बुजुर्गों नहीं बच्चों को भी हो जाती है मोतियाबिंद की बीमारी, ये हैं पांच बड़े कारण

मोतियाबिंद (Cataract) एक ऐसी आंख की बीमारी है, जिसमें आंख के लेंस में धुंधलापन आ जाता है, जिससे नजर कम होने लगती है. आमतौर पर यह बुजुर्गों में होता है, लेकिन कई बार बच्चों में भी मोतियाबिंद की समस्या देखने को मिलती है. बच्चों में मोतियाबिंद का सही समय पर इलाज न होने पर उनकी दृष्टि प्रभावित हो सकती है और यह देखने की क्षमता हानि का कारण बन सकता है. इसलिए, बच्चों में मोतियाबिंद के कारणों को समझना और समय रहते इलाज कराना बहुत जरूरी है.
बच्चों में मोतियाबिंद के पांच रीजन
जन्मजात मोतियाबिंद (Congenital Cataract)
कुछ बच्चे जन्म के समय ही मोतियाबिंद के साथ पैदा होते हैं. यह आमतौर पर आनुवंशिक (Genetic) कारणों से होता है या गर्भावस्था के दौरान मां को किसी संक्रमण (जैसे रेडियोलॉजिकल एक्सपोजर, रूबेला वायरस) का सामना करना पड़ता है.
आंख में चोट (Eye Injury)
बच्चों को खेल-खेल में या किसी दुर्घटना के कारण आंख में चोट लगने से भी मोतियाबिंद हो सकता है. चोट से लेंस की सतह प्रभावित होती है जिससे धुंधलापन आने लगता है.
सिस्टिक फाइब्रोसिस और मेटाबोलिक डिसऑर्डर
कुछ मेटाबोलिक बीमारियां जैसे कि गैलेक्टोसीमिया, न्यूरोडर्मेटाइटिस आदि बच्चों में मोतियाबिंद का कारण बन सकती हैं. ये बीमारियां शरीर के लेंस को प्रभावित करती हैं.
दवाइयों का प्रभाव
बच्चों को अगर लंबे समय तक कुछ दवाइयां दी जाती हैं, खासकर स्टेरॉयड जैसी दवाइयां, तो इससे भी मोतियाबिंद विकसित हो सकता है.
आंख में संक्रमण (Eye Infection)
बच्चों की आंखों में संक्रमण होने पर भी मोतियाबिंद का खतरा बढ़ जाता है. विशेष रूप से अगर संक्रमण का इलाज समय पर न हो, तो लेंस की गुणवत्ता खराब हो सकती है.
मोतियाबिंद के लक्षण और इलाज
बच्चों में मोतियाबिंद के लक्षणों में नजर का कम होना, आंखों का लाल होना, सफेद या धुंधला दिखना शामिल हो सकता है. अगर बच्चे के माता-पिता को ऐसा कोई लक्षण दिखे तो तुरंत नेत्र विशेषज्ञ से सलाह लें. मोतियाबिंद का इलाज ऑपरेशन के द्वारा किया जाता है, जिसमें धुंधले लेंस को हटाकर नया लेंस लगाया जाता है. बच्चे के देखने की क्षमता के विकास के लिए यह समय पर जरूरी होता है.
बचाव के उपाय
- गर्भावस्था में मां का सही देखभाल
- बच्चों को आंखों में चोट से बचाएं
- संक्रमण का समय पर इलाज कराएं
- नियमित आंखों की जांच कराते रहें
डॉक्टर क्या कहते हैं?
डॉ. राजेंद्र प्रसाद नेत्र चिकित्सा केंद्र, एम्स, नई दिल्ली के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश सिन्हा के अनुसार, “बच्चों में मोतियाबिंद को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. अगर शुरुआती लक्षण दिखें तो तुरंत विशेषज्ञ से जांच कराएं. यह इलाज योग्य है, लेकिन देरी होने पर बच्चे की देखने पर स्थायी असर पड़ सकता है.”
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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