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US Former NSA Jake Sullivan: ‘पाकिस्तान के संग भारत का नाम मत लो’, पूर्व अमेरिकी अधिकारियों की…

अमेरिका के पूर्व टॉप अधिकारियों ने वॉशिंगटन से भारत और पाकिस्तान को एक ही रणनीतिक नजरिए से देखना बंद करने की अपील की है. उनका कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भारत-पाकिस्तान पॉलिसी को त्याग देना चाहिए और इसकी जगह नई दिल्ली और इस्लामाबाद के साथ अपने संबंधों को अलग-अलग तरीकों से देखना और समझना चाहिए. 

फॉरेन अफेयर्स में पब्लिश एक ज्वाइंट आर्टिकल में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन और पूर्व उप विदेश मंत्री कर्ट कैंपबेल ने लिखा, “वॉशिंगटन को भारत और पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को एक ही स्तर पर रखने से बचना चाहिए. कोई ‘भारत-पाकिस्तान’ नीति नहीं होनी चाहिए.”

पूर्व अमेरिकी टॉप अधिकारियों ने बताई भारत की अहमियत
उन्होंने तर्क दिया कि हाल के वर्षों में अमेरिकी कूटनीति का झुकाव नई दिल्ली की ओर रहा है और इसका कारण भी है. आतंकवाद से निपटने, परमाणु और  मिसाइल प्रसार को सीमित करने में अमेरिका के पाकिस्तान के साथ स्थायी हित जुड़े हुए हैं, लेकिन भारत को लेकर वॉशिंगटन के बहुआयामी और महत्वपूर्ण हितों के सामने ये हित फीके भी पड़ जाते हैं.”

‘अमेरिका भारत को उसके शुत्रओं के हाथों में धकेल रहा’
जेक सुलिवन और कर्ट कैम्पबेल ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ, भारत द्वारा रूस से तेल की खरीद, पाकिस्तान के संबंध में अमेरिका और भारत के बीच नए सिरे से तनाव इन सबके कारण ही नई दिल्ली और वॉशिंगटन के संबंधों में तेजी से गिरावट आई है, इसमें सार्वजनिक अपमान जैसा भी मामला है.

दरअसल हाल ही में तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन को लेकर संपादकीय में कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ हुई दोस्ताना मुलाकात से स्पष्ट हो गया है कि अमेरिका भारत को सीधे तौर पर उसके शत्रुओं के हाथों में धकेल सकता है. 

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