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Coincidence after 19 years; Shraadh Paksha begins with lunar eclipse on 7th, ends on 21st but…

इस बार श्राद्ध पक्ष पर विशेष संयोग बन रहा है। 2 दिन बाद 7 सितंबर को चंद्रग्रहण के साथ श्राद्ध पक्ष शुरू होंगे और 21 सितंबर को सूर्यग्रहण से समापन होगा। हालांकि सूर्यग्रहण ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, लेकिन इसका प्रभाव अगले तीन महीने तक मौसम के रूप

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बंशीधर ज्योतिष पंचांग के ज्योतिषाचार्य दामोदर शर्मा ने बताया कि यह संयोग 19 साल बाद बन रहा है, जब श्राद्ध पक्ष की शुरुआत व समापन ग्रहण के प्रभाव में होंगे। इससे पहले वर्ष 2006 में ऐसा हुआ था। इस बार 15 दिन में 2 ग्रहण होने से इनका प्रभाव बढ़ेगा, जो मौसम से आपदा को खासा प्रभावित करेगा।

श्राद्ध पक्ष में दो ग्रहण के मायने…मानवीय भूल से जनहानि के योग

  • ज्योतिषाचार्य धर्मेंद्र खंडेलवाल ने बताया कि वराह मिहिर द्वारा रचित ग्रंथ बृहत्संहिता के राहुचाराध्याय में लिखा है कि जब दो-दो ग्रहण एकसाथ एक ही महीने में होते हैं तो तूफान, भूकंप, मानवीय भूल से बड़ी संख्या में जनहानि के योग बनते हैं। चंद्रग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में लगेगा, जिसमें चंद्रमा के साथ राहु और सप्तम भाव में सूर्य, केतु और बुध विराजमान होंगे। सूर्यग्रहण कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में आएगा। इस दौरान सूर्य, चंद्रमा और बुध के साथ कन्या राशि में स्थित होंगे और उन पर मीन राशि में बैठे शनि देव की पूर्ण दृष्टि रहेगी।

रविवार दोपहर 1:27 बजे लग जाएगा चंद्रग्रहण का सूतक

  • चंद्रग्रहण रविवार को रात 9:57 बजे से शुरू होगा। समापन रात 1:27 बजे होगा। इसका सूतक 9 घंटे पहले यानी रविवार दोपहर 12:57 बजे लग जाएगा।
  • सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को लगेगा, जो आंशिक। यह न्यूजीलैंड, पैसिफिक, अंटार्कटिक और ऑस्ट्रेलिया के पूर्व-दक्षिणी भाग में ही दिखाई देगा।

असर; शेयर मार्केट व सोने-चांदी की धातुओं में आएगा उछाल, अगले तीन महीने मौसम बदलेगा

  • पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल कुल 4 ग्रहण हैं। दो सूर्यग्रहण और दो चंद्रग्रहण। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं को प्रभावशाली पद मिल सकता है।
  • जनमानस के स्वास्थ्य में अवरोध, सुख में कमी, नए रोगों का उत्पन्न होना, राजनीतिक उठापटक, बड़े वाहन की दुर्घटना की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
  • व्यापारिक दृष्टिकोण से यह समय ठीक रहेगा। आर्थिक दृष्टिकोण और बौद्धिक दृष्टिकोण से भी यह समय उपयुक्त रहेगा।
  • रोजगार के क्षेत्र में वृद्धि होगी। शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव होगा।

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