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US-India Military Exercise: बहुमूल्य है भारत और अमेरिका की पार्टनरशिप, जरूरत पड़ सकती है सैन्य…

टैरिफ वॉर को लेकर भले ही भारत और अमेरिका के बीच इन दिनों तलवार खींची है लेकिन निकट भविष्य की चुनौतियों में दोनों देशों की सेनाओं को अपनी-अपनी सीमाओं से परे एक साथ सैन्य सहयोग की जरूरत पड़ सकती है. इसी आदर्श वाक्य के साथ अलास्का में भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच वार्षिक मिलिट्री एक्सरसाइज ‘युद्ध अभ्यास 2025’ (1-14 सितंबर) का आगाज हो गया है.

मंगलवार (अमेरिका समयानुसार) से अलास्का के फोर्ट वेनराइट मिलिट्री बेस में भारत और अमेरिका की सेनाओं के युद्धाभ्यास के दौरान पहले दिन दोनों देशों के कॉन्टिन्जंट कमांडर ने संबोधित किया. यूएस आर्मी की फर्स्ट (01) इन्फ्रेंट्री ब्रिगेट कॉम्बेट टीम (आर्टिक) के कमांडर, कर्नल क्रिस्टोफर ब्रॉलेय ने भारतीय सैन्य टुकड़ी का स्वागत करते हुए कहा कि “साथ मिलकर, हम शांति स्थापना, मानवीय प्रतिक्रिया और युद्ध अभियानों के लिए अपने कौशल को निखारते हैं. क्योंकि हम जानते हैं कि भविष्य की चुनौतियों के लिए सीमाओं के पार सहयोग की आवश्यकता होगी.”

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत के खिलाफ लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ और ऑपरेशन सिंदूर की मध्यस्थता को लेकर भारत से हुए टकराव से इतर, कर्नल ब्रॉलेय ने कहा कि “जब हमारे (भारत और अमेरिका के) सैनिक कंधे से कंधा मिलाकर प्रशिक्षण लेते हैं, तो हम दुनिया को दिखाते हैं कि हमारी साझेदारी मजबूत, स्थायी है और किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है.”

इस वर्ष ‘युद्ध अभ्यास’ में अमेरिका की 11वीं एयरबोर्न डिवीजन (इंडो पैसिफिक कमांड के अधीन) की तीन अलग-अलग बटालियन (1 बटालियन, 5 इन्फेंट्री रेजिमेंट बॉबकैट्स और 1 इन्फेंट्री ब्रिगेड कॉम्बेट टीम आर्टिक) के करीब 750 सैनिक हिस्सा ले रहे हैं. भारतीय सेना की मद्रास रेजीमेंट के 450 सैनिक इस वर्ष के युद्ध-अभ्यास संस्करण में हिस्सा ले रहे हैं. दोनों देशों के बीच साझा मिलिट्री एक्सरसाइज का ये 18वां संस्करण है.

युद्ध अभ्यास के उदघाटन मौके पर बोलते हुए भारतीय दल के कमांडर, ब्रिगेडियर राजीव सहारा (65वीं इन्फेंट्री ब्रिगेड) ने अमेरिका के साथ साझेदारी को बहुमूल्य बताते हुए कहा कि इस तरह की मिलिट्री एक्सरसाइज अवधारणाओं, परिष्कृत प्रक्रियाओं और सबसे महत्वपूर्ण, एक-दूसरे के अनुभव से सीखने के लिए आदर्श वातावरण बनाती हैं.

ये युद्धभ्यास, एक वर्ष भारत में होता है और एक वर्ष अमेरिका. पिछले साल ये युद्धाभ्यास राजस्थान की महाजन फील्ड फायरिंग रेंज (बीकानेर) में आयोजित किया गया था. उल्लेखनीय है कि दोनों देशों की साझा मिलिट्री एक्सरसाइज को युद्ध अभ्यास (यानी युद्ध के लिए तैयारियां) के नाम से ही जाना जाता है.

अमेरिका के लिए, अलास्का, आर्कटिक और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के प्रमुख हवाई और समुद्री गलियारों से अपनी निकटता के कारण रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण प्रशिक्षण स्थल प्रदान करता है. भारतीय सैनिकों के लिए, यह आर्कटिक अभियानों में अनुभवी अमेरिकी सैनिकों के साथ ठंडे मौसम में प्रशिक्षण का एक स्थान प्रदान करता है.

युद्ध अभ्यास के आगाज पर यूएस आर्मी ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि अगले दो हफ्ते तक दोनों देशों की थलसेनाओं के सैनिक साझा ट्रेनिंग करेंगे ताकि इंटरऑपरेबिलिटी (अंतर-संचालन), रेडीनेस (तत्परता) और सहयोग बढ़ाया जा सके. वर्ष 2004 में युद्ध अभ्यास की शुरुआत काउंटर इनसर्जेंसी एक्सरसाइज के साथ शुरु हुई थी, लेकिन आज ये एक ब्रिगेड-स्तर की कमांड पोस्ट और फील्ड ट्रेनिंग एक्सरसाइज में तब्दील हो गई है जिसका उद्देश्य पारंपरिक, गैर-पारंपरिक और हाइब्रिड खतरों से लड़ने के साथ-साथ आपदा राहत और मानवीय सहायता के लिए तैयार रहना है. साथ ही अमेरिका की इंडो-पैसिफिक कमांड की हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र को फ्री और ओपन रखने में क्षेत्रीय पाटनर्शिप को मजबूत करने की स्ट्रेटेजी पर आधारित है.

यूएस आर्मी के मुताबिक, इस बार की एक्सरसाइज में आर्टलरी (तोप) लाइव फायर एक्सरसाइज, एकेडमिक एक्सचेंज, कम्बाइंड टेक्टिकल ऑपरेशन्स और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. यह अभ्यास अमेरिकी सेना प्रशांत क्षेत्र की पाँच मुख्य प्राथमिकताओं का समर्थन करता है: अभियान, परिवर्तन, मारक क्षमता, साझेदारी और लोग। यह व्यापक अमेरिका-भारत प्रमुख रक्षा साझेदारी को भी दर्शाता है, जिसमें संयुक्त क्षमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से संयुक्त अभ्यासों, रक्षा व्यापार पहलों और कार्मिक आदान-प्रदान की एक श्रृंखला शामिल है.

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