Supreme Court Child Custody Case; Father Son Video Call | Ireland India | सुप्रीम कोर्ट…

नई दिल्ली1 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि हर बच्चे को अपने माता-पिता का प्यार, मार्गदर्शन और भावनात्मक सहयोग पाने का पूरा हक है। इसे किसी भी हाल में रोका नहीं जा सकता, चाहे माता-पिता अलग-अलग देशों में क्यों न रह रहे हों।
यह टिप्पणी जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने उस याचिका की सुनवाई में की, जिसमें एक पिता ने आयरलैंड में उनकी पत्नी के साथ रह रहे 9 साल के बेटे से वीडियो कॉल पर बात करने की अनुमति मांगी थी।
बेंच ने पिता की मांग को जायज ठहराते हुए आदेश दिया कि पिता बेटे से हर दूसरे रविवार को आयरलैंड समय अनुसार सुबह 10 से 12 बजे तक दो घंटे वीडियो कॉल पर बात कर सकते हैं। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि माता-पिता दोनों सुनिश्चित करें कि यह प्रक्रिया बिना किसी रुकावट के पूरी हो।
अदालत बोली-माता-पिता का झगड़ा बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि बच्चे को पिता या मां से दूर करना उसके विकास और भविष्य पर बुरा असर डालता है। माता-पिता का झगड़ा बच्चे को अनावश्यक संघर्ष में झोंक देता है, जो उसकी जिंदगी और मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा-बच्चे की जिम्मेदारी माता-पिता से संपर्क रखे
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बच्चे को पिता से दूर करना उसके प्यार और मार्गदर्शन से वंचित करना है। अदालत ने कहा कि बच्चों की भी जिम्मेदारी है कि वे मां और पिता दोनों के संपर्क में बने रहें, ताकि उनका संतुलित विकास हो सके।
——————————