Henley Passport Index 2025: पासपोर्ट रैकिंग में भारत की लंबी छलांग, अमेरिका को नुकसान, जानें…

हेनले पासपोर्ट इंडेक्स 2025 में भारत ने शानदार बढ़ोतरी दर्ज की है. भारतीय पासपोर्ट अब 58 देशों में वीजा-फ्री एंट्री की सुविधा देता है और इसी वजह से भारत की रैंकिंग 80वें स्थान से बढ़कर 76वें स्थान पर पहुंच गई है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह उछाल भारत की सक्रिय कूटनीतिक साझेदारियों, द्विपक्षीय समझौतों और वैश्विक मंचों (जैसे G20, ब्रिक्स और आसियान) में बढ़ती भूमिका का नतीजा है. इससे भारत के नागरिकों को यात्रा में आसानी होगी और वैश्विक स्तर पर देश की साख भी मजबूत होगी.
जहां भारत की पासपोर्ट रैकिंग ऊपर हुई है, वहीं अमेरिका का पासपोर्ट दो दशकों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. आइसलैंड और लिथुआनिया के साथ अमेरिका को इस बार 10वां स्थान मिला है. रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी नागरिकों की वीज़ा-फ्री मोबिलिटी में लगातार गिरावट देखी जा रही है.
सबसे ताकतवर पासपोर्ट सिंगापुर
हेनले पासपोर्ट इंडेक्स 2025 में सिंगापुर ने बाजी मारी है. उसके नागरिकों को 193 देशों में वीजा-फ्री या वीजा-ऑन-अराइवल सुविधा मिलती है. दूसरे स्थान पर जापान और दक्षिण कोरिया (190 देशों में वीजा फ्री) है. तीसरे स्थान पर डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, इटली और स्पेन (189 में वीजा फ्री) चौथे स्थान पर स्वीडन, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, नॉर्वे, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड और पुर्तगाल (188 में वीजा फ्री). पांचवें स्थान पर स्विट्जरलैंड, न्यूजीलैंड और ग्रीस (187 में वीजा फ्री) हैं.
भारत के पासपोर्ट की ताकत क्यों बढ़ी?
भारत के पासपोर्ट की स्थिति में सुधार कई कारणों से हुआ है, जो इस प्रकार है:
- अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियों का विस्तार.
- पारस्परिक वीजा समझौते.
- वैश्विक मंचों पर भारत की सक्रिय भूमिका.
आर्थिक और रक्षा सहयोग में वृद्धि
यह संकेत देता है कि भारत को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में एक जिम्मेदार और प्रभावशाली शक्ति के रूप में देखा जा रहा है. इसका लाभ न केवल भारतीय नागरिकों को यात्रा में मिलेगा, बल्कि यह भारत की वैश्विक स्थिति को भी और मजबूत करेगा.
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