EXCLUSIVE VIDEO of Chinese Mafia Camp in Myanmar | म्यांमार में चाइनीज माफिया कैंप का VIDEO:…

सूरत25 मिनट पहले
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दैनिक भास्कर को मिले म्यांमार में चीनी रैकेट के ऑफिस के एक्सक्लूसिव वीडियोज।
सूरत साइबर क्राइम पुलिस ने रविवार (31 अगस्त) को इंटरनेशनल साइबर ठगी गैंग के तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया था। यह गैंग देश-विदेश के युवाओं को कंप्यूटर जॉब और कॉपी-पेस्ट जैसे आसान काम का झांसा देकर थाईलैंड बुलाता था। इसके बाद उन्हें थाइलैंड से उन्हें म्यांमार भेज दिया जाता था, जहां चीनी गैंग की गैरकानूनी कॉल सेंटरों में अवैध रूप से काम कराया जाता है।
इस मामले में क्राइम टीम ने एक आरोपी को सूरत से और दो को चंडीगढ़ और पंजाब से गिरफ्तार किया था। साइबर सेल की जांच में पता चला है कि पकड़े गए तीन आरोपियों ने म्यांमार और चाइनीज गैंग के साथ मिलकर देश-विदेश के 40 युवकों को म्यांमार में साइबर गुलाम बना रखा है।
दिव्य भास्कर को एक्सक्लूसिव वीडियो मिले इस मामले में दैनिक भास्कर के गुजराती एडिशन दिव्य भास्कर को रैकेट के एक्सक्लूसिव वीडियोज मिले हैं। इन वीडियो में म्यांमार में चल रहे चीनी माफिया के सीक्रेट ऑफिस के अंदर और बाहर के दृश्य कैद हैं। यह वही ऑफिस है, जहां बंधक बनाए गए युवकों से कई तरह के साइबर अपराध करवाए जाते हैं। जांच में पता चला है कि इन युवाओं को चीनी गिरोह द्वारा एक प्रोफेशनल कंपनी की तरह साइबर अपराध की ट्रेनिंग दी जाती है।
चीनी माफिया का कैंप, जहां युवकों को बंधक बनाकर रखा गया है।
सूरत की क्राइम और साइबर पुलिस की जांच में सामने आया कि इस गिरोह के प्रमुख आरोपी नीपेंद्र उर्फ नीरव लवकुश चौधरी (उत्तराखंड), प्रीत रसिकभाई कमाणी (राजकोट) और आशीषभाई रमणलाल राणा (सूरत) हैं। इनमें लवकुश चौधरी (एचआर मैनेजर), पंजाब का प्रीत रसिकभाई कमाणी (एजेंट का और सूरत का रहने वाला आशीषभाई रमणलाल राणा वीजा एजेंट की जिम्मेदारी निभाता था।
इन्होंने रैकेट के 11 अन्य सदस्यों के नाम बताए हैं, जिनमें अलेक्जेंडर, एंजो, क्रुणाल, नीलेश पुरोहित, विलियम, किंग, विम, कुम्पेंग, अलोंग, शशांक और स्ट्रॉन्ग शामिल हैं। साइबर ब्रांच देश-विदेश के इन 11 आरोपियों की डिटेल खंगाल रही है।
चीनी गिरोह के कॉल सेंटर के बाहर लग्जरी कारों की कतारें।
सोशल मीडिया के जरिए करते थे संपर्क यह गिरोह फेसबुक और इंस्टाग्राम आईडी पर झूठे नामों से संपर्क कर ऑनलाइन निवेश के बहाने फंसाता था। पुलिस ने मामले में 12 प्रमुख मोबाइल और टेलीग्राम आईडी की पहचान की है, जिनका इस्तेमाल गिरोह द्वारा ऑनलाइन ठगी के लिए किया जाता था। आरोपी पिछले डेढ़ साल से इस इंटरनेशनल गैंग के लिए काम कर रहे थे।
करीब एक महीने पहले सूरत के दो युवकों के विदेश भेजे जाने और बंधक बनाए जाने के मामले में सूरत साइबर क्राइम ब्रांच ने FIR दर्ज की थी। साइबर क्राइम ने आरोपियों की पहचान और पकड़ के लिए तकनीकी सर्विलांस, कॉल डिटेल्स और डिजिटल सबूतों के आधार पर जांच की और इन तीनों को गिरफ्तार किया था। तीनों आरोपियों ने पूछताछ में बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि इस रैकेट का जाल भारत-म्यांमार ही नहीं, बल्कि कई देशों में फैला हुआ है।
अन्य विदेशी युवकों को थाइलैंड से म्यांमार भेजा जाता है, जबकि कुछ भारतीयों को भारत से ही नदी पार करके म्यांमार पहुंचाया गया था। खास बात यह है कि नदी पार करने के बाद म्यांमार आर्मी के जवान ही इन्हें चीनी गैंग के साइबर फ्रॉड कंपनियों तक पहुंचाते हैं। अब तक ऐसे 40 लोगों की जानकारी सामने आई है, जिन्हें भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और इथोपिया से भेजा गया। इनमें सबसे ज्यादा गुजरात और हरियाणा के 9-9 लड़के हैं।
भारत के कुछ युवकों को भारतीय सीमा से नाव के जरिए म्यांमार तक पहुंचाया गया।
आरोपी 20 से अधिक देश जा चुके तीनों आरोपी कई देशों की यात्रा कर चुके हैं। आरोपी प्रीत शुरू में नौकरी के लिए जॉर्जिया फिर दुबई गया। वहां उसकी मुलाकात राणा से हुई उसके बाद नौकरी के लिए वह थाईलैंड गया था। उसे अंग्रेजी नहीं आती थी, इसलिए नौकरी छोड़ने के लिए कहा गया और अपने बदले किसी अन्य व्यक्ति को नौकरी पर रखने को कहा। ऐसा न करने पर 4000 डॉलर भरने को कहा गया। उसके बाद प्रीत ने रजनीश नाम के युवक को अपने कमीशन पर नाैकरी पर रखवा दिया।
किस आरोपी ने कितने लोगों को विदेश भेजा
आरोपी | देश | लोग |
नीरव चौधरी | भारत | 36 |
पाकिस्तान | 01 | |
श्रीलंका | 02 | |
इथोपिया | 01 | |
प्रीत कमानी | भारत | 09 |
आशीष राणा | भारत | 03 |
किस राज्य के कितने लोगों को भेजा
राज्य | लोग |
आंध्र प्रदेश | 02 |
असम | 01 |
दिल्ली | 02 |
गुजरात | 09 |
हरियाणा | 09 |
महाराष्ट्र | 03 |
पंजाब | 02 |
राजस्थान | 02 |
उत्तर प्रदेश | 02 |
उत्तराखंड | 01 |
(नीरव को एक व्यक्ति फंसाने के एवज में 3,000 अमेरिकी डॉलर मिलते था। प्रीत को ₹40-50 हजार मिलते थे, जबकि आशीष, प्रीत के अंडर काम करता था।)
आरोपी नीरव चौधरी और चीनी एजेंट के बीच वीडियो कॉल।
साइबर स्लेवरी रैकेट के जाल में इतने लोग फंसे पीडि़तों में सुरजीत सिंह, शंद्रा शेखर पिला, फैज अयान नसीम, तरूण, सुरेश तात्याराम, दीपक, राहुल, समीर मोहम्मद पवार, आतिश वैद, नईम इस्माइल साधी, दिनेश, मनोज कुमार, शुभम, कुशांत राजेंद्र पपैया (अडाजण), अश्विन मच्छी (सूरत), नरेश कुमार (निवासी पंजाब), राहुल अहमद, सूरज यादव, अभिषेक मौर्य, जसपाल सिंह, जूडी, स्टू मुटकु, हिरुश्मा, अमन हरजिंजर सिंह, तरूण दीप सिंह, राहुल, योगेश दुलाभाई सिसारा, अक्ती नवाज शोएब (पाकिस्तान), विजेंद्र कुमार प्रशांत (श्रीलंका), लाटफेस मिसरत (इथियोपियाई), सक्सेना रोहित, हर्षित, समरकराज (श्रीलंका), सुरेश तुलसी (हैदराबाद), दीपक भरत परमार और यतिन सोलंकी, जिगर रावल (वडोदरा) व मोहम्मद बिलाल सैयद (रांदेर) शामिल हैं।
सूरत साइबर क्राइम की हिरासत में तीनों आरोपी।
पकड़े गए आरोपियों की अलग-अलग भूमिकाएं थीं
नीपेंद्र उर्फ नीरव लवकुश चौधरी: 24 वर्षीय नीपेंद्र चीनी कंपनी में एचआर मैनेजर था। वह उत्तराखंड का मूल निवासी है और 12वीं तक पढ़ा है। उसने वर्ष 2023 में पहली बार म्यांमार गया और चीनी कंपनी में कस्टमर चैट असिस्टेंट के रूप में नौकरी की। उसने धोखाधड़ी की ट्रेनिंग ली और कॉल सेंटर से दुनियाभर के लोगों को शिकार बनाने लगा। वह महिलाओं के नाम से नकली फेसबुक और इंस्टाग्राम आईडी बनाकर लोगों को फंसाता था।
प्रीत रसीकभाई कमानी: 21 वर्षीय प्रीत एजेंट था। वह राजकोट का मूल निवासी है और 12वीं तक पढ़ा है। वर्ष 2024 में एजेंट एलेक्स के जरिए थाईलैंड गया था। वहां से उसने अवैध रूप से सीमा पार कर म्यांमार में केके3 नामक चीनी साइबर फ्रॉड कंपनी में काम करने लगा। इस दौरान उसकी मुलाकात नीरव से हुई। दोनों ने म्यांमार की साइबर फ्रॉड कंपनियों में लोगों को भेजना शुरू किया। उसके पास से 25,000 रुपए कीमत का 1 लैपटॉप और 27,000 का मोबाइल बरामद हुआ।
आशीष रमणलाल राणा: 37 वर्ष आशीष वीजा एजेंट था। डिंडोली में रहता है और तापी जिले का मूल निवासी है। उसने 10वीं तक पढ़ाई की है। वर्ष 2023 में दुबई में वीजा एजेंट और मैनपावर सप्लायर एजेंट का काम करता था। वहीं उसकी मुलाकात प्रीत कमानी से हुई। उसने नीरव चौधरी के साथ मिलकर चीनी कंपनियों में लोगों को भेजना शुरू किया, तो उसने गुजरात से लोगों को म्यांमार भेजने के लिए आशीष से संपर्क किया। उसके पास से 1 मोबाइल मिला।
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