Twin Town Kodinhi more than 400 pairs of twins here | ट्विन टाउन कोडिन्ही- जहां 400 से ज्यादा…

मलप्पुरम3 मिनट पहलेलेखक: केए शाजी
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कोडिन्ही में अपने जुड़वां परिजन के साथ कुरियन फैमिली।
केरल के मलप्पुरम जिले का एक छोटा सा गांव कोडिन्ही दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बना हुआ है। इस गांव को ‘ट्विन टाउन’ (जुड़वां गांव) कहा जाता है, क्योंकि यहां जुड़वां बच्चों के जन्म की दर सामान्य से छह गुना ज्यादा है।
दुनिया में जहां हर 1000 बच्चों के जन्म पर औसतन 6 जुड़वां जन्म लेते हैं, वहीं कोडिन्ही में यह आंकड़ा 40 से 45 तक पहुंच जाता है। 2000 परिवारों वाले इस गांव में अब तक 400 से ज्यादा जुड़वां जोड़े दर्ज किए जा चुके हैं। कुछ घरों में तो दो से तीन पीढ़ियों से जुड़वां बच्चे हो रहे हैं।
वैज्ञानिकों ने डीएनए और लार के सैंपल लिए, लेकिन कोई ठोस कारण नहीं मिला। भारत के सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी सेंटरऔर जर्मनी की ट्यूबिंगन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने यहां के लोगों के डीएनए और लार के सैंपल लिए। कुछ परिवारों में जुड़वां बच्चों की प्रवृत्ति पीढ़ी दर पीढ़ी दिखी, लेकिन अब तक कोई खास जीन नहीं मिला है।
जुड़वां बच्चों के पालन-पोषण की दोहरी जिम्मेदारी
जुड़वां बच्चों के माता-पिता के लिए यह सफर आसान नहीं होता। अस्पताल में डिलीवरी से लेकर टीकाकरण, कपड़े, पढ़ाई और करियर तक हर चीज का खर्च दोगुना होता है। मां-बाप को नींद की कमी, बच्चों की सेहत पर लगातार नजर और दोनों बच्चों को बराबर समय देने की चुनौती रहती है। फिर भी वे इसे गर्व और खुशी से निभाते हैं।
पहचान का संकट: समाज की सोच खड़ी करती हैं मुश्किलें, हो रहे एकजुट
जुड़वां बच्चों को स्कूल में टीचर्स द्वारा पहचानने में गलती, दोस्तों की तुलना और पहचान का संकट झेलना पड़ता है। बड़े होने पर करिअर और शादी जैसे फैसलों में भी समाज की सोच उनके लिए मुश्किलें खड़ी करती है। फिर भी केरल के जुड़वां बच्चे अब एकजुट हो रहे हैं।
सब्सिडी की मांग: 160 से ज्यादा जुड़वां जोड़ों ने की सबसे बड़ी मीटिंग केरल के एर्नाकुलम में बीते दिनों जुड़वां बच्चों की राज्य की सबसे बड़ी बैठक हुई, जिसमें 160 से ज्यादा जुड़वां और ‘ट्रिपल’ बच्चे शामिल हुए। इस कार्यक्रम में परिवारों ने सरकार से शिक्षा में फीस माफी, स्कॉलरशिप, नौकरी में आरक्षण और जुड़वां बच्चों की मांओं के लिए सब्सिडी की मांग की।
जुड़वां होना अब पहचान का हिस्सा
कोडिन्ही से लेकर कोच्चि तक, केरल के जुड़वां बच्चे अब अपनी एक अलग पहचान बना रहे हैं। वे अब एक सामाजिक ताकत बन चुके हैं। डिजिटल नेटवर्किंग, सामूहिक कार्यक्रम और सरकार से मांगों के जरिए वे अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं।