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उधर ट्रंप ने लगाया टैरिफ, इधर भारत ने की तगड़ी कमाई; महज 3 साल में कर ली 12.6 अरब डॉलर की बचत

Russian Crude Oil Import: रूस से भारत का तेल खरीदना अमेरिका को फूटी आंख नहीं सुहा रहा है. इसी के चलते अमेरिकी राष्ट्रपति भारत पर पहले लगाए गए 25 परसेंट के बेसलाइन टैरिफ को बढ़ाकर 50 परसेंट कर दिया. यह एक्स्ट्रा 25 परसेंट रूस से तेल की खरीद को लेकर भारत पर पेनाल्टी के तौर पर लगाया गया है. हालांकि, आधिकारिक व्यापार आंकड़ों के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि रूसी तेल के आयात से भारतीय रिफाइनरियों को लगभग तीन साल में कम से कम 12.6 अरब डॉलर की सेविंग्स करने में मदद मिली है. 

भारत कच्चे तेल के आयात पर बहुत ज्यादा निर्भर 

ऑफिशियल ट्रेड डेटा की एनालिसिस के दौरान भारत के रूसी तेल आयात की कीमत की तुलना अन्य देशों से कच्चे तेल से की गई. हालांकि, पहले जितनी अधिक मात्रा में बचत का अनुमान लगाया गया था उतना वास्तव में हुआ नहीं क्योंकि वक्त के साथ-साथ रूसी कच्चे तेल पर डिस्काउंट भी कम होता चला गया है. हालांकि, फिर भी जितनी भी बचत हुई है वह भी कम नहीं है. यानी कि ट्रंप के पेनाल्टी व टैरिफ लगाए जाने के बाद भी भारत फायदे में है.

भारत अमेरिका और चीन के बाद तेल की खपत के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है. भारत अपनी जरूरत का 80 परसेंट तेल आयात करता है. ऐसे में अगर भारत अन्य पश्चिमी देशों की तरह रूस को दरकिनार कर देता है, तो उसका आयात बिल कितना ज्यादा बढ़ जाता. ऐसे में पश्चिमी देशों के प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भी भारत लगातार रूस से कच्चे तेल का आयात करता रहा. कच्चे तेल के आयात पर काफी ज्यादा निर्भर भारत अगर ऐसा नहीं करता, तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतें आसमान छूने लगतीं. 

रूस की इकोनॉमी को ध्वस्त करना चाहता अमेरिका

अमेरिका में ट्रंप की सरकार भारत के बड़े पैमाने पर रूसी कच्चे तेल के आयात को एक ऐसे साधन के तौर पर देखता है, जिससे रूस पर दबाव बनाकर यूक्रेन पर जंग को खत्म किया जा सके. चूंकि कच्चे तेल का निर्यात रूस के लिए कमाई का एक बहुत बड़ा स्त्रोत है और चीन के बाद भारत इसका दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है. ऐसे में अगर भारत पर रूस से कच्चे तेल की खरीद बंद कर दे, तो इसका रूस की इकोनॉमी पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा और अमेरिका यही चाहता है- सीधे रूस की इकोनॉमी पर वार करना. लेकिन भारत रूस से तेल की खरीद को लेकर अमेरिका के दबाव के आगे झुकने के लिए तैयार नहीं है क्योंकि रूस लंबे समय से भारत का रणनीतिक सहयोगी रहा है. भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता का त्याग करने को तैयार नहीं है. 

भारत के निर्यात पर असर 

बेशक, अमेरिका के भारी-भरकम टैरिफ लगाने से भारतीय सामानों के निर्यात पर बड़ा असर पड़ेगा. ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) का अनुमान है कि अमेरिका के लिए भारत का निर्यात 2024-25 के लगभग 87 अरब अमेरिकी डॉलर से घटकर 2025-26 में लगभग 49.6 अरब डॉलर रह जाएगा. इसमें दिलचस्प बात यह है कि भारत पर टैरिफ लगाने वाले ट्रंप ने अभी तक रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदार चीन के खिलाफ ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की है. 

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