रूस ने भारत को दिया 5वीं पीढ़ी के Su-57 फाइटर जेट का बड़ा ऑफर, जानें क्या है इसकी खासियत, आसिम…

Su-57 Stealth Fighter Jet: रूस ने भारत को रक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव दिया है. मॉस्को चाहता है कि उसका सबसे एडवांस्ड Su-57 स्टील्थ फाइटर जेट भारत में ही तैयार किया जाए. इसके लिए रूस निवेश की संभावनाओं का अध्ययन कर रहा है. रूस का Su-57, अमेरिका का F-35 और चीन का J-20 का प्रतिस्पर्धी माना जाता है.
पांचवीं पीढ़ी का मल्टी-रोल जेट
Su-57, रूस की सुखोई कंपनी द्वारा विकसित पांचवीं पीढ़ी का मल्टी-रोल फाइटर जेट है. इसे NATO ने ‘फेलॉन’ नाम दिया है. इस जेट ने 2010 में अपनी पहली उड़ान भरी और 2020 में रूसी वायुसेना में शामिल हुआ. ये हवा, जमीन और समुद्र – तीनों मोर्चों पर लड़ाई लड़ सकता है. रूस के पास फिलहाल 21 प्रोडक्शन मॉडल हैं और 76 का ऑर्डर दिया गया है. इस जेट का इस्तेमाल यूक्रेन युद्ध में भी हो चुका है.
Su-57 की खासियत और तकनीक
Su-57 में स्टील्थ टेक्नोलॉजी शामिल है, जिसकी रडार रिफ्लेक्टिव सतह मात्र 0.1 वर्ग मीटर है. इसमें दो AL-41F1 इंजन लगे हैं, जिसकी अधिकतम गति 2,450 किमी/घंटा है. ये फाइटर जेट 10 टन तक हथियार ले जा सकता है, जिसमें एयर-टू-एयर और क्रूज मिसाइलें शामिल हैं. N036 Byelka AESA रडार और AI असिस्टेड सिस्टम्स से लैस यह जेट 360° कवरेज प्रदान करता है. इसकी कीमत लगभग 50 मिलियन डॉलर प्रति जेट है, जो F-35 की तुलना में काफी किफायती है. Su-57 न्यूक्लियर कैपेबल है और ड्रोन के साथ “लॉयल विंगमैन” मोड में ऑपरेट कर सकता है.
भारत-रूस रक्षा सहयोग का नया अध्याय
भारत और रूस का रक्षा सहयोग दशकों पुराना है. भारत के 60% हथियार रूसी तकनीक से जुड़े हैं. Su-30MKI इसका बड़ा उदाहरण है, जिसे HAL नासिक में बनाया जाता है. 2007 में दोनों देशों ने FGFA प्रोजेक्ट शुरू किया था, लेकिन 2018 में भारत इसमें शामिल नहीं रहा. अब रूस ने Su-57E का ऑफर फिर से पेश किया है. फरवरी 2025 में एयरो इंडिया शो में इसे शोकेस किया गया. रूस ने संकेत दिया है कि HAL नासिक प्लांट को अपग्रेड करके Su-57 का लोकल प्रोडक्शन शुरू किया जा सकता है, जिसमें टेक्नोलॉजी ट्रांसफर भी शामिल होगा.
भारत की ताकत और चुनौतियां
इस डील से भारत के AMCA प्रोजेक्ट को भी मदद मिल सकती है, जिसकी पहली उड़ान 2028 और कमीशनिंग 2035 तक तय है. अगर डील पक्की होती है, तो अगले 3-4 साल में 20–30 Su-57 जेट भारत को मिल सकते हैं. लोकल प्रोडक्शन से रोजगार बढ़ेंगे और भारत को फिफ्थ जेनरेशन जेट बनाने की क्षमता हासिल होगी. हालांकि, टेक्नोलॉजी की जांच और अंतरराष्ट्रीय सैंक्शन्स के खतरे को ध्यान में रखना होगा.