Sonipat Teacher Sunita Dhul Selected for National Teacher Award | Inspiring Journey of…

सुनीता ढुल्ल को मिलेगा नेशनल अवॉर्ड।
हरियाणा के सोनीपत की रहने वाली सुनीता ढुल को आज देश के राष्ट्रपति नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित करेंगे। देशभर में से हरियाणा की इकलौती महिला सुनीता ढुल्ल सोनीपत की रहने वाली हैं। शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अटूट लगन और समर्पण से एक मिसाल कायम की है। वे सिर
.
जिन्होंने अपनी मेहनत और दूरदर्शिता से न सिर्फ़ अपनी पहचान बनाई है, बल्कि हजारों विद्यार्थियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव भी लाए हैं। उनके इन्हीं असाधारण प्रयासों के लिए उन्हें राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। एक लंबा सफर: संघर्ष से सम्मान तक सुनीता ढुल का सफर आसान नहीं रहा। उनका जन्म सोनीपत के नसीरपुर गांव में हुआ था। उनके पिता आर्मी में थे, और बाद में बिजली विभाग में काम करने लगे। वे तीन बहनों और दो भाइयों में सबसे छोटी हैं। एक ऐसे दौर में जब लड़कियों की शिक्षा को ज़्यादा महत्व नहीं दिया जाता था, उनके पिता ने सभी बच्चों को बेहतरीन शिक्षा दी।
पिता की सोच ने बदली बेटी की राह
लोग उनके पिता से कहते-“बेटियों को क्यों पढ़ा रहे हो, आखिरकार इन्हें दूसरे घर जाना है।” लेकिन पिता ने कभी समाज की परवाह नहीं की। उनका जवाब हमेशा यही होता – “बेटी भी पढ़-लिखकर बदलाव की सोच के साथ काम करेगी।” यही सोच सुनीता की सबसे बड़ी ताकत बनी।
उनकी मां भी कम प्रेरणा नहीं थीं। मां रोज सुबह 3 बजे उठ जातीं और बच्चों को 4 बजे पढ़ाई के लिए जगातीं। उस समय गांव की कम ही बेटियां स्कूल जाती थीं, लेकिन मां-बाप की लगन ने सुनीता और उनकी बहनों को शिक्षा के उजाले तक पहुंचाया।
शिक्षा के प्रति उनकी लगन बचपन से ही थी। गांव से कॉलेज का आना-जाना 14 किलोमीटर दूर था, लेकिन सुनीता रोज़ साइकिल चलाकर जाती थीं। अपनी पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया ताकि वे अपनी आगे की पढ़ाई का खर्च उठा सकें।
सोनीपत में उनके स्कूल में स्वागत करते टीचर
बीएड एंट्रेंस की थर्ड टॉपर बनीं
साल 1996 में उन्होंने बीएड एंट्रेंस टेस्ट में तीसरी टॉपर रहीं। जो उनकी मेधा का प्रमाण था। सरकारी नौकरी से पहले उन्होंने 1996 से 2013 तक निजी शिक्षण संस्थानों में शिक्षिका और प्रिंसिपल के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं। 2014 में उन्हें गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल, समालखा में सरकारी नौकरी मिली और फिलहाल वे पीएम श्री राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल , मुरथल अड्डा में भूगोल और सामाजिक विज्ञान पढ़ाती हैं।
शिक्षा में नवाचार: एक नई सोच की पहल
सुनीता ढुल की शिक्षण पद्धति पारंपरिक नहीं, बल्कि आधुनिक और नवाचार से भरी है। आधुनिक शिक्षा नीति से उन्होंने न सिर्फ़ स्कूल में पढ़ाई का स्तर सुधारा, बल्कि बच्चों में रचनात्मकता बढ़ाने पर भी जोर दिया।
टाइम टेबल का महत्व: सुनीता ने विद्यार्थियों को टाइम टेबल का पालन करना सिखाया, जिससे वे अपनी पढ़ाई और अन्य गतिविधियों को व्यवस्थित रूप से कर सकें।
स्टूडेंट कमेटी का गठन: साल 2017 में उन्होंने एक स्टूडेंट कमेटी बनाई। हर महीने होने वाली मीटिंग में वे बच्चों से यह राय लेती थीं कि उनका स्कूल कैसा होना चाहिए। इस पहल से बच्चों को स्कूल से जुड़ाव महसूस हुआ और उनकी संख्या 275 से बढ़कर 450 हो गई।
व्यावहारिक ज्ञान पर जोर: साल 2014 से वे बच्चों के लिए प्रदर्शनियां लगाती आ रही हैं। वे समय-समय पर बच्चों को शैक्षिक भ्रमण पर ले जाती हैं, जिससे उन्हें किताबी ज्ञान के अलावा बाहरी दुनिया की जानकारी भी मिल सके।
तकनीक का उपयोग: कोविड-19 महामारी के दौरान जब ऑनलाइन पढ़ाई चल रही थी, सुनीता द्वारा बनाई गई 12वीं कक्षा की भूगोल विषय की वीडियो पूरे हरियाणा में हरियाणा सरकार के एजुसेट चैनल पर चलाई गईं, जो विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी साबित हुईं।
सामाजिक और नैतिक मूल्यों का विकास: वे स्कूल में विभिन्न भारतीय पर्वों का आयोजन और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएं भी कराती हैं, जिससे बच्चों में सामाजिक और नैतिक मूल्यों का विकास हो सके।
पढ़ाने के साथ-साथ सुनीता ढुल एक कुशल मास्टर ट्रेनर भी हैं।
जीवन रक्षक कौशल का प्रशिक्षण और पर्यावरण संरक्षण पढ़ाने के साथ-साथ सुनीता ढुल एक कुशल मास्टर ट्रेनर भी हैं। वे रेडक्रॉस में राष्ट्रीय मास्टर ट्रेनर के रूप में काम करते हुए अब तक करीब 14,000 बच्चों को फर्स्ट एड और जीवन रक्षक कौशल का प्रशिक्षण दे चुकी हैं। इसके अलावा, पर्यावरण के प्रति भी उनकी जागरूकता सराहनीय है। वे पिछले डेढ़ साल से ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान चला रही हैं, जिसके तहत वे बच्चों से पौधे लगवाकर उनकी देखभाल करवाती हैं।
सख्त टीचर के रूप में पहचान को बदला शुरुआती दिनों में एक सख्त टीचर के रूप में पहचान बनाने वाली सुनीता ने बाद में अपनी शिक्षण शैली में बदलाव किया। नई शिक्षा नीति पर काम करते हुए उन्होंने मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया और बच्चों के साथ संवाद स्थापित करने पर ज़ोर दिया। वे बच्चों की समस्याओं को सुनकर उन्हें सुलझाने की कोशिश करती हैं।
सुनीता ढुल का सफर यह दिखाता है कि शिक्षा सिर्फ़ एक पेशा नहीं, बल्कि समाज में बदलाव लाने का एक शक्तिशाली माध्यम है। उनके समर्पण और नवाचार ने न सिर्फ़ शिक्षा के स्तर को ऊँचा उठाया है, बल्कि हज़ारों बच्चों के जीवन में उम्मीद की रोशनी भी जगाई है। यह सम्मान उनके लंबे और प्रेरणादायक संघर्ष का फल है।
सम्मान के पीछे उनकी 29 साल की मेहनत, संघर्ष और समाज को संवारने का संकल्प छिपा है।
सुनीता ढुल को मिलेगा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार
हरियाणा के सोनीपत की बेटी सुनीता ढुल आज शिक्षा जगत में एक प्रेरणा का नाम हैं। राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित होने का गौरव उन्हें मिलेगा, लेकिन इस सम्मान के पीछे उनकी 29 साल की मेहनत, संघर्ष और समाज को संवारने का संकल्प छिपा है।
आज सुनीता के बेटे अध्ययन ऑस्ट्रेलिया में नौकरी कर रहे हैं और बेटी वंशिका अशोका यूनिवर्सिटी से मनोविज्ञान की पढ़ाई कर रही हैं। मां 96 वर्ष की आयु में आज भी उनकी प्रेरणा हैं।
सुनीता ढुल कहती हैं कि “मेरे पिता ने बेटियों को बोझ नहीं समझा। उनकी सोच और मां का समर्पण ही मेरी सबसे बड़ी पूंजी है। मैं चाहती हूं कि मेरे विद्यार्थी भी जीवन में संघर्षों से कभी हार न मानें।”राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार सिर्फ उनका सम्मान नहीं है, बल्कि उस सोच का सम्मान है जो कहती है कि “शिक्षा ही समाज में असली बदलाव की चाबी है।”