Swadeshi Jagran Manch officials said the current global scenario is challenging | वैश्विक…

कार्यक्रम में मंचस्थ पदाधिकारी।
जोधपुर में आज स्वदेशी जागरण मंच राजस्थान क्षेत्रीय बैठक की गई। स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक चार्टर्ड एकाउटेंट आर सुन्दरम ने बताया कि वर्तमान का वैश्विक, आर्थिक व सामरिक परिदृश्य चुनौतीपूर्ण है। पहलगाम की आतंकी घटना, ऑपरेशन सिंदूर व उस परिप्र
.
भारत के बाजार पर नजर इससे स्पष्ट है कि विश्व आर्थिक, सामरिक परिदृश्य में हर देश केवल अपने हितों को ही आगे रखता है। चीन, अमेरिका, यूरोप के देश एवं रूस खुलेआम भारत के स्वाभिमान व आर्थिक हितों को कुचलने में लगे है। वे भारत के बाजार को केवल अपने तरीके से नोंचना यानि केवल बेचना और प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से लूटना चाहते है। यह वास्तव में भारत के विरूद्ध आर्थिक-सामरिक युद्ध की घोषणा है। यह भी वास्तविकता है कि वे भारत को प्रत्यक्ष युद्ध में हरा नहीं सकते है। इसलिए भारत में खिलौने और मूर्तियों से लेकर हथियार, हवाई जहाज बेचना चाहते है। इनकी भारत के विशाल बाजार यानि 145 करोड जनसंख्या एवं 60 करोड का मध्यम आय वर्ग विश्व के सबसे बड़े बाजार पर गिद्ध दृष्टि है।
उन्होंने कहा कि स्वदेशी जागरण मंच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा स्वदेशी के आहवान का स्वागत करता है, जहां प्रधानमंत्री ने कहा है कि स्वदेशी उत्पादों की खरीद और बिक्री भी राष्ट की सच्ची सेवा है। 1991 में अपनी स्थापना के बाद से ही स्वदेशी जागरण मंच स्वदेशी अपनाने के लिए जनता में जागरूकता पैदा कर रहा है। मंच का दृढ़ विश्वास है कि हमारा राष्ट्र स्वदेशी और आत्मनिर्भरता के आधार पर ही समृद्ध हो सकता है।
बैठक में उपस्थित पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता।
स्वदेशी सुरक्षा एवं स्वावलंबन अभियान
वहीं, स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संगठक कश्मीरी लाल ने बताया कि स्वदेशी जागरण मंच द्वारा बड़ी संख्या में व्यापारियों और विनिर्माण कंपनियों के संघों और सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर 12 जून, 2025 को स्वदेशी सुरक्षा एवं स्वावलंबन अभियान की शुरुआत के साथ, स्वदेशी आंदोलन को फिर से गति दी गई है। जिसका उद्देश्य देश के कोने-कोने में भारत को पुनः महान बनाने के लिए जिसे प्रधानमंत्री स्वदेशी यानि मेक इंडिया ग्रेट अगेन कहते है इसके लिए जागरूकता पैदा करना है।
भारत का स्वतंत्रता संग्राम में स्वदेशी आंदोलन केवल ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त करने का आंदोलन नहीं था, बल्कि आर्थिक सम्मान, सांस्कृतिक पहचान और सभ्यतागत संप्रभुता का दावा भी था। स्वतंत्रता संग्राम के शुरुआती दौर में शुरू हुआ स्वदेशी आंदोलन, वास्तव में विदेशी वस्तुओं को अस्वीकार करने, घरेलू उत्पादन को बहाल करने और भारत के आत्मनिर्भर आर्थिक पारिस्थितिकी तंत्र के पुनर्निर्माण का एक आहवान था। कुछ क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में राजनीतिक इच्छाशक्ति, नीतिगत हस्तक्षेप और जनभागीदारी ने सकारात्मक परिणाम दिखाए हैं।