Manipur Kuki-Zo Agreement Update; NH02 – Meitei Conflict | PM Modi | मणिपुर को…

नई दिल्ली12 मिनट पहले
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NH-2 हाईवे मणिपुर और पूरे पूर्वोत्तर को जोड़ता है। अक्सर आंदोलन, बंद या विरोध प्रदर्शनों के कारण रास्ता बंद हो जाता है।- फाइल फोटो
मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के बीच गुरुवार को कुकी-जो ( Kuki-Zo) काउंसिल राष्ट्रीय राजमार्ग-2 (NH-2) को पूरी तरह खोलने को तैयार हो गई। अब इस मार्ग से लोगों और जरूरी सामान की आवाजाही बिना रुकावट हो सकेगी।
गृह मंत्रालय (MHA) के मुताबिक, कुकी-जो काउंसिल सुरक्षा बलों के साथ NH-2 पर शांति बनाए रखने में सहयोग करेगी। यह हाईवे मणिपुर को नगालैंड और पूर्वोत्तर से जोड़ने वाली जीवन रेखा है, जो मई 2023 में भड़की मैतेई और कुकी समुदायों की हिंसा के बाद से बंद था।
दिल्ली में गुरुवार को केंद्र सरकार, मणिपुर सरकार और कुकी संगठनों (कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन-KNO और यूनाइटेड पीपल्स फ्रंट-UPF) के बीच त्रिपक्षीय बैठक हुई। बैठक के अंत में नया सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस (SoO) करार साइन किया गया। यह समझौता एक साल के लिए प्रभावी रहेगा और इसमें नई शर्तें जोड़ी गई हैं।
क्यों महत्वपूर्ण है NH-2 हाईवे NH-2 हाईवे मणिपुर और पूरे पूर्वोत्तर के लिए बेहद जरूरी है। यह राजमार्ग नगालैंड के दीमापुर को मणिपुर की राजधानी इंफाल से जोड़ता है। हाईवे मणिपुर-नगालैंड-मिजोरम का शेष भारत से संपर्क बनाए रखता है। मणिपुर में जरूरतों, जैसे – खाने-पीने का सामान, दवा, ईंधन और व्यापार के सामान, इसी हाईवे से आते-जाते हैं।
यह सेना और सुरक्षा बलों की आवाजाही के लिए भी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। पूर्वोत्तर के राज्यों के बीच व्यापार, पर्यटन और आपसी जुड़ाव बनाए रखने के लिए NH-2 जीवनरेखा की तरह काम करता है।
4 पॉइंट्स में समझिए मणिपुर हिंसा की वजह… मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
- कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
- मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
- नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
- सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।