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चीन-पाकिस्तान के रिश्तों में दरार! करोड़ों डॉलर के प्रोजेक्ट से ‘ड्रैगन’ ने अचानक खीचें हाथ,…

चीन पाकिस्तान का सबसे अच्छा दोस्त है. हालांकि, इन दिनों दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य नहीं दिख रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान ने अपने पुराने रेलवे नेटवर्क के एडवांसमेंट के लिए चीन की बजाय एशियाई विकास बैंक (ADB) से मदद लेने का फैसला लिया है. पाकिस्तान ने ADB से 2 अरब डॉलर का लोन कराची-रोहरी रेलवे सेक्शन को बेहतर बनाने के लिए मांगा है. यह वही ML-1 परियोजना है, जो कभी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की सबसे बड़ी और महत्वाकांक्षी योजना मानी जाती थी.

चीन का परियोजना से पीछे हटना पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति की चिंताओं को उजागर करता है. इसको लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही है कि आखिर क्यों चीन में पाकिस्तानी के प्रोजेक्ट से अपनी हाथ खींच लिए हैं. हालांकि, चीन ने प्रोजेक्ट से पीछे हटने का फैसला अचानक से नहीं लिया है. माना जा रहा है कि पाकिस्तान की कमजोर आर्थिक स्थिति और कर्ज चुकाने की दिक्कतें चीन के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती थीं. चीन पहले ही पाकिस्तान में अरबों डॉलर का निवेश कर चुका है, जहां चीन को पाकिस्तान से पैसे वापस लेने में गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है. चीन अपनी अर्थव्यवस्था के दबावों को देखते हुए ज्यादा जोखिम भरे निवेशों से पीछे हट रहा है. इससे साफ होता है कि जब आर्थिक स्थिति खतरे में हो तो हर मौसम के साथी भी पीछे हट सकते हैं.

रेको दिक खदान और ML-1 की अहमियत
बलूचिस्तान की रेको दिक तांबा और सोने की खदान पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए निर्णायक साबित हो सकती है. खदान से भारी मात्रा में खनिज मिलने की संभव है, लेकिन पुरानी रेलवे लाइन इतनी मजबूत नहीं है कि खनिजों का बड़े पैमाने पर ट्रांसपोर्ट कर सके. इसके लिए ML-1 रेलवे लाइन को खदान के लिए अपग्रेड करना काफी जरूरी है. इस कारण ADB ने न केवल ML-1 परियोजना में रुचि दिखाई, बल्कि रेको दिक खदान के लिए भी 410 मिलियन डॉलर की मदद देने का वादा किया है.

चीन, अमेरिका और ADB
ADB का रोल बढ़ने का मतलब है कि पाकिस्तान अब केवल चीन पर निर्भर नहीं रहना चाहता. सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान ने इस कदम से पहले चीन से सहमति ले ली थी ताकि रिश्तों में खटास न आए. पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर ने कहा, “हम एक दोस्त के लिए दूसरे दोस्त की बलि नहीं चढ़ाएंगे.” वहीं अमेरिका भी पाकिस्तान की रेको दिक में रुचि दिखा रहा है. इससे संकेत मिलता है कि पाकिस्तान अब बहुआयामी विदेशी नीति की ओर बढ़ रहा है, जिसमें चीन, अमेरिका और बहुपक्षीय संस्था (ADB, IMF) सब शामिल होंगे. हाल के दिनों में पाकिस्तान और अमेरिका के बीच में संबंध अच्छे होते दिखाई दे रहे हैं, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तानी ऑयल रिजर्व बनाने का ऐलान किया है.

CPEC का भविष्य और पाकिस्तान की रणनीति
2015-2019 के बीच CPEC के तहत कई हाईवे, बिजली संयंत्र और बंदरगाह बने, लेकिन 2022 के बाद से डेवलपमेंट धीमी हो गई. चीनी बिजली उत्पादकों को बकाया भुगतान की समस्या का सामना करना पड़ा है. ML-1 जैसी बड़ी परियोजना से चीन का हटना इस सुस्ती को और स्पष्ट करता है. अब ADB का आना CPEC के लिए काफी दिक्कत की बात हो सकती है.

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