Health Ministry to Amend New Drugs and Clinical Trials Rules, 2019 for Streamlining Test…

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नई दिल्ली3 मिनट पहले
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केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने फार्मास्यूटिकल और क्लीनिकल रिसर्च सेक्टर में कारोबार को आसान बनाने के लिए न्यू ड्रग्स एंड क्लीनिकल ट्रायल्स रूल्स-2019 में कुछ बदलाव करने का प्रस्ताव दिया है। इन प्रस्तावित बदलावों को 28 अगस्त को भारत के राजपत्र में प्रकाशित किया गया और अब जनता से सुझाव मांगे जा रहे हैं।
क्या हैं मुख्य बदलाव?
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इन बदलावों का मकसद टेस्ट लाइसेंस लेने और बायोएवेलेबिलिटी/बायोइक्विवेलेंस (BA/BE) स्टडीज से जुड़ी प्रोसेस को सरल बनाना है। अब टेस्ट लाइसेंस के लिए मौजूदा सिस्टम को नोटिफिकेशन और इंटिमेशन सिस्टम में बदला जा रहा है।
इसका मतलब है कि कुछ खास हाई-रिस्क दवाओं को छोड़कर, आवेदकों को टेस्ट लाइसेंस के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा। वे बस सेंट्रल लाइसेंसिंग अथॉरिटी को सूचित करेंगे और काम शुरू कर सकेंगे।
इसके अलावा टेस्ट लाइसेंस के लिए आवेदन की प्रोसेसिंग अवधि को 90 दिनों से घटाकर 45 दिन कर दिया गया है। कुछ खास BA/BE स्टडीज के लिए अब लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी, इसके बजाय सिर्फ अथॉरिटी को सूचना देनी होगी।
क्या होगा फायदा?
इन बदलावों से फार्मा कंपनियों और रिसर्चर्स को काफी राहत मिलेगी। मंत्रालय का कहना है कि इन सुधारों से टेस्ट लाइसेंस के लिए आने वाले आवेदनों की संख्या करीब 50% तक कम हो जाएगी। इससे दवाओं की टेस्टिंग, रिसर्च और BA/BE स्टडीज को जल्दी शुरू करने में मदद मिलेगी। जिससे दवा विकास और मंजूरी की प्रोसेस तेज होगी।
साथ ही सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) अपने ह्यूमन रिसोर्स का बेहतर इस्तेमाल कर पाएगा। जिससे नियामक निगरानी का प्रभाव बढ़ेगा।
यह क्यों है जरूरी?
ये बदलाव फार्मास्यूटिकल और क्लिनिकल रिसर्च सेक्टर में भारत को और बेहतर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। कारोबार की आसानी को बढ़ावा देकर सरकार न केवल घरेलू कंपनियों को फायदा पहुंचाना चाहती है। बल्कि ग्लोबल लेवल पर भी भारत को दवा विकास का हब बनाने की कोशिश कर रही है।
जनता और हितधारक इन प्रस्तावित बदलावों पर अपने सुझाव दे सकते हैं। यह कदम निश्चित रूप से भारत के फार्मा सेक्टर को नई गति देगा और दवाओं के रिसर्च को और तेज करेगा।