‘महात्मा गांधी से उतनी ही नफरत करते थे, जितनी…’, PM मोदी ने की RSS की तारीफ तो भड़के ओवैसी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर शुक्रवार (15 अगस्त, 2025) को लाल किले की प्राचीर से अपना भाषण दिया. भाषण के दौरान पीएम मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का जिक्र किया और उनकी तारीफ की, इस पर AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी बिफर गए. उन्होंने इसे देश की आजादी की लड़ाई का अपमान करार दिया है.
प्रधानमंत्री मोदी के भाषण पर क्या बोले AIMIM चीफ?
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार (15 अगस्त, 2025) को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया. ओवैसी ने अपने पोस्ट में पीएम मोदी के भाषण में आरएसएस की तारीफ पर नाराजगी जताई है.
उन्होंने कहा, “स्वतंत्रता दिवस के भाषण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का महिमामंडन करना आजादी की लड़ाई का अपमान है. आरएसएस और इसके वैचारिक सहयोगी ब्रिटिश हुकूमत के सैनिकों के तौर पर काम करते थे. उन्होंने कभी भी स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा नहीं लिया और उन्होंने महात्मा गांधी से उतनी नफरत की, जितना उन्होंने कभी अंग्रेजों का विरोध भी नहीं किया.”
Glorifying the RSS in an Independence Day speech is an insult to the freedom struggle. The RSS and its ideological allies served as British foot soldiers. They never joined the fight for independence and hated Gandhi more than they ever opposed the British.
Happy…
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) August 15, 2025
पीएम मोदी ने याद दिलाया कि असली इतिहास जानना क्यों जरूरी- ओवैसी
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “सभी को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं. प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर हमें याद दिला दिया है कि असली इतिहास को जानना और सच्चे नायकों का सम्मान करना क्यों जरूरी है. अगर हम ऐसा नहीं करेंगे, तो वह दिन दूर नहीं जब कायरता को ही हमें बहादुरी का सबसे बड़ा रूप कहकर बेचा जाएगा. आरएसएस हमेशा से उस समावेशी राष्ट्रवाद के मूल्यों को ठुकराता आया है, जिनसे हमारे स्वतंत्रता सेनानी प्रेरित होते थे.”
नागपुर जाकर करें RSS की प्रशंसा, लाल किले से क्यों कर रहे?- ओवैसी
उन्होंने कहा, “हिंदुत्व की विचारधारा बहिष्कार करने में विश्वास करती है और यह हमारे संविधान के वास्तविक मूल्यों के बिल्कुल उलट है. नरेंद्र मोदी नागपुर जाकर एक स्वयंसेवक के रूप में आरएसएस की प्रशंसा कर सकते थे, लेकिन एक प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें लाल किले से यह क्यों करना पड़ गया?” उन्होंने कहा, “चीन आज भी हमारा सबसे बड़ा बाहरी खतरा है, लेकिन उससे भी बड़ा खतरा भीतर ही मौजूद है और वह वही नफरत और बंटवारा है, जो संघ परिवार फैलाता है. हमें अपनी आजादी की सच्ची रक्षा के लिए ऐसी सभी ताकतों को हराना होगा.”