क्या मौत के बाद खत्म हो जाती है इंसान की कहानी, ऑन्कोलॉजिस्ट ने बताया क्या होता है मौत के बाद?

मौत के बाद इंसान के साथ क्या होता है? क्या आत्मा शरीर के खत्म होने के बाद भी जिंदा रहती है? यह सवाल इंसान को हमेशा से कंफ्यूज करता आया है. प्राचीन ग्रंथों से लेकर मॉडर्न साइंस तक, हर जगह इस पर डिबेट होती रही है. कोई मानता है कि आत्मा स्वर्ग-नरक में जाती है, कोई कहता है कि उसका पुनर्जन्म (रीइंकार्नेशन) होता है, तो कुछ लोगों का विश्वास है कि आत्मा किसी दूसरे स्पिरिचुअल वर्ल्ड में जाकर अपने पुराने प्रियजनों से मिलती है.
साइंस क्या कहती है?
मेडिकल साइंस जिंदगी की परिभाषा तीन चीजों से करती है. दिमाग की एक्टिविटी, दिल की धड़कन और सांस. जब ये तीनों बंद हो जाते हैं तो इंसान क्लीनिकली डेड हो जाता है. लेकिन कई रिसर्चर्स अब नियर डेथ एक्सपीरियंस (एनडीई) पर रिसर्च कर रहे हैं.
एनडीई वाले केस में लोग कुछ मिनटों के लिए क्लीनिकली डेड हो जाते हैं, लेकिन फिर रिवाइव हो जाते हैं. ऐसे मरीज बताते हैं कि उन्होंने अनयूज़ुअल विज़ुअल्स और फीलिंग्स अनुभव किए. किसी ने ब्राइट टनल ऑफ लाइट देखा, किसी ने गुजर चुके रिलेटिव्स से मुलाकात की. साइंटिस्ट्स इसे दिमाग में होने वाले केमिकल रिएक्शंस मानते हैं, लेकिन कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह साबित करता है कि कॉन्शियसनेस (चेतना) शरीर से अलग भी सर्वाइव कर सकती है.
धर्मों की मान्यताएं
हर धर्म मौत के बाद की जिंदगी को अलग तरीके से समझाता है.
- ईसाई धर्म (क्रिस्चियनिटी): अच्छे कर्म और फेथ के आधार पर आत्मा हेवन या हेल में जाती है.
- हिंदू धर्म: शरीर खत्म हो जाता है, लेकिन आत्मा नया जन्म लेती है.
- बौद्ध धर्म: आत्मा कई जन्म लेती है और एनलाइटनमेंट मिलने पर मोक्ष प्राप्त करती है.
नियर डेथ एक्सपीरियंस (एनडीई) क्या है?
एनडीई उस स्थिति को कहते हैं जब कोई इंसान क्लीनिकली डेड होकर भी कुछ मिनट बाद रिवाइव हो जाए. ऐसे लोग बताते हैं कि उन्होंने ब्राइट लाइट, पीसफुल फीलिंग्स और अनकंडीशनल लव महसूस किया. कई बार लोग कहते हैं कि उन्होंने डिवाइन बीइंग्स से बातचीत की या अपने गुजर चुके प्रियजनों से मुलाकात की. हैरानी की बात यह है कि ये एक्सपीरियंसेस सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि अमेरिका और यूरोप के पेशेंट्स में भी एक जैसे मिलते हैं.
डॉक्टर की नजर से
केंटकी (अमेरिका) के ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. जेफ़्री लॉन्ग ने हजारों मरीजों की स्टोरीज सुनी हैं और उन्होंने नियर डेथ एक्सपीरियंस रिसर्च फाउंडेशन बनाई है. डॉ. लॉन्ग के अनुसार, पेशेंट्स के एक्सपीरियंसेस इतने सिमिलर और पावरफुल होते हैं कि इन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
कॉमन साइन
डॉ. लॉन्ग के मुताबिक, जिन लोगों को एनडीई हुआ, उन्होंने आमतौर पर ये बातें बताई-
- डॉक्टर और नर्स की बातें सुनना, जबकि वो क्लीनिकली डेड थे.
- ब्राइट टनल से गुजरना और गहरी शांति महसूस करना.
- गुजर चुके प्रियजनों से हेल्दी रूप में मुलाकात.
- डिवाइन बीइंग्स से बातचीत.
उनका कहना है कि अगर ये सिर्फ हॉल्युसीनेशन होते, तो छोटे बच्चों को भी वही अनुभव क्यों होते? यही वजह है कि मौत के बाद की जिंदगी का रहस्य आज भी इंसानों को सोचने पर मजबूर करता है. हालांकि, यह एक ऐसा विषय है जिसपर सदियों से चर्चा हो रही है और आगे भी चर्चा होती रहेगी.
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