Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष में इस रूप में आ रहे हैं पूर्वज, भूलकर भी न करें अपमान

भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन अमावस्या तक पितृ पक्ष चलते हैं. इन 15 दिनों में लोग अपने मृत पूर्वजों का श्राद्ध, पिंडदान या तर्पण आदि करते हैं. इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर अपने वंश को आशीर्वाद देते हैं.
पितृ पक्ष में पिंडदान और श्राद्ध करना पितरों के प्रति सम्मान प्रकट करना और उन्हें श्रद्धांजलि देने का विशेष अवसर होता है. लेकिन इस समय आपके द्वारा जाने-अनजाने में किए कुछ कामों से पितृ दुखी भी हो सकते हैं.
ऐसी मान्यता है कि, पितृ पक्ष के 15 दिनों में पूर्वज धरती पर आते हैं और किसी न किसी रूप में अपने परिवार से मिलते हैं. अगर आप जाने-अनजाने में पितरों का अनादर या उपेक्षा करेंगे तो इससे पितृ आपसे रुष्ट भी हो सकते हैं. इसलिए यह जान लीजिए कि पितृ पक्ष में पितर किन रूपों में आते हैं.
कौआ को पितरों का रूप माना जाता है. इसलिए श्राद्ध में पितरों के लिए बनाया गया भोजन कौवे के लिए भी निकाला जाता है. इसके साथ ही पितृ पक्ष में कबूतर, गौरेया जैसे पक्षियों का घर आना भी पितरों के आगमन का रूप हो सकता है.
पितृ पक्ष के समय गाय और कुत्ते जैसे पशुओं का अनादर भी नहीं करना चाहिए. अगर ये पशु घर के द्वार पर आए तो इन्हें दुत्कार कर भगाने के बजाय कुछ न कुछ खाने के लिए जरूर दें. इससे भी पितृ प्रसन्न होंगे.
पितृ पक्ष के समय घर पर साधु-संत, फकीर या कोई भिक्षुक आए तो भूलकर भी उनका अपमान न करें और ना ही उन्हें खाली हाथ लौटाएं. क्योंकि इन्हें भी पितरों का रूप माना जाता है. इसलिए इन्हें भोजन कराएं और दान-दक्षिणा देकर ही विदा करें.
Published at : 05 Sep 2025 05:45 AM (IST)