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एक साथ बैठकर सुलझा क्यों नहीं लेते? डॉगी की कस्टडी पर हाई कोर्ट ने महुआ मोइत्रा और वकील जय से…

दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार (3 सितंबर, 2025) को तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और अधिवक्ता जय अनंत देहाद्रई से पालतू कुत्ते हेनरी की कस्टडी को लेकर सवाल किया. हाई कोर्ट ने दोनों से सवाल किया कि आखिर दोनों एक साथ बैठकर अपने पालतू कुत्ते की कस्टडी को लेकर चल रहे विवाद को क्यों नहीं सुलझा सकते. वहीं, यह विवाद सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ संसदीय अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोपों तक जा पहुंचा है.

हाई कोर्ट के जस्टिस जैन ने इस विवाद को लेकर कहा, ‘आप दोनों बैठकर इसे सुलझा क्यों नहीं लेते? वह (महुआ मोइत्रा) इस याचिका में क्या राहत चाहती हैं?’ दरअसल, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने हेनरी नाम के अपने पालतू रॉटवीलर कुत्ते की साझा कस्टडी की मांग करते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

रिलेशन खत्म होने के बाद से मोइत्रा और देहाद्रई के बीच संबध ठीक नहीं

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा और सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्रई एक वक्त पर रिलेशनशिप में थे, लेकिन अलग होने के बाद से दोनों के बीच संबंध अच्छे नहीं है. साल 2023 से दोनों एक-दूसरे पर हेनरी को चुराने का आरोप लगा रहे हैं और उसके लिए कानूनी लड़ाई भी लड़ रहे हैं.

जहां, महुआ मोइत्रा का कहना है कि हेनरी उनका है और उन्होंने कुत्ते की साझा कस्टडी की मांग की है. वहीं, दूसरी ओर, अधिवक्ता जय अनंत देहाद्रई ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें महुआ मोइत्रा के साथ कुत्ते की कस्टडी विवाद को सार्वजनिक करने से रोका गया था.

देहाद्रई ने ट्रायल कोर्ट के आदेश पर जताई आपत्ति

देहाद्रई की ओर से पेश हुए अधिवक्ता संजय घोष ने कहा कि उन्हें ट्रायल कोर्ट के इस आदेश से आपत्ति है, क्योंकि इसने दोनों पक्षों को मामले पर सार्वजनिक रूप से बात करने से रोक दिया. उनका कहना था कि यह आदेश, जो महुआ मोइत्रा की याचिका पर पारित किया गया, उनके अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है.

उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने पहले एक्स प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट किया था, जिसमें मामले के बारे में किसी तरह का विवरण नहीं था, लेकिन फिर भी इसे अदालत के आदेश का उल्लंघन करार दिया गया था. उन्होंने सवाल उठाया, ‘मेरे खिलाफ एक फिजूल का केस दर्ज किया गया है और मैं इस पर बात नहीं कर सकता, चर्चा नहीं कर सकता, लिख भी नहीं सकता? निष्पक्ष सुनवाई के लिए यह कहां जरूरी है? वह सांसद हैं, तो क्या एक सांसद सामान्य वादी से ज्यादा अधिकार का दावा कर सकती हैं?’ वहीं, हाई कोर्ट ने बुधवार (3 सितंबर, 2025) को इस मामले में तृणमूल सांसद से जवाब मांगा और अगली सुनवाई दिसंबर में तय की.

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