11 days later, a report of theft of bracelet from an elderly person was registered | 11 दिन बाद…

जयपुर पुलिस कमिश्नर डीजीपी की 5 घंटे की मैराथन मीटिंग के बाद कहते हैं कि वह जयपुर कमिश्नरेट को देश का सेफ सिटी बना देंगे। राजस्थान सरकार और राजस्थान पुलिस के लिए जयपुर पुलिस एक मिसाल बनेगी। लेकिन ग्राउंड के हालात देख कर लगता है कि यह बाते सिर्फ डीजीप
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22 अगस्त को दोपहर 1 बजे एक सीनियर सिटिजन के साथ सोने का कटा लूट की वारदात हुई। पुलिस ने 11 दिन तक रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की,पीड़ित जब थाने पहुंचे तो पुलिस ने डरा धमका कर थाने से भगा दिया। पीड़ित ने जब आप बीती एडिशनल कमिश्नर को सुनाई तो आदेश हुए की एफआईआर दर्ज करो,जिस के बाद झोटवाड़ा थाना पुलिस ने एफआईआर दर्ज की।
पीड़िता के बेटे कमल ने भास्कर को बताया कि 22 अगस्त को उनकी मां लक्ष्मी देवी (68) पत्नी पीताम्बर दास सिंधी निवासी सिंधी कॉलोनी दोपहर करीब 1 बजे शिव शक्ति मंन्दिर में दर्शन करने के बाद सड़क के रास्ते घर की तरफ आ रही थी। इसी दौरान मुख्य सड़क पर एक ऑटो चालक ने लक्ष्मी देवी से कहा कि सड़क पर पानी भरा हुआ है,आगे तक वह उसे छोड़ देगा। पीड़िता ने कई बार ऑटो चालक को मना किया लेकिन ऑटो चालक उन से बार- बार कहने लगा तो बुजुर्ग ऑटो में बैठ गई। उस दौरान ऑटो में एक महिला एक पुरुष और ऑटो चालक था। बुजुर्ग के बैठने के दौरान एक महिला और एक बच्चा भी ऑटो में बैठ गया। करीब 50 मीटर चलने के बाद पीड़िता ने ऑटो चालक को उसे उतारने के लिए कहा। जिस पर ऑटो चालक ने ऑटो रोक और बुजुर्ग महिला को नीचे उतार दिया। महिला कुछ कदम चली तो उसे पता चला कि उसके एक हाथ में पहना हुआ सोने का कड़ा गायब हैं। आरोपियों ने कटर से ऑटो में ही बुजुर्ग महिला का कडा काट लिया और मौके से फरार हो गए।
पीड़ित ने बेटे को इस घटना की जानकारी दी,जिस पर कमल मां को लेकर झोटवाड़ा थाने पहुंचा पुलिस ने एक सादे कागज पर रिपोर्ट लेकर पीड़ित को घर भेज दिया। पुलिस ने जब 31 अगस्त तक रिपोर्ट दर्ज नहीं की तो पीड़ित कमल थाने पहुंचा तो पुलिस ने स्टाफ ने उसे थाने से डरा धमका कर थाने से बाहर निकाल दिया। जिस के बाद कमल उसकी मां को लेकर एडिशनल कमिश्रर मनीष अग्रवाल के पास पहुंचा, जहां से थाने में रिपोर्ट भेजी गई जिस के बाद झोटवाड़ा थाना पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। रिपोर्ट थाने पर जाने के बाद एसआई मूलचंद पीड़ित के घर पहुंचे बुजुर्ग के बयान लिये,मौका नक्शा बनाया और एफआईआर दर्ज की।
पीड़ित कमल ने बताया कि पुलिस अपराध होने के साथ ही एक्शन नहीं ले रही हैं तो फिर बाद में रिपोर्ट दर्ज करने पर क्या एक्शन लेगी। एक तरफ राजस्थान पुलिस क्राइम कंट्रोल करने का दावा करती है दूसरी तरफ रिपोर्ट थाने में दर्ज होने में 11 दिन लग रहे हैं। जयपुर कमिश्नरेट में अगर एक रिपोर्ट दर्ज होने में 11 दिन लग रहे हैं तो पीड़ितों को न्याय कैसे मिलेगा। इन 11 दिनों में पुलिस से जब कोई मदद नहीं मिली तो कमल ने अपने स्तर पर कॉलोनी मे घूम-घूम कर उसकी मां के साथ लूट करने वाले बदमाशों का सीसीटीवी फुटेजल निकाला,ऑटो का नम्बर पुलिस और फुटेज पुलिस को दी।