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The doors of Shri Sanwaliya Ji temple will remain closed on 7th September | 7 सितंबर को…

चंद्रग्रहण के समय श्री सांवलिया जी के मंदिर में दर्शन व्यवस्था बंद रहेगी।

7 सितम्बर, रविवार को पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण लग रहा है। इसी कारण श्री सांवलिया जी मंदिर में दर्शन की सामान्य व्यवस्था में बदलाव किया गया है। चंद्रग्रहण के कारण रविवार को दोपहर 12 बजे तक ही दर्शन कराए जाएंगे। इसके बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंग

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शास्त्रों और परंपराओं के अनुसार कपाट रहेंगे बंद

इस बारे में जानकारी देते हुए अतिरिक्त जिला कलक्टर और मंदिर मंडल की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) प्रभा गौतम ने बताया कि शास्त्रों और परंपराओं के अनुसार ग्रहण के समय मंदिरों को बंद रखना जरूरी होता है। इस कारण 7 सितम्बर को दोपहर 12 बजे तक दर्शन होंगे, और 8 सितम्बर को सुबह मंगला आरती से दर्शन फिर से शुरू होंगे। तब तक ठाकुर जी के दर्शन बंद रखे जाएंगे।

माना जाता है कि ग्रहण के समय वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा फैलती है, इसलिए उस दौरान पूजा-पाठ और दर्शन नहीं किए जाते। इसी धार्मिक परंपरा को ध्यान में रखते हुए मंदिर को निर्धारित समय के बाद बंद किया जाएगा।

सोमवार को मंगला आरती के समय खुलेंगे पट।

सोमवार को होंगे दर्शन, बदलाव को देखकर यात्रा का करें प्लान

ग्रहण समाप्त होने के बाद मंदिर में विशेष सफाई और शुद्धिकरण किया जाएगा। इसके बाद अगले दिन, 08 सितम्बर सोमवार को, मंदिर के कपाट फिर से खोले जाएंगे और सुबह मंगला आरती के साथ ही दर्शन की व्यवस्था शुरू हो जाएगी। यानी सोमवार को श्रद्धालु फिर से सुबह-सुबह मंदिर में दर्शन कर सकेंगे।

मंदिर प्रशासन ने सभी श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे इस बदलाव को ध्यान में रखते हुए अपनी यात्रा और दर्शन की योजना बनाएं। जो भी भक्त 07 सितम्बर को दर्शन करना चाहते हैं, वे दोपहर 12 बजे से पहले मंदिर पहुंचें, क्योंकि इसके बाद मंदिर में प्रवेश नहीं मिलेगा। साथ ही, सोमवार को दर्शन की सामान्य व्यवस्था फिर से शुरू हो जाएगी, इसलिए जरूरत के अनुसार दर्शन को एक दिन आगे भी बढ़ाया जा सकता है।

मंदिर द्वारा दी गई जानकारी पर ही करें भरोसा

मंदिर मंडल ने यह भी बताया कि चंद्रग्रहण के समय मंदिर बंद रहने के दौरान सुरक्षा और साफ-सफाई की पूरी व्यवस्था की जाएगी। मंदिर को पूरी तरह शुद्ध किया जाएगा। प्रशासन ने श्रद्धालुओं से यह भी अपील की है कि वे केवल मंदिर द्वारा दी गई जानकारी पर ही भरोसा करें और अफवाहों से बचें। यह फैसला धार्मिक परंपराओं और श्रद्धालुओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

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