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Setback to gold production, mine tender cancelled, auction to be held again | खान विभाग: सोने…

बांसवाड़ा, भूखिया-जगपुरा में मिली पहली सोने की खदान की नीलामी निरस्त कर दी गई है। अब खान विभाग नई नीलामी की तैयारियों में जुट गया है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि नई नीलामी इसी साल के अंदर कराने की तैयारी है। यह नीलामी नवंबर-दिसंबर के अंत तक पूरी करा

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गौरतलब है कि खनन को लेकर कंपनी की ओर से पर्यावरण की एनओसी लेने का प्रोसेस भी शुरू हो चुका था और खदान के आसपास मशीनरी लगाने की तैयारी पूरी कर ली गई थी। ऐसे में कंपनी और ठेका लेने वाले व्यक्ति के खिलाफ शिकायत होने और शिकायत सही मिलने पर खान विभाग ने इसे रद्द कर दिया।

4 कंपनियां थीं दौड़ में, सिक्योरिटी 50 करोड़ रुपए जमा करना था

सोने की खदान की ऑनलाइन नीलामी रिजर्व प्राइस चार प्रतिशत रखी गई थी। बिड सिक्योरिटी राशि करीब 50 करोड़ रुपए थी। इसका अग्रिम भुगतान यानी (अपफ्रंट पेमेंट) 500 करोड़ रुपए रखा गया था। इस नीलामी में कुल चार बोलीदाता ही शामिल हुए थे। इनमें हीराकुंड नेचुरल रिसोर्सेस लि., हिंदुस्तान जिंक, रामगढ़ मिनरल्स एंड माइनिंग लि. और चौथा सैयद आवेश अली शामिल थे।

प्रदेश में अब तक दो बांसवाड़ा और एक उदयपुर में गोल्ड माइन की नीलामी हो चुकी है। हालांकि अभी तक किसी भी जगह से गोल्ड उत्पादन नहीं हो सका है। माना जा रहा था कि 2026-2027 तक बांसवाड़ा में यह उत्पादन शुरू होता लेकिन अब और समय लगने के आसार दिख रहे हैं।

113.52 मिलियन टन सोने का आकलन

भू-वैज्ञानिकों के मुताबिक इस क्षेत्र में 940.26 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 113.52 मिलियन टन स्वर्ण अयस्क मिलने की संभावना जताई गई है। इसमें सोने के धातु की मात्रा 222.39 टन आंकी गई है। यहां खदानों से सोने के साथ अन्य खनिज भी निकलेंगे। बांसवाड़ा जिले में स्वर्ण खनन से इलेक्ट्रॉनिक, पेट्रोलियम, पेट्रोकेमिकल्स, बैटरी, एयर बैग सहित कई उद्योगों में नए निवेश के साथ ही प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर मिलने की संभावना है।

नेटवर्थ और आईटीआर में गड़बड़ी से नीलामी रद्द हुई

गौरतलब है कि खदानों के लिए आई बिड में नेटवर्थ सर्टिफिकेट आवेश मेटल एवं मिनरल प्रोसेसिंग लिमिटेड का भी नाम था। बोलीदाता सैयद आवेश अली का पैन कार्ड और आईटीआर कंपनी से अलग था। विभाग ने आवेश का नेटवर्थ शर्तों के आधार पर भी नहीं माना था। इसके अलावा 200 करोड़ रुपए की बाध्यता की शर्त भी स्वीकार नहीं की गई। सीए के प्रमाणपत्र में शेयर होल्डिंग में फर्क पाया गया। इन्हीं आधारों पर विभाग ने इस टेंडर को निरस्त कर दिया।

भास्कर एक्सपर्ट – प्रदीप अग्रवाल, रिटायर्ड एडिशनल डायरेक्टर, खान एवं भू-विभाग

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