Selected candidates of Sub Inspector Recruitment-2021 are worried about their future | SI बनने…

‘मैं स्कूल की टॉपर और बीएससी में गोल्ड मेडलिस्ट…7 बहनों में सबसे बड़ी। मेरी मां मजदूरी कर बहनों का पेट पालती….मैं दिनभर कॉन्स्टेबल की नौकरी कर रात में तैयारी करती। त्यागपत्र देकर SI में भर्ती हुई थी। आज दोनों हाथ खाली हैं।’
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‘मैं सब इंस्पेक्टर राजकुमारी….थानेदार बनने के लिए वनरक्षक और पटवारी की 2-2 नौकरियां दांव पर लगाईं, आज सड़क पर आ गई हूं…दुखों का पहाड़ एक साथ टूट पड़ा है।’
ये दर्द है उन चयनित अभ्यर्थियों का जिन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर SI भर्ती का एग्जाम दिया था। थानेदार बनने से पहले कोई पटवारी की नौकरी कर रहा था तो कोई कॉन्स्टेबल। अब भर्ती रद्द होने के बाद सदमे में हैं।
भास्कर ने उन सब इंस्पेक्टर्स से बात कर उनकी पीड़ा जानी…
अंबिका :मां ने मजदूरी कर पढ़ाया, कॉन्स्टेबल के बाद SI बनी, गोल्ड मेडेलिस्ट?
इंटेलिजेंस ब्यूरो जोधपुर में पोस्टेड ब्यावर निवासी सब इंस्पेक्टर अंबिका 7 बहनों में सबसे बड़ी हैं। अपने दर्द को बयां करते हुए बताती हैं- आज लोग हमें फर्जी कह रहे हैं, मैं बीएससी में यूनिवर्सिटी की गोल्ड मेडलिस्ट हूं।
साल 2010 से ही लगातार तैयारी कर रही हूं। साल 2011 में बीएड किया। इसके बाद एलएलएम और एमए किया। साल 2018 में कॉन्स्टेबल पद पर नौकरी लगी।
दिनभर कॉन्स्टेबल पद पर नौकरी करती और रात में तमाम मुश्किलों को झेलते हुए सब इंस्पेक्टर की तैयारी की थी। मैरिट में टॉप लिस्ट में आने के बाद भी आज ये हालात हैं।
अंबिका पहले जयपुर में ही पुलिस कॉन्स्टेबल के पद पर नौकरी कर रही थीं। यह तस्वीर उसी दौरान की है।
अंबिका बताती हैं- मैंने अपने जीवन के 15 साल सरकारी नौकरी की तैयारी में झोंक दिए। इसलिए ताकि अपने परिवार का सहारा बन सकूं। मेरे परिवार में हम सात बहनें हैं, भाई नहीं है।
सभी बहनों मैं इकलौती हूं, जिसकी नौकरी लगी है। मेरा संघर्ष देखकर मेरी बहनें भी प्रेरित हुईं थी। लेकिन इतनी मेहनत करने के बाद आज मैं कहीं की नहीं हूं।
मेरी मां ने रीको में मजदूरी करके हमें पढ़ाया। लेकिन अब हमें फर्जी बताया जा रहा है। सब कुछ इस नौकरी पर लगा दिया। अब मैं अपनी पीड़ा किससे कहूं। बड़ी मुश्किलों से ये भर्ती क्लीयर की थी, आगे ना जाने क्या हो।
राजकुमारी : थानेदार बनने के लिए दांव पर लगाईं 2-2 नौकरियां
जयपुर रिजर्व पुलिस लाइन में तैनात महुआ (दौसा) की राजकुमारी गुर्जर का शुरू से ही पुलिस की नौकरी का सपना था। घरवालों से कहती थी- एक दिन तन पर खाकी वर्दी और कंधे पर स्टार वाले बैज होंगे।
2016 में वो अपने सपने को पूरा करने के लिए जुट गई। वनरक्षक में सिलेक्शन हुआ, लेकिन एसआई की तैयारी करती रहीं। इस बीच पटवारी भर्ती में सिलेक्शन हो गया था। लेकिन पुलिस की वर्दी पहनने के लिए राजकुमारी ने दोनों नौकरियों को दांव पर लगा दिया।
राजकुमारी बताती हैं- एसआई भर्ती 2018 में कुछ नंबरों से चूक गई थी। फाइनली 2021 की भर्ती में सिलेक्शन पाया था। इसलिए पटवारी जॉइन ही नहीं किया था।
8-9 साल बाद ये सपना पूरा हुआ था। आज बदकिस्मती पर यकीन नहीं हो रहा, जिस नौकरी के लिए मैंने 2-2 पद त्याग दिए, आज उसी से हमें बाहर कर दिया है। सोचा नहीं था कि ईमानदारी से पेपर पास करने के बाद भी निर्दोष लोगों के साथ ऐसा होगा।
किसान परिवार से आने वाली राजकुमारी बताती हैं- मेरा छोटा भाई विमंदित है। पूरे परिवार की जिम्मेदारी मुझ पर है। लेकिन आज मैं खुद मेंटल ट्रोमा में हूं। लोग हमें शक की निगाहों से देखते हैं। फर्जी तक बुलाते हैं।
राजकुमारी ने बताया- इस भर्ती को लेकर ऐसा माहौल बनाया गया कि जालोर से 100 लोग सिलेक्ट हुए हैं। लेकिन ऑफिशियल डाटा बताता है कि जालोर से महज 39 कैंडिडेट का ही चयन हुआ था।
एसओजी ने खुद कोर्ट में बताया कि 785 अभ्यर्थियों के खिलाफ कोई प्रमाण नहीं मिला है। सिर्फ 53 लोगों को निलंबित किया गया है। लेकिन बाहर आने पर 400-500 को फर्जी बताया जाता है।
मुकेंद्र सिंह : पटवारी में सिलेक्शन, लेकिन थानेदारी के लिए छोड़ी नौकरी
सवाई माधोपुर में पोस्टेड मुकेंद्र सिंह मूल रूप से भरतपुर के रहने वाले हैं। थानेदार बनने से पहले पटवारी की नौकरी कर रहे थे। बताते हैं- मैंने जब एसआई भर्ती की तैयारी शुरू की थी, तब मेरी उम्र 25 साल थी।
आज उम्र 30 साल हो गई है। मैंने तैयारी शुरू की तब मैं पटवारी था। तब नौकरी हाथ में थी और दबाव नहीं था। यही मेरे कॉन्फिडेंस का कारण भी था। पहले ही प्रयास में मैंने 1247वीं रैंक हासिल की थी।
लेकिन अब मैं क्या करुं….इस फैसले ने मुझे न घर का छोड़ा न घाट का। मैं अपने छोटे भाई को तैयारी करवाऊं या फिर छोटी बहन की शादी का जिम्मा लूं….या फिर अपने बीमार मां-बाप को मजदूरी के लिए भेज दूं।
SI में चयनित अभ्यर्थियों कि जिलेवार लिस्ट।
मुकेंद्र सिंह SOG पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहते हैं…. कैसी जांच एजेंसी है…जो इतने लोगों की भी जांच नहीं कर पाई। आपको (वीके सिंह) इस्तीफा दे देना चाहिए अगर आप जांच ही नहीं कर पाए तो।
मुझे विश्वास है मैं फिर से परीक्षा पास कर लूंगा लेकिन कोई मुझे बताएगा मेरे साढ़े चार सालों का क्या, इस दौरान मैंने कितने अवसर गवाए। दो बार आरएएस की भर्ती निकल गई, क्या मैं उसमें पार्टिसिपेट नहीं कर सकता था, इस एसआई भर्ती की तैयारियों में ईओ-आरओ की भर्ती निकल गई क्या मैं उसकी तैयारी नहीं कर सकता था।
जिस दिन से ये खबर आई है मेरी मां रो रही है। लोग सोशल मीडिया पर हमारा मजाक उड़ा रहे हैं। भारत का संविधान सभी को गरिमा में जीने का अधिकार देता है। लेकिन आज इन्होंने मेरे माथे पर फर्जी होने का कलंक लगा दिया है।
अशोक मीणा : तीन-तीन एग्जाम में साबित की योग्यता, अब और क्या प्रमाण दें?
भरतपुर पुलिस लाइन में पोस्टेड अशोक मीणा भी उन लोगों में है, जो पटवारी बन गए थे। लेकिन सब इंस्पेक्टर के लिए नौकरी छोड़ दी थी।
मूल रूप से दौसा निवासी अशोक मीणा ने बताया कि लंबे समय से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था। मेरी तो नौकरी भी लग चुकी थी। इससे पहले RAS मेंस दिया था लेकिन सिलेक्ट नहीं हो पाया था।
लेकिन सब इंस्पेक्टर की वर्दी के लिए सबकुछ त्याग दिया था। इससे ज्यादा अपनी योग्यता का और क्या प्रमाण दें। सिलेक्शन होने पर भी हमें फर्जी बताया जा रहा है।
एसआई की नौकरी लगते ही छोटी बहन को पढ़ाने के लिए जयपुर ले आया था। अब उसकी पढाई कैसे कराऊंगा? हम सरकार से ये विनती करते हैं कि हमारे साथ खड़ी रहे और निर्दोषों को न्याय दें।
कुलदीप शर्मा : इंजीनियरिंग कर LDC बना, SI के लिए छोड़ी नौकरी
कुलदीप शर्मा ने 2017 में जोधपुर MBM इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। पिता भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हैं। एलडीसी भर्ती परीक्षा 2018 में सिलेक्शन होने के बाद कुलदीप ने सरकारी नौकरी जॉइन कर ली थी।
जॉब के साथ-साथ अपनी पढ़ाई जारी रखी, जिससे सब इंस्पेक्टर भर्ती 2021 में चयन हुआ। कुलदीप बताते हैं- मैंने एसआई जॉइन करने के लिए एलडीसी से रिजाइन कर दिया था।
अब ये फैसला हमारे लिए मृत्युदंड जैसा है। एसओजी ने भी इगो सेटिस्फेक्शन के लिए हमें बलि का बकरा बना दिया। आज कहा जा रहा है कि अगर अभ्यर्थी टैलेंटेड और ईमानदार होंगे तो फिर से सिलेक्ट हो जाएंगे।
मैं ऐसा कहने वालों से पूछना चाहता हूं- क्या हमारे समय की कोई कीमत नहीं हैं? कुछ आरोपियों के फर्जी होने के कारण हम सभी से अन्याय क्यों किया जा रहा है?
शालिनी : दूसरी भर्ती में सिलेक्ट हो भी जाऊं, पर ‘फर्जी’ का दाग नहीं मिटेगा
जयपुर में आईबी में पोस्टेड शालिनी ने SI भर्ती में 187वीं रैंक हासिल की थी। वे बताती हैं- सीकर स्थित घर में जश्न मनाया गया था। घर-खानदान में सबको गर्व था।
लेकिन ये फैसला आने के बाद हम आज कहीं भी जाने के लायक नहीं बचे हैं। हम अपने ही परिवार के आंसुओं का कारण बन गए हैं।
शालिनी कहती हैं- एसओजी चीफ ने खुद को महान बताने के लिए निर्दोषों की बलि चढ़ा दी है। जब भंवरी हत्याकांड की इतनी लंबी जांच हो सकती है और हमारी भर्ती की जांच पूरी क्यों नहीं की। आज हम दूसरी भर्ती में सिलेक्ट भी हो जाएं, तब भी लोग हमें फर्जी ही समझेंगे।
एसओजी की जांच रिपोर्ट…चयनित अभ्यर्थियों का कहना है, जब 765 के खिलाफ प्रमाण नहीं तो भर्ती रद्द क्यों की गई है।
चयनितों ने SOG की जांच पर भी उठाए सवाल
चयनित अभ्यर्थियों ने एसओजी की जांच पर भी सवाल उठाए हैं। जयपुर कमिश्नरेट में सब इंस्पेक्टर तैनात झुंझुनूं की अनु यादव कहा कि हमारे खिलाफ प्रोपगेंडा चलाया गया। इस पूरे मामले राजनीतिक मुद्दा बनाया गया।
एसओजी पर निशाना साधते हुए कहा कि बिना सबूत फर्जी कैसे करार दिया। एडीजी वीके सिंह मीडिया के सामने 400 फर्जी बताते हैं जबकि कोर्ट में दूसरे ही तथ्य सामने रखते हैं।
कोर्ट में सुनवाई से पहले किसी न किसी को गिरफ्तार करते हैं, ताकि सभी के खिलाफ माहौल बन सकें। एसओजी चीफ ने आरपीए में आकर हमारा सरप्राइज टेस्ट लिया था।
उसे उजागर क्यों नहीं किया जा रहा है। जब हम ट्रेनिंग कर रहे थे तब हमें दूसरी भर्तियों में शामिल होने की इजाजत ही नहीं थी। अब वो कीमती वक्त निकल गया है, उसकी भरपाई कौन करेगा?
हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने रद्द की थी SI भर्ती
राजस्थान हाईकोर्ट ने 28 अगस्त को एसआई भर्ती 2021 रद्द कर दी थी। जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने फैसला सुनाते हुए 202 पेज के आदेश में कहा- इस भर्ती का पेपर पूरे प्रदेश में फैला। पेपर लीक में आरपीएससी के 6 सदस्यों की भूमिका थी। पूरी खबर पढ़िए…
ट्रेनी SI ने डिवीजन बेंच में की अपील
एसआई भर्ती-2021 को रद्द करने के सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ चयनित अभ्यर्थियों ने अब हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में अपील दायर की है। सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए विक्रम पंवार सहित अन्य अभ्यर्थियों ने अपील की है। पूरी खबर पढ़िए…
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