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Perplexity CEO offers to buy Google Chrome | Perplexity के CEO ने गूगल क्रोम खरीदने का ऑफर…

12 मिनट पहले

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्टार्टअप परप्लेक्सिटी एआई (Perplexity AI) ने गूगल के पॉपुलर ब्राउजर क्रोम (Chrome) को खरीदने का ऑफर दिया है। इस ऑफर की कीमत 34.5 अरब डॉलर यानी लगभग 3 लाख करोड़ रुपए है। हालांकि कंपनी की खुद की वैल्यूएशन करीब 18 अरब डॉलर है।

इस ऑफरिंग के बाद से Perplexity के CEO अरविंद श्रीनिवास लगातार चर्चा में हैं। श्रीनिवास को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग में एक्सपर्ट माना जाता है।

PhD के दौरान ही अरविंद ने OpenAI, DeepMind और Google जैसे ऑर्गनाइजेशन में इंटर्नशिप की, जहां उन्होंने रीइन्फोर्समेंट लर्निंग और लार्ज-स्केल लर्निंग मॉडल्स पर काम किया।

OpenAI में रिसर्च इंटर्न

अरविंद ने साल 2018 में सैन फ्रांसिस्को स्थित OpenAI में बतौर रिसर्च इंटर्न के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। यहां उन्होंने 4 महीने तक काम किया। इस दौरान पॉलिसी ग्रेडिएंट एल्गोरिदम पर रिसर्च किया। OpenAI उस समय ChatGPT जैसे मॉडल्स पर शुरुआती काम कर रहा था।

DeepMind में रिसर्च इंटर्न

अरविंद ने साल 2019 में इंटर्न के रूप में DeepMind जॉइन किया। लंदन स्थित ऑफिस में उन्होंने 4 महीने की इंटर्नशिप पूरी की। इस दौरान उन्होंने लार्ज-स्केल कॉन्ट्रास्टिव लर्निंग (CPCv2) पर काम किया। इस इंटर्नशिप ने उन्हें लार्ज-स्केल AI मॉडल्स और डीप लर्निंग तकनीकों में एक्सपर्टीज मिली। DeepMind गूगल की AI रिसर्च ब्रांच है, जो अल्ट्रा-मॉडर्न AI प्रोजेक्ट्स के लिए जानी जाती है।

Google में रिसर्च इंटर्न

साल 2020 में अरविंद ने कैलिफोर्निया में Google को जॉइन किया। यहां उन्होंने 1 साल तक काम किया। इस दौरान उन्होंने विजन ट्रांसफॉर्मर मॉडल्स जैसे Bottleneck Transformers और HaloNet पर काम किया। उन्होंने SoTA (State-of-the-Art) विजन मॉडल्स जैसे Copy-Paste Augmentation और ResNet-RS पर भी योगदान दिया।

सर्च ब्राउजर कॉमेट की शुरुआत की

अरविंद के नेतृत्व में Perplexity कंपनी ने 2025 में एक ऐसा ही AI से चलने वाला ब्राउजर बनाया, ज‍िसका नाम कॉमेट (Comet) है। ये ब्राउजर AI टेक्नोलॉजी पर काम करता है। Perplexity कंपनी अपने इस वेब ब्राउजर में ऑटो-रिप्लाई जैसे कई फीचर्स देती है, जो गूगल क्रोम में अभी फिलहाल नहीं है।

ब्राउजर मामले में गूगल क्रोम टॉप पर

ब्राउजर के मामले में अभी गूगल क्रोम को कोई पीछे नहीं कर सका है। 2025 की रिपोर्ट के अनुसार अनुमान है कि 3.45 बिलियन से अधिक यूजर्स इसका इस्तेमाल करते हैं। गूगल का ये ब्राउजर विंडोज, मैक, एंड्रॉइड सभी ओपरेटिंग सिस्टम के लिए मौजूद है। यूजर्स गूगल क्रोम की सेफ्टी वॉल को लेकर इसे पसंद करते हैं।

ये खबर भी पढ़ें… केवल लंदन में होती थी सिविल सर्विस परीक्षा:18 साल में सिर्फ 4 भारतीय पास कर पाए; आज 10 भर्ती परीक्षाएं कराता है UPSC

साल 1854 की बात है भारत पर ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन लागू था। सत्ता के सभी प्रशासनिक पदों पर कंपनी के चुने हुए लोग नियुक्त होते थे। ऐसे में गवर्नर जनरल डलहौजी और लॉर्ड मैकॉले की एक कमेटी ने सिफारिश पेश की कि प्रशासनिक भर्तियां मेरिट बेस्ड परीक्षा के आधार पर होनी चाहिए।

इस आधार पर साल 1855 में इंपीरियल सिविल सर्विस यानी ICS भर्ती परीक्षा शुरू हुई। 1855 में पहली बार ICS परीक्षा लंदन में आयोजित की गई। हालांकि, इसमें एक भी भारतीय शामिल नहीं हुआ। पढ़ें पूरी खबर…

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