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टीवी, फ्रिज से लेकर कार और बाइक तक… ये सामान हो सकते हैं सस्ते; दिवाली से पहले तोहफा दे सकती…

दिल्ली में 3 और 4 सितंबर को होने वाली जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक आम लोगों के लिए बड़ी राहत लेकर आ सकती है. सूत्रों के मुताबिक, काउंसिल के एजेंडे में करीब 175 आइटम्स पर जीएसटी दरों में कटौती का प्रस्ताव शामिल है. इनमें खाने-पीने की चीजों से लेकर दवाइयां, इंश्योरेंस प्रीमियम, टीवी, एसी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन, सीमेंट, कार और बाइक जैसे बड़े कन्ज्यूमर प्रोडक्ट्स भी शामिल हैं.

क्या हो सकता है सस्ता?

हेल्थ और इंश्योरेंस: इंडिविजुअल्स के लिए हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी हटाने का प्रस्ताव.

दवाइयां: गंभीर बीमारियों और कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली 30 से ज्यादा दवाओं को जीएसटी मुक्त करने की सिफारिश.

कन्ज्यूमर ड्यूरेबल्स: टीवी, एसी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन और सीमेंट पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% करने का प्रस्ताव.

ऑटो सेक्टर: कार, बाइक्स और ऑटो पार्ट्स पर भी जीएसटी घटकर 18% होने की संभावना.

टेक्सटाइल और डेली: यूज प्रोडक्ट्स: कपड़े, फुटवियर (2500 रुपए तक), ट्रैक्टर, टायर, शैंपू, तेल, साबुन, टूथपेस्ट और मेडिकल इक्विपमेंट पर जीएसटी घटकर 5% हो सकता है.

होटल इंडस्ट्री: 7500 रुपये तक के होटल रूम किराए पर टैक्स 5% करने का प्रस्ताव.

ग्रीन प्रोडक्ट्स: सोलर कुकर, सोलर हीटर और एनर्जी एफिशिएंट प्रोडक्ट्स पर भी दरें घट सकती हैं.

दो मुख्य दरों पर होगी बात

टैक्स स्ट्रक्चर में भी बड़ा बदलाव मुमकिन है. जीएसटी काउंसिल सिर्फ दो मुख्य दरें, 5% और 18% रखने पर विचार कर रही है. हालांकि मौजूदा 12% और 28% की दरें खत्म की जा सकती हैं. सिन, लक्जरी और डिमेरिट गुड्स पर 40% तक टैक्स लगाने का प्रस्ताव है, जिस पर अतिरिक्त ड्यूटी भी लग सकती है.

कहां बढ़ सकता है बोझ?

कुछ सेवाओं और प्रोडक्ट्स पर टैक्स दरें बढ़ाने का भी प्रस्ताव है, जिनमें केमिकल वुड पल्प और पेपरबोर्ड, ऑयल और गैस माइनिंग सर्विसेज, बिजनेस और प्रीमियम क्लास की एयर टिकटें शामिल हैं.

विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार की बैठक में लिए गए फैसले सीधे तौर पर आम आदमी की जेब और इंडस्ट्री के कॉस्ट स्ट्रक्चर को प्रभावित करेंगे. जीएसटी दरों में बंपर कटौती से जहां आम उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिलेगी, वहीं इंश्योरेंस और हेल्थ सेक्टर को भी बढ़ावा मिल सकता है.

दिवाली पर तोहफे का पीएम मोदी का ऐलान

तीन और चार सितंबर को होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से दिए गए उस बयान से भी जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें उन्होंने दिवाली से पहले देशवासियों को बड़ी सौगात देने का वादा किया था. माना जा रहा है कि जीएसटी दरों में संभावित कटौती ही वह दिवाली गिफ्ट है, जो सरकार आम जनता को राहत पहुंचाने और त्योहारों के मौसम में खपत को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दे सकती है.

विपक्ष की सरकार वाले राज्यों की यह हैं आशंकाएं

जहां एक ओर केंद्र सरकार और कई राज्य जीएसटी दरों में कटौती को आम जनता के लिए राहत मान रहे हैं, वहीं कुछ विपक्षी शासित राज्यों ने इस पर आपत्तियां भी जताई हैं. उनका तर्क है कि बड़े पैमाने पर टैक्स कटौती से राज्यों के राजस्व पर असर पड़ेगा और वित्तीय घाटा बढ़ सकता है. ऐसे राज्यों का कहना है कि बिना वैकल्पिक राजस्व स्रोत तय किए दरों में इतनी बड़ी कमी करना राज्यों की आर्थिक स्थिति को चुनौतीपूर्ण बना सकता है.

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