42 out of every 1000 children in the state have congenital heart disease; more than 40 new…

दिल की बीमारी अब सिर्फ बड़ों तक सीमित नहीं रही। राजस्थान में जन्म लेने वाले हर 1000 बच्चों में से 42 बच्चे जन्मजात हृदय रोग (कॉनजेनिटल हार्ट डिजीज) से पीड़ित हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इनमें दिल में छेद के मामले सबसे अधिक हैं।
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पहले जांच की सुविधा और जागरूकता की कमी के कारण ये बीमारियां सामने नहीं आती थीं। लेकिन अब पूर्व जांच (प्री-स्क्रीनिंग) और माता-पिता की सतर्कता से इन बीमारियों का समय पर पता चल रहा है। तेजी से बढ़ते आंकड़े डराने लगे हैं। एसएमएस अस्पताल और जेके लोन अस्पताल में पहले हर महीने 5 से 6 मामले आते थे, जो अब बढ़कर 12 से 15 प्रतिमाह हो गए हैं। वहीं जयपुर के निजी अस्पतालों में यह संख्या 40 से अधिक तक पहुंच चुकी है।
सबसे ज्यादा ‘दिल में छेद’ की समस्या
बॉम्बे अस्पताल, जयपुर के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. विकास पुरोहित के अनुसार, बच्चों में सबसे आम रोग वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (वीएसडी) है, जो कुल मामलों के 20 से 40 प्रतिशत तक पाया जा रहा है। यह रोग गर्भावस्था के दौरान हृदय की विकास प्रक्रिया में रुकावट के कारण होता है।
हृदय को बांटने वाली पेशीय दीवार पूरी तरह विकसित नहीं हो पाती, जिससे उसमें एक या एक से अधिक छेद रह जाते हैं। इसके पीछे आनुवंशिक कारण या वातावरणीय प्रभाव हो सकते हैं। इसके अलावा, लगभग 16 प्रतिशत बच्चों में पीडीए (पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस) की समस्या भी देखी जा रही है।
दिल में छेद से जुड़ी प्रमुख बीमारियां व लक्षण
- वीएसडी (वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट): हृदय के निचले चैम्बरों के बीच छेद होता है। लक्षण: सांस फूलना, दूध पीते समय थकावट, फेफड़ों का संक्रमण, वजन न बढ़ना।
- एएसडी (एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट): हृदय के ऊपरी भागों के बीच छेद। लक्षण: जल्दी थकावट, छाती में संक्रमण, सांस फूलना, दिल की धड़कन अनियमित होना।
- पीडीए (पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस): जन्म के बाद बंद होने वाली नली खुली रह जाती है। लक्षण: बार-बार खांसी, सांस फूलना, वृद्धि में रुकावट।
- सीके बिरला अस्पताल के वरिष्ठ हृदय शल्य चिकित्सक डॉ. आलोक माथुर के अनुसार, इन समस्याओं का शुरुआती अवस्था में उपचार आवश्यक है।