इन नियमों का पालन करें.
साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि, निर्जला व्रत केवल उन्हीं को करना चाहिए जो शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं. गंभीर बीमारी के पीड़ित लोग, गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली माताएं या बुजुर्ग आदि निर्जला व्रत न रखें.
जन्माष्टमी व्रत में कई लोग फलाहार भी लेते हैं. यह व्रत उनके लिए उपयुक्त है जिन्हें निर्जला व्रत रखना कठिन लगता है या किसी कारण निर्जला व्रत नहीं रख पाते. फलाहार व्रत के दौरान आप फल, दूध, जूस, साबूदाना, कुट्टू या सिंघाड़े के आटे से बने व्यंजन ले सकते हैं. लेकिन गेहूं, चावल, दाल और तैलीय भोजन से फलाहार में भी परहेज करना आवश्यक है.
गलती से व्रत टूट जाए तो क्या करें (Galti se Vrat toot jaye to kya karen)
जन्माष्टमी का व्रत सूर्यादय से शुरू हो जाता है और रात में श्रीकृष्ण के जन्म के बाद ही समाप्त होता है. इस बीच पूरे दिन व्रत रखना चाहिए. लेकिन व्रत के दौरान गलती से कुछ खा लिया (अन्न) तो व्रत टूट जाता है या खंडित हो जाता है. लेकिन घबराएं नहीं अगर आपने भूलवश कुछ खा लिया है तो सबसे पहले श्रीकृष्ण से इसके लिए क्षमा मांगे. इसके लिए भगवान का स्मरण करते हुए कम से कम 5 बार यह मंत्र पढ़ें-
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन। यत्पूजितं मया देवा परिपूर्ण तदस्तु मे॥
ॐ श्री विष्णवे नमः क्षमा याचना समर्पयामि॥
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
मंत्र जाप करने के बाद श्रीकृष्ण से यह प्रार्थना करें कि, भूलवश मुझसे व्रत खंडित हुआ है, आप इसके लिए मुझे क्षमा करें प्रभु. इसके बाद आप अपना व्रत जारी रख सकते हैं और रात्रि में पूजा-पाठ करने के बाद भोग ग्रहण कर व्रत खोलें. याद रखें देव से दयालु कोई नहीं है, वे जाने-अनजाने में हुई गलतियों को जरूर क्षमा कर देते हैं. लेकिन यह उपाय सिर्फ वही कर सकते हैं जिनका व्रत तोड़ने का कोई उद्देश्य नहीं था बल्कि व्रत गलती से टूट गया हो.
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