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ट्रंप या जापान? विक्ट्री परेड में किसको चेतावनी दे रहे थे शी जिनपिंग, बोले- किसी की धौंस से…

विक्ट्री डे परेड में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चेतावनी दी है कि चीन कभी किसी धौंस जमाने वाले से नहीं डरता. उन्होंने कहा कि मानवता को अमन या जंग, बातचीत या टकराव और सबके फायदे या नुकसान के बीच का रास्ता चुनना होगा.

 बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की हार की 80वीं सालगिरह के मौके पर शी जिनपिंग अब तक की सबसे बड़ी सैन्य परेड की मेजबानी कर रहे हैं. दूसरे विश्व युद्ध के अंत में जापान ने चीन के सामने घुटने टेक दिए थे, जिसके लिए चीन ने इस सैन्य परेड का आयोजन किया है. चीन ने विक्ट्री परेड में शामिल होने के लिए 26 देशों को निमंत्रण भेजा था, जिसमें उसके खास दोस्त- रूस, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान- भी शामिल हैं.

विक्ट्री परेड में अपने भाषण की शुरुआत में शी जिनपिंग ने 50 हजार से ज्यादा दर्शकों को संबोधित करते हुए कहा, ‘कॉमरेड्स और दोस्तों, हम चीन की जीत की 80वीं वर्षगांठ मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं.’ उन्होंने चीन के लोगों से इतिहास को याद रखने की अपील करते हुए कहा कि वे उन दिग्गजों को याद रखें और उन्हें सम्मान दें, जिन्होंने जापान के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी.

शी जिनपिंग ने कहा, ‘इतिहास हमें चेतावनी देता है कि मानवता साथ ही उठती है और साथ ही गिरती है. चीन कभी भी किसी धौंस जमाने वाले से नहीं डरता और हमेशा आगे बढ़ता रहता है.’ उन्होंने कहा कि यह एक ‘नई यात्रा, नया युग’ है. शी जिनपिंग कहा, ‘चीनी राष्ट्र एक महान राष्ट्र है जो कभी किसी के डराने-धमकाने से नहीं डरता. चीन मजबूत है, किसी से नहीं डरता और दुनिया में नेतृत्वकारी भूमिका निभाने के लिए तैयार है. चीनी ऐसे लोग हैं जो हिंसा से नहीं डरते, आत्मनिर्भर हैं और मजबूत हैं. इसके साथ ही, हम शांतिपूर्ण विकास के मार्ग पर कायम रहेंगे और सभी देशों के लोगों के साथ मिलकर मानवता के लिए साझा भविष्य वाला समुदाय बनाएंगे.’

क्या है चीन-जापान युद्ध का इतिहास?
साल 1937 से 1945 के बीच चीन और जापान के बीच चला यह युद्ध सेकेंड वर्ल्ड वॉर का हिस्सा था, जिसे चीन में जापान के आक्रमण के खिलाफ प्रतिरोध युद्ध के रूप में जाना जाता है. इस युद्ध में लाखों चीनी नागरिक और सैनिक मारे गए थे. 1937 में मार्को पोलो ब्रिज की घटना के बाद जापान ने चीन पर बड़े पैमाने पर आक्रमण कर दिया था.

इसी दौरान चीन में नानजिंग नरसंहार की घटना भी हुई. 1937 से 1938 के बीच नानजिंग पर कब्जा करने के बाद जापानी सेना ने बड़े पैमाने पर नरसंहार किया, जिसमें लाखों चीनी नागरिक और सैनिक मारे गए थे. जापान के विरोध में चीनी सेना ने भी कड़ी कार्रवाई की और 3 सितंबर 1945 को जापानी सेना को घुटनों पर ला दिया. इस दिन जापान ने अनौपचारिक रूप से आत्मसमर्पण किया था, जिसे चीन ‘विक्ट्री ओवर जापान डे’ के रूप में मनाता है.

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