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Anti Narcotics Task Force formed in Rajasthan | राजस्थान में एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का…

राजस्थान में नशे की लत और नशा तस्करी एक गंभीर सामाजिक समस्या बन चुकी है, जो खासकर युवाओं को तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रही है। इसी खतरे को देखते हुए राजस्थान पुलिस ने नशा विरोधी अभियान को और सशक्त बनाने के लिए एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन किया

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11 पुलिसकर्मी चित्तौड़गढ़ से, नशा का मुख्य रूट है जिला

कुल 11 पुलिसकर्मी, जिनमें दो ड्राइवर भी शामिल हैं, चित्तौड़गढ़ से इस टीम में शामिल किए गए हैं। यह चयन इस आधार पर हुआ है कि चित्तौड़गढ़ नशा तस्करी का एक प्रमुख रूट रहा है और यहां के पुलिसकर्मियों ने पहले भी नशे के खिलाफ अच्छे काम किए हैं।

इस विशेष टीम में चित्तौड़गढ़ से कांस्टेबल बिरमाराम, चंद्र करण सिंह सोलंकी, नारायण राम, मुनेंद्र सिंह, संदीप कुमार तिवारी, रामलाल, रामस्वरूप चौधरी, सुरेश नाथ, पूनम चंद्र, मनोहर सिंह और राजकुमार को चुना गया है। इन सभी को उनके अनुभव और नशे के मामलों में प्रभावशाली भूमिका के आधार पर चुना गया है।

नशे की बढ़ती प्रवृति को देखते हुए एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन किया गया है।

156 पुलिसकर्मियों को चुना है इस फॉर्स के लिए

राजस्थान पुलिस द्वारा बनाई गई यह एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स अगले तीन सालों तक विशेष रूप से नशा तस्करी और नशे के नेटवर्क को तोड़ने का काम करेगी। इस टास्क फोर्स में राज्य भर से 156 पुलिसकर्मियों का चयन किया गया है। इनका चयन उनके पुराने सेवा रिकॉर्ड और नशा विरोधी अभियानों में उनके योगदान को देखकर किया गया है। इस टास्क फोर्स को सशक्त रूप देने के लिए राज्य में 18 से 20 नई चौकियां (Outposts) बनाई जा रही हैं, जहां ये टीमें तैनात होंगी और अपने-अपने क्षेत्रों में नशा तस्करी के खिलाफ कार्रवाई करेंगी। हालांकि, अभी यह तय नहीं किया गया है कि किस पुलिसकर्मी की तैनाती किस चौकी पर होगी, लेकिन यह फैसला जल्द ही लिया जाएगा।

थानों में होती रहेगी कार्रवाई, स्पेशल टीम भी करेंगी अपना काम

यह पूरी टास्क फोर्स एटीएस और एसओजी के तहत काम करेगी, जिससे इसके संचालन में और ज्यादा प्रभावशीलता आएगी। इस टीम का नेतृत्व एडीजी बीके सिंह और आईजी विकास कुमार करेंगे। यह टास्क फोर्स राज्य में चल रही अन्य पुलिस कार्रवाई से अलग होगी, लेकिन इसके साथ-साथ हर जिले के थानों में पहले की तरह ही नशे के खिलाफ नियमित अभियान भी जारी रहेंगे। यानी अब नशे के खिलाफ दोहरी रणनीति के तहत काम किया जाएगा, एक तरफ विशेष टास्क फोर्स और दूसरी ओर स्थानीय थानों की कार्रवाई।

चित्तौड़गढ़ की भूमिका इस पूरे अभियान में काफी अहम मानी जा रही है। यहां पहले से ही नशा तस्करी को लेकर लगभग रोज ही कार्रवाई हो रही है और यहां के पुलिसकर्मी इस क्षेत्र में अच्छा अनुभव रखते हैं। इसलिए चित्तौड़गढ़ से सबसे ज्यादा पुलिसकर्मियों का चुना जाना यह दिखाता है कि राज्य पुलिस को इस जिले के पुलिसबल की क्षमता और मेहनत पर पूरा भरोसा है।

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