अब अमेरिका नहीं रहा पहली पसंद, भारतीय छात्रों को भा रही यूरोप और मिडिल ईस्ट की यूनिवर्सिटीज

अमेरिकी विश्वविद्यालयों में आवेदनों में साल-दर-साल 13 प्रतिशत की गिरावट आई है, क्योंकि भारतीय छात्र जर्मनी जैसे गंतव्यों को पसंद कर रहे हैं, जहां 2024-25 में 32.6 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई. एडटेक कंपनी अपग्रेड की ट्रांसनेशनल एजुकेशन (टीएनई) रिपोर्ट 2024-25 में कहा गया है कि अमेरिका अब भारतीय छात्रों के लिए स्वभाविक और सबसे पसंदीदा शैक्षणिक गंतव्य नहीं रह गया है.
इसमें कहा गया है कि अमेरिकी विश्वविद्यालयों में आवेदनों में साल-दर-साल 13 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि जर्मनी जैसे यूरोपीय गंतव्यों (2022 के 13.2 प्रतिशत से बढ़कर 2024-25 में 32.6 प्रतिशत) और संयुक्त अरब अमीरात (जहां 42 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय छात्र भारतीय हैं) में काफी बढ़त देखी जा रही है.
अमेरिका में 60 प्रतिशत तक पहुंची दर
रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम एशिया तेजी से भारतीय छात्रों के लिए एक व्यावहारिक और सुलभ विदेश अध्ययन स्थल बनता जा रहा है, जहां वैश्विक परिसरों से डिग्री कार्यक्रम उपलब्ध हैं. इसमें कहा गया कि दुबई और कतर के एजुकेशन सिटी में जॉर्जटाउन, जॉन्स हॉपकिन्स, आरआईटी, कार्नेगी मेलॉन और वेइल कॉर्नेल सहित अमेरिकी विश्वविद्यालयों के सैटेलाइट परिसर अपने घरेलू संस्थानों के समान ही डिग्री प्रदान करते हैं.
रिपोर्ट में कहा गया कि 2022 में अमेरिका (19 प्रतिशत) और कनाडा (18 प्रतिशत) भारतीय छात्रों के लिए शीर्ष गंतव्य थे. इसके अनुसार, 2023 तक अमेरिका में यह दर लगभग 60 प्रतिशत तक पहुंच गई, जो कई कारकों के कारण 47 प्रतिशत पर आकर रूक गई. दो साल बाद परिदृश्य बदल गया, क्योंकि यह करियर के लिहाज से उपयुक्त था.
कनाडा में भी आवेदनों में कमी
ट्रांसनेशनल एजुकेशन (टीएनई) रिपोर्ट 2024-25, जनवरी 2024 से मई 2025 तक आयोजित एक लाख से अधिक उत्तरदाताओं के सर्वेक्षण पर आधारित है, जिनमें मुख्य रूप से भारतीय छात्र शामिल थे. रिपोर्ट में कहा गया कि कनाडा में भी आवेदनों में कमी आई है, जो 2022 के 18 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2025 में 9 प्रतिशत रह गई है.
इस बीच, इसमें कहा गया कि नीतिगत परिवर्तनों से संबंधित चिंताओं के बावजूद ब्रिटेन की ओर अब भी हर साल भारत से हजारों छात्र आकर्षित हो रहे हैं, जिसका श्रेय विश्व स्तर पर रैंक हासिल करने वाले इसके विश्वविद्यालयों, छोटी स्नातकोत्तर डिग्री और व्यापक विषय पाठ्यक्रमों को जाता है. इसमें कहा गया कि ब्रिटेन के प्रभुत्व के साथ-साथ आयरलैंड ने भी तेजी से अपनी जगह बना ली है.
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