After UP, Rajasthan has the highest number of water-scarce districts, here 29 districts are in…

भूजल उपलब्धता के लिहाज से राजस्थान की स्थिति अच्छी नहीं है। देश भर के कुल 193 अत्यधिक जल शोषण वाले जिलों में 29 जिले शामिल है। राजस्थान से ज्यादा सिर्फ यूपी में ही ऐसे 38 जिले हैं। इन 193 जिलों में पानी की कमी है। जल शक्ति मंत्रालय की रिपोर्ट में यह
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रिपोर्ट के अनुसार अलवर, बारां, बाड़मेर, भरतपुर, भीलवाड़ा, बीकानेर, बूंदी, चित्तौड़गढ़, चूरू, दौसा, धौलपुर, जयपुर, जैसलमेर, जालोर, झालवाड़, झुंझुनूं, जोधपुर, करौली, कोटा, नागौर, पाली और अजमेर जिलों में पानी की उपलब्धता कम और दोहन अत्यधिक हो रहा है। इन जिलों में चरणबृद्ध रूप से कैच द रेन अभियान के तहत वर्षा जल संग्रहण किया जाएगा। राजस्थान में मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के तहत पांच हजार से ज्यादा गांवों में काम कराए जा रहे हैं। प्रथम चरण में 3500 करोड़ की लागत आएगी। वर्ष 2023 से कैच द रेन अभियान अलग–अलग जिलों से शुरू किया गया।
वर्ष 2023 में जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, पाली, राजसमंद और जयपुर जिलों में वर्षा जल रिचार्ज का काम शुरू किया गया। जबकि वर्ष 2024 में कुछ नए जिलों को शामिल किया गया। इनमें चूरू, बीकानेर, सीकर, करौली, दौसा आदि जिले हैं। जबकि मौजूदा वर्ष में कैच द रेन के तहत अलवर, बारां, भरतपुर, भीलवाड़ा, बूंदी, चित्तौड़गढ़, धौलपुर, जालोर, झालावाड़, झुंझुनूं, कोटा, नागौर, पाली और अजमेर को भी जोड़ा गया है। इन सभी जिलों में केंद्र सरकार ने एक–एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया है।
वह राज्य सरकार के अफसरों के साथ समन्वय बनाकर जल संकटग्रस्त क्षेत्रों को उबारने पर काम करेंगे। वर्ष 2025–26 में देश भर के 148 जिलों पर विशेष फोकस किया जा रहा है। भारत के डायनमिक ग्राउंड वॉटर रिसोर्सेज के राष्ट्रीय संकलन रिपोर्ट के अनुसार 102 जिलों को अत्यधिक शोषण वाले, 22 जिलों को क्रिटिकल और 69 जिलों को सेमी क्रिटिकल के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यहां सबसे ज्यादा दोहन खेती और औद्योगिक इकाइयों में हो रहा है।
प्रदेश के 302 ब्लॉक में से 70 % अतिदोहित
केंद्रीय भूजल बोर्ड ने वर्ष 2024 में 302 इकाइयों का मूल्यांकन किया था। इनमें से 214 ब्लॉक- इकाइयां यानि 70.86% को अतिदोहित श्रेणी में माना गया है। वहीं, 27 इकाइयों यानि 8.94% को गंभीर, 21 इकाइयों यानि 6.95% को अर्ध गंभीर, जबकि 37 इकाइयों यानि 12.25% को ही सुरक्षित श्रेणी में रखा गया है। तीन इकाइयों को लवणीय श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है।