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मय्यत की तसवीर लेना इस्लाम में जायज़ है या नहीं? जानिए मुफ्ती तारिक मसूद की राय

Mayyat Ki Tasweer Lena sahi ya Galat: इस्लाम धर्म में किसी भी मय्यत (जनाजे) के वक्त सादगी और तर्ज-ए-शरीअत (यानी इस्लामिक कानून) को पालन करने की बात कही जाती है. मुफ्ती तारिक मसूद के मुताबिक मय्यत के समय तस्वीरें या वीडियो बनाना शरीअत के अनुसार गलत माना जाता है. 

इस्लाम धर्म में ऐसे मौके पर दुआ, तिलावत और सब्र करने की बात कही जाती है, न कि फोटो या वीडियो बनाने जैसी गतिविधियों पर, आइए जानते हैं उन्होंने इस बारे में और क्या है?

मय्यत छिपाने की चीज, दिखाने की नहीं- मुफ्ती तारिक मसूद
मुफ्ती तारिक मसूद कहते हैं कि मय्यत की तस्वीर लेना बिल्कुल गलत है, ये छिपाने की चीज है, दिखाने की नहीं. मय्यत की तस्वीर लेना की इजाजत किसी को नहीं है. मय्यत के करीब लोग मृत व्यक्ति के शव को देख सकते हैं.

अगर कोई उसका बेहद ही करीबी दोस्त है या बेटा है, वो देखना चाहे तो देख सकता है, लेकिन तस्वीर लेकर इसे औरों को दिखाना गलत माना जाता है. ऐसा करना शरीयत के खिलाफ माना जाता है. 

मय्यत (शव) की फोटो लेना सही या गलत नहीं, बल्कि यह एक अति संवेदनशील और व्यक्तिगत मामला है, जो पूरी तरह से मय्यत के परिवारों की भावनाओं और इच्छाओं पर निर्भर करता है. कुछ लोगों के लिए यह मरे हुए लोगों की यादें संजोने का एक तरीका हो सकता है, जबकि दूसरे लोगों को यह बिल्कुल भी अनुचित लगे. 

मय्यत के घर किसे खाना चाहिए?
मुफ्ती तारिक मसूद कहते हैं कि, अगर आप किसी मय्यत को दफनाने गए और बहुत दूर से आएं हैं तो हमेशा उन लोगों को खाना खिलाना चाहिए, जो काफी दूर से आकर मय्यत में शामिल हुए हैं. आस-पास के पड़ोसियों को मय्यत वाले घर में खाने की जगह अपने घर में खाना चाहिए. 

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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