वो घोटाला जिसमें फंस गए केसीआर तो बेटी कविता को पार्टी से ही निकाल दिया!

घोटाले में फंसे अपने पिता को उस बेटी ने बचाने की कोशिश की, जो खुद ही एक घोटाले में ऐसी फंसी थी कि उसे जेल हो गई थी, लेकिन पिता को बचाने की कोशिश में बेटी ने अपने चाचा, अपने भाई और अपने पिता के करीबियों को भी नहीं बख्शा. इसका नतीजा ये हुआ कि जिस पिता को अपनी बेटी पर भरोसा करना चाहिए था, उसी पिता ने बेटी को अपनी ही बनाई पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. ये कहानी तेलंगाना में बीआरएस की विधान परिषद सदस्य के कविता की है, जिन्होंने अपने पिता केसीआर को बचाने के लिए मुंह खोला तो केसीआर ने उन्हें पार्टी से ही बाहर का रास्ता दिखा दिया और कह दिया कि बेटी अब पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल हो गई है.
के कविता केसीआर की बेटी हैं. तेलंगाना से विधान परिषद की सदस्य भी हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में जबसे केसीआर चुनाव हारकर सत्ता से बाहर हैं तब से के कविता ने अपने परिवार के लोगों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. इसकी वजह बना है एक घोटाला, जिसमें तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने सीबीआई जांच के आदेश कर रखे हैं. दरअसल पूरा मामला कालेश्वरम सिंचाई प्रोजेक्ट से जुड़ा हुआ है.
केसीआर ने अपने मुख्यमंत्री रहते हुए तेलंगाना के 13 जिलों की करीब 16 लाख एकड़ जमीन की सिंचाई के लिए इस परियोजना की शुरुआत की थी. 21 जून 2019 को शुरू हुई इस परियोजना के तहत 1800 किमी लंबा नहरों का जाल बिछना था, जिसमें मल्टी स्टेज लिफ्ट सिस्टम का इस्तेमाल होना था. तब ये पूरी दुनिया का सबसे बड़ा मल्टी स्टेज लिफ्ट इरिगेशन प्रोजेक्ट था. इस पूरे प्रोजेक्ट की शुरुआती लागत करीब 38 हजार करोड़ रुपये आंकी गई थी, लेकिन बढ़ते-बढ़ते इसकी लागत 81, 911 करोड़ तक पहुंच गई थी और सेंट्रल वाटर कमिशन ने इस बजट को मंजूर भी कर दिया था, लेकिन इसके बाद लागत फिर बढ़ गई और ये अब एक लाख 40 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गई.
इस बीच साल 2023 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आई इस प्रोजेक्ट का एक धंस गया, जिसकी वजह से बाढ़ आ गई. बांधों की देखभाल करने वाली संस्था एनडीएसए यानी कि नेशनल डैम सेफ्टी अथॉरिटी ने इसकी जांच की और 25 अक्तूबर 2023 को इस प्रोजेक्ट को बनाने वाली संस्था एएंडटी के साथ इसकी जांच की. तब तक सरकार बदल गई और तेलंगाना के नए मुख्यमंत्री बन गए कांग्रेस के नेता रेवंत रेड्डी.
उन्होंने 13 फरवरी 2024 को इस पूरे प्रोजेक्ट की जांच के लिए एनडीएसए से अनुरोध किया और कहा कि वो इसकी डिजाइन और बनावट की अच्छे से जांच करें ताकि और कोई हादसा न हो. साथ ही साथ सीएम रेवंत रेड्डी ने 14 मार्च 2024 को सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस पीसी घोष की अध्यक्षता में एक जांच कमिटी बना दी. इस कमिटी का कार्यकाल लगातार बढ़ता रहा. जांच के दौरान कमिटी ने करीब 120 लोगों से पूछताछ की, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री केसीआर के साथ ही उनके सिंचाई मंत्री टी हरीश राव और वित्त मंत्री इटाला राजिंदर से भी पूछताछ की गई थी.
एनडीएसए ने अप्रैल 2025 में इस पूरे प्रोजेक्ट में कई खामियां पाईं, डिजाइन में बदलाव करने को कहा, फिर से जियो-टेक्निकल सर्वे करने का सुझाव दिया. कुल मिलाकर इस पूरे प्रोजेक्ट के बनने में एनडीएसए को खामियां ही खामियां नजर आईं, जिसके बाद इस प्रोजेक्ट ने राजनीतिक रंग ले लिया. रेवंत रेड्डी की सरकार में सिंचाई मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी ने इस कालेश्वरम प्रोजेक्ट को आजादी के बाद की सबसे बड़ी मानव निर्मित त्रासदी तक बता दिया.
इससे पहले सीएजी ने भी इस प्रोजेक्ट में करीब 2700 करोड़ रुपये के घोटाले का अंदेशा जताया था. वहीं 31 जुलाई 2025 को जस्टिस पीसी घोष कमिटी ने भी तेलंगाना सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी. इस रिपोर्ट को पढ़ने के लिए 1 अगस्त को सरकार ने एक और कमिटी बनाई, जो इस रिपोर्ट के आधार पर फैसले कर सके.
अब इस रिपोर्ट में जो सामने आया है, उसमें इस प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार के लिए सीधे तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री केसीआर, तत्कालीन सिंचाई मंत्री टी हरीश राव और वित्त मंत्री इटाला राजिंदर को जिम्मेदार माना गया है. इसके अलावा रिटायर्ड चीफ सेक्रेटरी एसके जोशसी, तत्कालीन वित्त सचिव के रामकृष्ण राव और आईएएस अधिकारी स्मिता सभरवाल को भी जिम्मेदार माना गया है. 31 अगस्त को रेवंत रेड्डी सरकार ने जांच आयोग के 665 पन्नों की इस रिपोर्ट को विधानसभा में रखा, जिसके बाद तेलंगाना की राजनीति में हंगामा मच गया. क्योंकि विधानसभा में इस रिपोर्ट को रखने के बाद मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की संस्तुति कर दी.
इसके बाद ही केसीआर की बेटी के कविता भड़क गईं और उन्होंने इस घोटाले में अपने पिता केसीआर का नाम आने पर अपने चाचा और केसीआर सरकार में सिंचाई मंत्री रहे टी हरीश राव को जिम्मेदार ठहरा दिया. साथ ही के कविता ने इस पूरे घोटाले पर चुप्पी साधने पर अपने भाई केटीआर पर भी सवाल उठाए और कहा कि उनके पिता का नाम बदनाम करने के जिम्मेदार तो पूर्व राज्यसभा सांसद जे संतोष कुमार भी हैं, जिनके खिलाफ सबने चुप्पी साध रखी है.
के कविता ने दावा किया कि उनके चाचा टी हरीश राव और जे संतोष कुमार ने उनके पिता के नाम का इस्तेमाल किया, जिसकी वजह से सीबीआई जांच की आंच उनके पिता केसीआर तक पहुंच गई. अब केसीआर और उनकी पार्टी तो हमेशा से ही इस घोटाले को राजनीति से प्रेरित बताती रही है और हमेशा कहा है कि कोई घोटाला नहीं है, लेकिन के कविता के बयान से ये बात जरूर उठने लगी कि कुछ तो गड़बड़ है. इसका नतीजा ये हुआ कि केसीआर ने अपनी और अपनी पार्टी की छवि बचाने के लिए अपनी बेटी को ही पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है.
के कविता का नाम दिल्ली के शराब घोटाले से भी जुड़ा हुआ है. इस मामले में उन्हें जेल भी जा चुकी हैं और फिलहाल वह जमानत पर बाहर हैं. रिहाई के बाद से ही केसीआर अपनी सियासी साख को बचाने के लिए बेटी कविता से पर्याप्त दूरी बनाकर चल रहे थे, लेकिन जब केसीआर खुद ही कालेश्वरम मामले में घिरते चले गए और सीबीआई जांच का आदेश भी हो गया तो के कविता के दिए गए बयानों ने पार्टी के अंदर की बगावत को भी सार्वजनिक कर दिया. नतीजा डैमेज कंट्रोल के लिए के कविता को पार्टी से निकालना पड़ा. अब जांच सीबीआई के पास है और मामला अदालत की चौखट पर भी पहुंच गया है. इन आपराधिक मामलों का फैसला तो अदालत से हो जाएगा, लेकिन पहले परिवार और फिर पार्टी के अंदर जो बगावती सुर उभर रहे हैं, क्या केसीआर उसे शांत कर पाएंगे, ये अपने आप में एक बड़ा सवाल है.