तेलंगाना राजनीति में हलचल! कालेश्वरम लिफ्ट इरिगेशन परियोजना घोटाले की CBI करेगी जांच, जानें…

तेलंगाना सरकार ने कालेश्वरम लिफ्ट इरिगेशन परियोजना में कथित अनियमितताओं की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपने का फैसला किया है. यह फैसला नेशनल डैम सेफ्टी अथॉरिटी (NDS) की रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है, जिसमें मेडिगड्डा, अन्नाराम और सुंदरीला बैराज बैराज के निर्माण में योजना, डिजाइन और गुणवत्ता नियंत्रण में खामियों की बात सामने आई है.
मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने 31 अगस्त को विधानसभा में 9.5 घंटे की लंबी चर्चा के बाद यह घोषणा की. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (KCR) और तत्कालीन सिंचाई मंत्री टी. हरीश राव पर परियोजना की लागत को 38,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1.47 लाख करोड़ रुपये तक ले जाने और जनता के पैसों का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. NDS की रिपोर्ट में मेडिगड्डा बैराज के खराब होने का कारण अपर्याप्त योजना और रखरखाव बताया गया है.
BRS ने रिपोर्ट का किया विरोध
सरकार ने स्पष्ट किया कि जांच जस्टिस पी.सी. घोष आयोग की रिपोर्ट पर आधारित नहीं होगी. भारत राष्ट्र समिति (BRS) नेताओं ने इस आयोग की रिपोर्ट को प्रदेश कांग्रेस समिति (PCC) कमीशन कहकर इसका विरोध किया और इसे राजनीति से प्रेरित बताया. BRS नेता हरीश राव ने दावा किया कि यह रिपोर्ट कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं है और इसे अदालत में चुनौती दी जाएगी. इस बीच तेलंगाना हाई कोर्ट ने केसीआर और हरीश राव को अंतरिम राहत प्रदान करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि 7 अक्टूबर तक जस्टिस पी.सी. घोष आयोग की रिपोर्ट के आधार पर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए. कोर्ट ने यह आदेश दोनों नेताओं की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद दिया, जिसमें उन्होंने आयोग की वैधता और निष्पक्षता पर सवाल उठाए थे.
CBI जांच आवश्यक मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने कहा कि परियोजना में केंद्रीय और राज्य एजेंसियों की भागीदारी के कारण CBI जांच जरूरी है. BRS ने इसे राजनीतिक साजिश करार दिया, जबकि बीजेपी ने जांच में देरी पर सवाल उठाए. यह मामला तेलंगाना की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है.
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