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जीएसटी रिफॉर्म्स से घबराने की नहीं है जरूरत, पीएम मोदी के दिवाली गिफ्ट से राज्यों को भी होगा…

GST 2.0: केंद्र के जीएसटी रिफॉर्म्स के प्रस्ताव पर 3-4 सितंबर को होने वाली  जीएसटी काउंसिल की बैठक में फैसला लिया जाएगा. इस बैठक में आठ गैर-एनडीए राज्य भी अपना प्रस्ताव रखेंगे. दरअसल, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, पंजाब, तमिलनाडु और तेलंगाना के साथ-साथ पश्चिम बंगाल ने सरकार की इस योजना की आलोचना की है.

उनका कहना है कि सरकार की दो दरों (5 परसेंट और 18 परसेंट) वाली GST स्लैब स्ट्रक्चर से उनके रेवेन्यू में उन्हें 85,000 करोड़ से लेकर 2 लाख करोड़ तक का नुकसान हो सकता है. इन राज्यों का इस बात की आशंका है कि दो स्लैब वाले आसान जीएसटी स्ट्रक्चर से उनके रेवेन्यू में 20 परसेंट तक का नुकसान बैठेगा. 

इन राज्यों की ये हैं डिमांड 

इन राज्यों की डिमांड है कि सरकार इस नुकसान की भरपाई के लिए लग्जरी चीजों पर अलग से और टैक्स लगाए और सभी राज्यों को लोन दें. इसी के साथ ये राज्य 2024-25 को आधार वर्ष मानते हुए पांच साल के रेवेन्यू सुरक्षा गारंटी की भी मांग कर रहे हैं. ये जीएसटी काउंसिल की बैठक में ये प्रस्ताव रखेंगे. भारतीय स्टेट बैंक ने एक अनुमान लगाते हुए कहा है कि जीएसटी रिफॉर्म्स में टैक्स दरों को युक्तिसंगत बनाने के बाद भी इस कारोबारी साल के दौरान राज्यों को रेवेन्यू के मामले में भारी मुनाफा होगा.  

कैसे राज्यों को होगा फायदा? 

SBI ने एक रिसर्च नोट में कहा, ऐसा जीएसटी रेवेन्यू को बांटे जाने के तरीकों के चलते होगा. पहला जीएसटी केंद्र और राज्यों के बीच बराबर-बराबर बंटा हुआ है और दोनों को कलेक्शन का 50-50 परसेंट हिस्सा मिलता है. दूसरा, टैक्स डिवोल्यूशन यानी कर हस्तांतरण के तहत केंद्र का 41 परसेंट हिस्सा राज्यों को वापस चला जाता है.

बता दें कि मौजूदा समय में केंद्र सरकार द्वारा एक वित्त वर्ष में इकट्ठे किए गए कुल टैक्स में से 41 परसेंट राज्यों के बीच 14 किस्तों में बांट दिया जाता है. एसबीआई ने बताया कि इसका मतलब है कि जीएसटी से जुटाए गए प्रत्येक 100 रुपये में से राज्यों को लगभग 70.5 रुपये या टोटल रेवेन्यू का का लगभग 70 परसेंट मिलता है. 

SBI ने कहा, वित्त वर्ष 26 के लिए हमारे अनुमानों से संकेत मिलता है कि राज्यों को SGST के रूप में कम से कम लगभग 10 लाख करोड़ रुपये और डिवोल्यूशन के जरिए 4.1 लाख करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है. इससे उन्हें नेट प्रॉफिट होगा. यह प्रॉफिट उन्हें तब भी मिलेगा, जब जीएसटी रिफॉर्म्स के तहत दरों को युक्तिसंगत बनाने के चलते उपभोग में हुई बढ़ोतरी को हम शामिल नहीं करते हैं. (9.5 परसेंट प्रभावी जीएसटी दर के साथ इससे 52,000 करोड़ रुपये का राजस्व लाभ होगा. केंद्र और राज्यों दोनों को 26,000-26,000 करोड़ रुपये). 

 

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