haryana former CM bansi lal family Controversy | kiran chaudhary anirudh chaudhary | बंसीलाल…

भिवानी में अलग-अलग कार्यक्रमों में एक दूसरे पर निशाना साधते अनिरुद्ध चौधरी और किरण चौधरी।
हरियाणा के पूर्व CM चौधरी बंसीलाल के परिवार में एक बार फिर खुलकर जुबानी जंग शुरू हो गई है। कांग्रेस हाईकमान की ओर से हरियाणा में 11 साल बाद जिलाध्यक्षों के ऐलान किए जाने पर बंसीलाल की पुत्रवधू और BJP की राज्यसभा सांसद किरण चौधरी ने चुटकी ली है। उन्हो
.
ध्यान रहे कि कांग्रेस ने भिवानी ग्रामीण जिला इकाई की कमान स्व. बंसीलाल के पौत्र अनिरुद्ध चौधरी को सौंपी हैं। अनिरुद्ध बंसीलाल के बड़े बेटे रणबीर महेंद्रा के पुत्र हैं जबकि किरण बंसीलाल के छोटे बेटे स्व. सुरेंद्र सिंह की पत्नी हैं। हरियाणा में रणबीर महेंद्रा और किरण चौधरी के परिवार में छत्तीस का आंकड़ा है। किरण चौधरी की टिप्पणी को अनिरुद्ध की नियुक्ति से जोड़कर देखा जा रहा है।
उधर किरण चौधरी की इस टिप्पणी पर अनिरुद्ध ने पलटवार करते हुए कहा कि चाची का गणित कमजोर है।
किरण चौधरी शुक्रवार को भिवानी में जिलास्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह में बतौर चीफ गेस्ट शामिल हुईं। इस कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत में किरण ने कांग्रेस के ‘वोट चोरी’ अभियान और 11 साल बाद हरियाणा में कांग्रेस संगठन के विस्तार पर तंज कसा।
वहीं दूसरी ओर उनके भतीजे और भिवानी ग्रामीण कांग्रेस इकाई के नवनियुक्त जिलाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी भी शुक्रवार को भिवानी के तिलक भवन पहुंचे जहां पार्टी ने स्वतंत्रता दिवस पर कार्यक्रम रखा। इसी प्रोग्राम के बाद अनिरुद्ध से किरण चौधरी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दी।
पहले जानिए, किरण चौधरी ने क्या कहा…
- देशहित के साथ राजनीति सबसे बुरी: भाजपा की राज्यसभा सांसद किरण चौधरी ने कांग्रेस के ‘वोट चोरी’ को लेकर चलाए जा रहे अभियान पर कहा- बड़े दुर्भाग्य की बात है कि सभी ओर जश्न का माहौल है। आज तिरंगा सबसे ऊंचा हैं। राजनीति अपने स्तर पर होती है। जब राजनीति देशहित के साथ होने लगती है तो उससे बुरा कुछ नहीं होता।
- कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष और अध्यक्ष तक नहीं चुन पाई: कांग्रेस की ओर से 11 साल बाद संगठन बनाए जाने पर किरण ने कहा- ये सारा भाई-भतीजावाद है। कांग्रेस शून्य पर है और अब तो वह धरातल से भी नीचे चली जाएगी, क्योंकि आपसी खींचतान अभी से शुरू हो चुकी है। उस पार्टी के बारे में क्या कुछ कहें जो विधानसभा चुनाव के 9-10 महीने बाद भी नेता प्रतिपक्ष तक नहीं बना पाई। अपना प्रदेश अध्यक्ष नहीं बना पाई। संगठन ऐसे नहीं बना करते।
अब जानिए अनिरुद्ध ने अपनी चाची को क्या जवाब दिया….
- कुछ लोगों के जाने से वर्करों ने सांस ली: भिवानी ग्रामीण कांग्रेस के जिलाध्यक्ष बने अनिरुद्ध चौधरी ने कहा- कांग्रेस पार्टी को छोड़कर जाने वालों में कुछ लोग ऐसे थे, जिन्होंने ऐसे हालात पैदा कर दिए थे कि कार्यकर्ता घुटन महसूस करने लगा था। जिन्होंने ऐसे हालात बनाए, अब वे भाजपा में चले गए हैं। इससे कांग्रेस के सभी वर्करों ने आजादी की सांस ली है। सभी कार्यकर्ताओं और समर्थकों का पार्टी में वापस स्वागत है। सभी यहां साथ मिलकर काम करेंगे।
- उनके जाते ही संगठन कैसे बन गया? : किरण चौधरी की ओर से कांग्रेस को शून्य बताए जाने पर अनिरुद्ध ने चुटकी लेते हुए कहा- उनकी गणित कमजोर है। रही पिछले 11 साल की बात तो किरण चौधरी से ही सबसे पहले इसकी वजह पूछी जानी चाहिए। वह कांग्रेस से पिछले साल गए हैं। उससे पहले भिवानी में कांग्रेस उन्हीं की थी। 11 साल में भिवानी जिले में संगठन क्यों नहीं बन पाया और उनके जाते ही कैसे बन गया? यह सोचने वाली बात है। हमारे यहां आज कोई ऐसा नहीं है जिसने दूसरी पार्टी के उम्मीदवारों से कपट संधि की हो।
- मैं बंसीलाल का स्टूडेंट हूं: बंसीलाल की विरासत को लेकर चल रहे विवाद पर अनिरुद्ध चौधरी ने कहा- ‘मैं एक ही बात बोलता हूं कि मेरी रगों में चौधरी बंसीलाल का खून दौड़ रहा है। इसको कोई नकार नहीं सकता। राजनीतिक रूप से और एक प्रशासक के रूप में उन्होंने हरियाणा के लिए जो किया, मैं उनका स्टूडेंट हूं। मेरी इच्छा है कि उनसे सीख लेकर आगे बढ़ें। और कोई क्या करता है? उससे मेरा कोई लेना-देना नहीं है।’
पहले भी चाची-भतीजा आ चुके आमने-सामने किरण चौधरी और अनिरुद्ध चौधरी पहले भी आमने-सामने हो चुके हैं। भिवानी के चौधरी बंसीलाल नागरिक अस्पताल में ओपीडी शुरू करवाने पर भी दोनों में जुबानी जंग हुई थी। 9 जून को अनिरुद्ध चौधरी के नेतृत्व में कांग्रेस ने विरोध प्रदर्शन कर अस्पताल में ओपीडी फिर शुरू करवाने की मांग की थी। तब किरण चौधरी ने कहा था कि राजनीतिक रोटियां सेंकी जा रही हैं। अस्पताल चौधरी बंसीलाल ने बनवाया था और यह ऐसे ही चलेगा। चंद लोग हैं जिन्होंने अपनी दुकानें खोली हुई थी।
ये तस्वीर उस दौरान की है जब अनिरुद्ध चौधरी ने अस्पताल की ओपीडी को लेकर प्रदर्शन किया था।
विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में गईं किरण बंसीलाल का पूरा परिवार जून 2024 तक कांग्रेस पार्टी में था। अप्रैल 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी का टिकट काटते हुए राव दान सिंह को कैंडिडेट बनाया। तब किरण चौधरी ने खुलकर आरोप लगाया था कि पार्टी के इंटरनल सर्वे में श्रुति चौधरी का नाम आगे था, लेकिन पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के इशारे पर उसका टिकट काट दिया गया। उस समय किरण तोशाम से कांग्रेस की विधायक थीं।
लोकसभा चुनाव नतीजे आए तो भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर राव दान सिंह हार गए। उसके बाद 18 जून 2024 को किरण चौधरी ने कांग्रेस छोड़ दी। अगले दिन वह अपनी बेटी श्रुति चौधरी के साथ भाजपा में शामिल हो गईं। भाजपा ज्वाइन करने के बाद पार्टी ने किरण चौधरी को राज्यसभा भेज दिया और अक्टूबर 2024 में हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में उनकी बेटी श्रुति को तोशाम सीट से टिकट दी।
2024 में विधानसभा चुनाव से पहले किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गई थीं।
तोशाम सीट पर पहली बार एक-दूसरे का सामना रणबीर महेंद्रा के पुत्र अनिरुद्ध चौधरी और किरण चौधरी की बेटी श्रुति अक्टूबर-2024 के विधानसभा चुनाव में तोशाम सीट पर एक-दूसरे के सामने उतरे। इस सीट पर एक बार छोड़कर हमेशा बंसीलाल का परिवार जीतता रहा है। स्व. बंसीलाल, उनके बाद उनके छोटे बेटे सुरेंद्र सिंह और उसके बाद सुरेंद्र सिंह की पत्नी किरण चौधरी यहीं से विधायक बनीं।
भाजपा ने भी सुरेंद्र-किरण की बेटी श्रुति पर दांव लगाते हुए तोशाम से प्रत्याशी बनाया। कांग्रेस ने उनके सामने रणबीर महेंद्रा के बेटे अनिरुद्ध को टिकट देकर मुकाबला रोचक बना दिया। चुनाव में जीत श्रुति को मिली और अब वह नायब सैनी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं।
बंसीलाल के दोनों बेटे भी चुनाव में आमने-सामने हो चुके
इससे पहले एक बार बंसीलाल के बड़े बेटे रणबीर महेंद्रा और उनके छोटे बेटे सुरेंद्र सिंह ने एक-दूसरे के सामने चुनाव लड़ा था। साल 1998 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने भिवानी सीट से रणबीर महेंद्रा को टिकट दी। उस समय बंसीलाल कांग्रेस में नहीं थे और उन्होंने अपनी हरियाणा विकास पार्टी (हविपा) बना रखी थी।
कांग्रेस की ओर से रणबीर महेंद्रा को टिकट दिए जाने के बाद बंसीलाल ने अपने छोटे बेटे सुरेंद्र को भिवानी से अपना कैंडिडेट घोषित कर दिया। उस चुनाव में चौटाला परिवार से अजय चौटाला मैदान में उतरे। चुनाव में बंसीलाल की पूरी सियासत दांव पर लगी थी। हालांकि लोगों ने उनका साथ देते हुए सुरेंद्र को जितवा दिया। दूसरे नंबर पर अजय चौटाला और रणबीर महेंद्रा तीसरे स्थान पर रहे।