अन्तराष्ट्रीय

जब ट्रेन से सफर करते हैं किम जोंग उन तो सोने का लैपटॉप समेत टेबल पर होती हैं ये तीन चीजें,…

नॉर्थ कोरिया के तानाशाह 1 सितंबर को चीन की राजधानी बीजिंग पहुंचे. वह अपनी बेटी के साथ चीन के सैन्य परेड में भाग लेने के लिए  4,500 किलोमीटर लंबी दूरी तय करके चीन गए हैं. उनके सफर की सबसे खास बात ये रही कि उन्होंने चीन की यात्रा पूरी करने के लिए फ्लाइट की जगह ट्रेन का इस्तेमाल किया. किम की ट्रेन केवल सुरक्षा ही नहीं, बल्कि लग्जरी का भी प्रतीक है. इस ट्रेन में एक रेस्टोरेंट कोच है, जहां विशेष भोजन परोसा जाता है. ऐसा भी कहा जाता है कि उनके सोने से जड़े लैपटॉप, खास सिगरेट बॉक्स और कई फोन हमेशा उनकी टेबल पर रहते हैं.

उत्तर कोरिया के शासक जिस ट्रेन से यात्रा करते हैं, उसका नाम है टाएयेनघो जिसका मतलब सूरज है. यह नाम देश के संस्थापक किम इल सुंग के प्रतीक से जुड़ा हुआ है. ट्रेन का रंग गाढ़ा हरा और उस पर पीली पट्टी होती है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह रंग कैमोफ्लाज (छलावरण) के लिए चुना गया, ताकि जंगलों और पहाड़ी इलाकों से गुजरते समय यह दुश्मनों की नजरों से बची रहे.

ट्रेन की सुविधाएं
2009 में दक्षिण कोरियाई मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस बख्तरबंद ट्रेन में लगभग 90 डिब्बे होते हैं. इसमें शानदार कॉन्फ्रेंस रूम और ऑडियंस चैंबर्स हैं. आरामदायक बेडरूम और लाल लेदर आर्मचेयर से सुसज्जित मिटिंग रूम हैं. सैटेलाइट फोन और फ्लैट स्क्रीन टेलीविजन जैसी आधुनिक तकनीक मौजूद है. हर डिब्बा सुरक्षा की दृष्टि से मजबूत और बुलेटप्रूफ है.

सुरक्षा और रफ्तार
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, यह ट्रेन एक चलता-फिरता किला है. यह बुलेटप्रूफ और बम-रोधी है. इसकी औसत गति मात्र 50-60 किलोमीटर प्रति घंटा है. तुलना करें तो लंदन की हाई-स्पीड ट्रेन 200 किमी/घं और जापान की बुलेट ट्रेन 320 किमी/घं की रफ्तार से चलती है.

ऐतिहासिक यात्राएं
किम जोंग उन साल 2001 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने के लिए इसी ट्रेन से 10 दिन का सफर करके मॉस्को पहुंचे थे. किम जोंग उन ने भी 2019 में हनोई में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से शिखर वार्ता के लिए इसी ट्रेन से 4,500 किलोमीटर की यात्रा की थी.

ट्रेन का मार्ग
यह ट्रेन अक्सर चीन के रास्ते गुजरती है. उत्तर-पूर्वी चीन के लियाओनिंग प्रांत से होकर डांडोंग और फिर शेनयांग से निकलती है. इसके बाद यह मांचुरिया की पहाड़ियों को पार करती हुई बीजिंग की ओर जाती है. रास्ते में यह ट्रेन 177 रेल पुलों और लगभग 5 सुरंगों से होकर गुजरती है. इसी रूट पर उत्तर कोरिया का सबसे लंबा रेल ब्रिज है, जिसकी लंबाई 1200 मीटर से अधिक है. सफर के दौरान यह ट्रेन यालू नदी घाटी और पश्चिमी मांचुरिया के ऊंचाई वाले क्षेत्रों को भी पार करती है.

ये भी पढ़ें: ट्रंप या जापान? विक्ट्री परेड में किसको चेतावनी दे रहे थे शी जिनपिंग, बोले- किसी की धौंस से नहीं डरता चीन

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button