अन्तराष्ट्रीय

China Victory Day Military Parade: एक ओर पुतिन तो दूसरी ओर किम जोंग शी का ये ‘माओ स्टाइल’ डराने…

अभी अपने देश में एससीओ की समिट करवाकर, पीएम मोदी से लेकर पुतिन जैसे दुनिया भर के ताकतवर नेताओं को जुटाकर शी जिनपिंग ने जो शक्ति प्रदर्शन किया था उसका खुमार अभी उतरा भी नहीं था. अभी तो अमेरिका इसी शक्ति प्रदर्शन पर बिलबिलाया हुआ था कि अब शी जिनपिंग ने चीन की राजधानी बीजिंग के तियानमेन स्कवायर पर ऐसी विक्ट्री परेड निकाल दी है कि अब न सिर्फ अमेरिका बल्कि अमेरिका का साथ देने वाले तमाम देश भी दहशत में आ गए हैं.

 

आखिर शी जिनपिंग ने ऐसा क्या किया है और क्यों किया है कि इसका सीधा असर अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप पर होना तय है और आखिर क्यों इस विक्ट्री परेड में दिखाई गई ताकत से भारत को भी बेहद सावधान रहने की जरूरत है.

2 सितंबर 1945 वो तारीख थी, जब जापान ने दूसरे विश्वयुद्ध में अपनी हार मानकर इन्स्ट्रूमेंट ऑफ सरेंडर पर साइन किए थे. इस जंग में जापान चीन का दुश्मन था तो चीन जापान की हुई इस हार को अपनी जीत की तरह देखता है और इस साल 2025 में उस जीत के 80 साल पूरे होने पर चीन ने एक विक्ट्री परेड निकाली है, जिसकी अगुवाई राष्ट्रपति शी जिनपिंग कर रहे हैं. इस विक्ट्री परेड के दौरान शी जिनपिंग ने अपनी परंपरागत मिलिट्री ड्रेस की बजाय ऐसे कपड़े पहने हैं, जो माओ-त्से-तुंग पहना करते थे. माओ का नाम एक ऐसे तानाशाह की तरह लिया जाता है, जिसने दुनिया तो क्या अपने लिए अपने देश के लोगों की भी परवाह नहीं की थी, जिसका नतीजा हुआ कि चीन दुनिया के नक्शे पर एक महाशक्ति की तरह उभरा और माओ पूरी दुनिया के लिए एक किंवदंती की तरह बन गए.

शी जिनपिंग भी अब उसी राह पर हैं. पिछले 13 साल से चीन की सत्ता पर शी का एकाधिकार है, जिसे कोई भी चुनौती देने वाला नहीं है. ऐसे में अमेरिका के बरक्स एक और शक्ति केंद्र स्थापित करने की कोशिश में जुटे शी जिनपिंग ने इस विक्ट्री परेड के बहाने वो कर दिखाया है, जो माओ भी नहीं कर पाए थे. दरअसल इस विक्ट्री परेड को शी जिनपिंग ने अपनी शक्ति के प्रदर्शन का जरिया बनाया है, जिसमें बीच में वो खुद मौजूद हैं. उनके दाहिने तरफ हैं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और बाईं तरफ हैं नॉर्थ कोरिया के राष्ट्रपति किम-जोंग उन और उनकी बेटी किम जू.  इन तीनों का अमेरिका से रिश्ता क्या है अब किसी से छिपा नहीं है. बाकी इन तीनों के अलावा 20 से ज्यादा देशों के वो नेता भी मौजूद थे, जो किसी न किसी वजह से अमेरिका से खार खाए रहते हैं.

बात सिर्फ इस फोटो ऑप की ही नहीं है, बल्कि बात इससे आगे उन हथियारों की है, जो इस विक्ट्री परेड का हिस्सा थे. इसमें खतरनाक बात है  DF-5C न्यूक्लियर इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल के एडवांस वर्जन 6F की मौजूदगी जिसकी मारक क्षमता की जद में अमेरिका भी है. चीन ने बार-बार इस बात को दोहराया भी है कि उसके पास जो हथियार हैं, उनकी क्षमता अमेरिका तक हमला करने की हो गई है. इसके अलावा इस विक्ट्री परेड में हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल्स, YJ-21 एंटी-शिप क्रूज मिसाइल और JL-3 पनडुब्बी से छोड़ी जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइलें भी शामिल हैं. इसके अलावा भी इस विक्ट्री परेड में चीन ने उन हथियारों का प्रदर्शन किया है, जो पहली बार दुनिया के सामने आए हैं. इनमें अंतरिक्ष में हमला करने वाली मिसाइल से लेकर बिना पायलट के उड़ने वाले फाइटर जेट और पानी के अंदर चलने वाले ड्रोन्स तक शामिल हैं.

चीन की मीडिया ने दावा किया है कि चीन के इन नए हथियारों और खास तौर से DF-5C की रेंज 20 हजार किलोमीटर है और इसकी रफ्तार मैक-10 तक है. यानी कि चीन की मारक क्षमता अमेरिका ही नहीं बल्कि करीब-करीब दुनिया के हर देश तक पहुंच गई है. ऐसे में ये परेशानी की बात सिर्फ अमेरिका के लिए ही नहीं हमारे लिए भी है, क्योंकि चीन कब दोस्त होता है और कब दुश्मन, ये वो खुद तय करता है. लिहाजा चीन पर इतनी आसानी से कभी भी भरोसा तो नहीं ही किया जा सकता. विक्ट्री परेड में भारत के दोस्तों के साथ ही भारत के सबसे बड़े दुश्मनों यानी कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ और पाकिस्तानी सेना के मुखिया आसिम मुनीर की मौजूदगी इस बात का इशारा है कि भारत को सतर्क रहने की जरूरत तो है. बाकी देखते हैं कि चीन की इस विक्ट्री परेड पर अमेरिका क्या रिएक्शन देता है, क्योंकि ट्रंप बिना बोले तो मानेंगे नहीं. तो देखते हैं. ट्रंप के बयान का इंतजार करते हैं और तब फिर आगे की बात करते हैं.

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