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Mughal Emperors: कौन था वो मुगल बादशाह? जिसे शाकाहारी खाना था बहुत पसंद, पीता था गंगाजल

भारत में मुगलों ने सैकड़ों सालों तक राज किया. उन्हें कई चीजों का शौक था, जिसमें खाने को लेकर उनकी पसंद काफी अलग थी. इस तरह से मुगल बादशाह अकबर भारतीय खानपान से गहराई से प्रभावित थे. सलमा हुसैन मुगलकालीन में खाए जानें वाले व्यंजनों पर कई किताबें लिख चुकी है. उनके मुताबिक वे सप्ताह में तीन दिन केवल शाकाहारी भोजन करते थे. उनके विशेष किचन गार्डन को गुलाबजल से सींचा जाता था, ताकि सब्जियों में खुशबू बनी रहे. अंतिम सालों में उन्होंने शराब छोड़ दी और दिन में केवल एक बार भोजन करना शुरू किया. पानी के लिए वे केवल गंगा जल पीते थे, जिसे वे शुद्ध और स्वास्थ्यप्रद मानते थे.

मुगल शासकों में भोजन की सुरक्षा पर भी बेहद ध्यान दिया जाता था. पहले इसे भरोसेमंद अधिकारी चखते, फिर सील करके सेना की निगरानी में भोजन कक्ष में भेजा जाता था. यहां तक कि हिमालय से बर्फ मंगाकर पानी को ठंडा किया जाता था.

एक और मुगल बादशाह शाहजहां खाने के बहुत शौकीन थे. शाहजहां को मसालों का स्वाद बेहद पसंद था. वे संयमित रूप से शराब पीते थे. उनका भोजन अक्सर यमुना जल में पकाया जाता था. उन्हें खासतौर पर आम बेहद प्रिय थे. उनके दौर में मुगल रसोई में मसालेदार व्यंजनों की विविधता देखने को मिलती थी.

मुगल बादशाह जहांगीर का खानपान
तुज़ूके-जहांगीरी के अनुसार मुगल बादशाह जहांगीर का खानपान उनकी वाइन और अफीम की आदत से प्रभावित था. उन्हें वाइन का काफी शौक था. इसके अलावा उन्हें अफीम लेने की आदत भी थी. कई बार तो वे नशे की हालत में इतने कमजोर हो जाते थे कि उन्हें दरबार से बाहर ले जाना पड़ता था. जहांगीर के दौर में दरबार की संस्कृति में शाही भोज और पेय का खास महत्व था.

बाबर और हुमायूं वतन और ईरानी स्वाद का मेल
बाबर, जो फरगना और समरकंद से भारत आए थे, अपने वतन के भोजन को याद करते थे. भारत में उन्हें ताजे और खारे पानी की मछलियां पसंद थीं. वहीं हुमायूं ने मुगल दरबार में ईरानी खानपान का स्वाद जोड़ा. उन्हें विशेष रूप से खिचड़ी बेहद पसंद थी. उनके दौर से मुगल भोजन में फारसी अंदाज झलकने लगा.

औरंगजेब सादगी और धार्मिकता
औरंगजेब बेहद धार्मिक नेचर के थे. उन्होंने जीवन का अधिकांश समय शाकाहारी भोजन करते हुए बिताया. उन्हें कुबूली बिरयानी पसंद थी, जो चने, खुबानी, तुलसी और बादाम से बनती थी. उनकी सादगी भरी खानपान शैली ने मुगल परंपरा में एक अनोखा स्थान बनाया.

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