मेट्रो सिटीज में कितनी महंगी है कॉस्ट ऑफ लिविंग? रहने से लेकर खाने तक… लाइफस्टाइल में ही इतने…

बाहर खाना या डेली ग्रोसरी लेना अब सस्ता नहीं रहा. मेट्रो शहरों में एक व्यक्ति का मंथली फूड बजट 4,000 से 10,000 रुपये तक हो सकता है. रेस्तरां और फूड डिलीवरी से खर्च और बढ़ जाता है.
ऑफिस या कॉलेज आने-जाने में लोकल ट्रेनों, मेट्रो या ओला-उबर का खर्च जुड़ता है. मंथली ट्रैवल पास हो तो थोड़ी बचत होती है, लेकिन प्राइवेट ट्रांसपोर्ट से जेब पर बोझ पड़ता है. पेट्रोल और टैक्सी किराया भी लगातार बढ़ रहा है.
शॉपिंग, जिम, सैलून, मूवी और कैफे जैसे खर्च मेट्रो लाइफ का हिस्सा बन गए हैं. एक एवरेज मिलेनियल हर महीने 5,000 से 15,000 रुपये सिर्फ इन चीजों पर खर्च कर देता है. सोशल लाइफ बनाए रखना महंगा सौदा बन चुका है.
AC, गीजर और गैजेट्स के चलते बिजली का बिल भी 1,000 से 3,000 रुपये तक आता है. हाई-स्पीड इंटरनेट और मोबाइल प्लान भी हर महीने 500 से 1,500 रुपये तक का खर्च जोड़ते हैं. ये बेसिक जरूरतें अब खर्चीली हो चुकी हैं.
मेट्रो में मेडिकल खर्च भी ज्यादा है. प्राइवेट क्लिनिक, दवाइयां और हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम मिलाकर महीने का खर्च 1,000 से 5,000 रुपये तक पहुंच सकता है. छोटी बीमारी भी जेब पर भारी पड़ती है.
अगर आप फैमिली के साथ रहते हैं तो बच्चों की स्कूल फीस, कोचिंग और डे-केयर का खर्च भी जुड़ता है. मेट्रो सिटीज़ में एक बच्चे पर मंथली 5,000 से 20,000 रुपये तक का खर्च आ सकता है. ये खर्च साल दर साल बढ़ता जा रहा है.
इन सभी खर्चों को जोड़ें तो मेट्रो सिटी में एक व्यक्ति का मंथली बजट 30,000 से 1 लाख रुपये तक जा सकता है. अगर इनकम लिमिटेड हो तो सेविंग करना मुश्किल हो जाता है. यही वजह है कि लोग अब टियर-2 शहरों की ओर रुख कर रहे हैं.
Published at : 03 Sep 2025 09:21 AM (IST)